Kanpur News : गैंगस्टर की बुलेट खरीदकर दरोगा को फर्राटे भरना पड़ गया भारी, पुलिस कमिश्नर ने किया लाइन हाजिर

Kanpur News : यूपी पुलिस पर फिर बदनुमा दाग लगा है। दारोगा अजय मिश्रा कानपुर पुलिस कमिश्नर के पीआरओ हैं। वह कुख्यात गैंगस्टर की पत्नी की बुलेट में रंगबाजी करते धरे गये हैं। दारोगा ने अपनी सफाई में बताया कि बुलेट की कीमत चुका खरीदी है।

Update: 2022-07-28 10:32 GMT

Kanpur News : यूपी पुलिस पर फिर बदनुमा दाग लगा है। दारोगा अजय मिश्रा कानपुर पुलिस कमिश्नर के पीआरओ हैं। वह कुख्यात गैंगस्टर की पत्नी की बुलेट में रंगबाजी करते धरे गये हैं। दारोगा ने अपनी सफाई में बताया कि बुलेट की कीमत चुका खरीदी है। मामला सुर्खियों में आने पर खाकी की किरकिरी होने लगी तो उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया।ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून-व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि मामले की जांच शुरू की है। हर एक पहलू की गहनता से छानबीन की जाएगी। चार से पांच दिन के भीतर जांच पूरी कर उच्चाधिकारी को रिपोर्ट सौंपेंगे।

बताया जा रहा कि यहां से पहले कल्याणपुर विश्विद्यालय चौकी में इंचार्ज के पद पर तैनात थे। तब कानपुर विश्वविद्यालय की बीसीए छात्रा ने चार साल पहले खुदकुशी कर ली थी। मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में चौकी इंचार्ज रहे अजय मिश्रा 4 अप्रैल 2018 को जेल काटने गये थे। और यहीं जेल में उनकी मुलाकात चकेरी के रहने वाले ड्रग्स तस्कर बलराम राजपूत से हुई थी। दारोगा 2020 को जेल से जमानत पर बाहर निकले थे।xअब ये दोस्ती बुलेट तक जा पहुँची। बुलेट गैंगस्टर बलराम की पत्नी सोनी के नाम पर दर्ज पाई गई। जो अब अजय के बेटे उत्कर्ष के नाम है। सोनी पर भी एनडीपीस समेत दो केस दर्ज हैं।

गैंग्स्टर का आपराधिक रिकार्ड

बलराम राजपूत का लंबा आपराधिक इतिहास है। उस पर 16 केस दर्ज हैं। मादक पदार्थ की तस्करी करने, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट, लूट, अपहरण, डकैती के केस शामिल हैं। इसी में चार केस हरियाणा के सिरसा में दर्ज हैं। कानपुर  कैंट थाने से उस पर गैंगस्टर लग चुका है। दो बार गुंडा एक्ट में भी कार्रवाई की गई है। बुलेट खरीदने में फंसे पुलिस कमिश्नर के पीआरओ दरोगा अजय कुमार मिश्रा बुधवार सुबह लाइन हाजिर कर दिए गए। अजय मिश्रा अंडर ट्रांसफर थे इसलिए सीपी ने तत्काल गोरखपुर के लिए रिलीव कर दिया। हालांकि इसके पीछे भी खेल है। इतने गंभीर प्रकरण में पीआरओ को सिर्फ लाइन हाजिर किया गया। निलंबन की कार्रवाई से बचाते हुए रिलीव इसलिए किया जिससे बड़ी कार्रवाई से बचाया जा सके। मामले की जांच ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी को सौंपी गई है।पीआरओ अजय मिश्रा 2018 से 2020 तक जेल में बंद रहे थे। उसी दौरान गैंगस्टर बलराम राजपूत भी जेल में था और अभी भी वह वहीं है।बता दें गैंगस्टर व दरोगा का सीधा कनेक्शन उजागर हुआ था। अजय ने बुलेट खरीदने की बात स्वीकारी थी।

दारोगा के तबादले में रोक फिर तुरंत रिलीव

दरोगा अजय कुमार का कुछ समय पहले गोरखपुर जोन तबादला हो चुका है, इसके बावजूद वह कमिश्नरी में टिका हुआ था। यही नहीं पुलिस कमिश्नर के पीआरओ जैसे अहम पद पर वह तैनात था। एक तरह से उस पर मेहरबानी कर रोका गया था। वहीं जब उसका कारनामा उजागर हुआ तो उसे तुरंत रिलीव भी कर दिया गया। यदि उसके कारनामों की गहराई से जांच करा ली जाये तो अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है। इसलिए उसको तुरंत यहां से भेज दिया गया।

अपराधी और विवादित बिल्डरों के संपर्क में है सीपी का पूर्व पीआरओ

पुलिस कमिश्नर का पूर्व पीआरओ अजय कुमार मिश्रा शहर के कई शातिर अपराधियों और विवादित बिल्डरों के संपर्क में है। जिन क्षेत्रों में उसकी तैनाती ही नहीं रही, वहां पर भी इसका जाल बिछा हुआ है। यह सभी उसके सीधे फोन पर संपर्क में हैं। अगर उसके मोबाइल नंबरों की डिटेल खंगाली जाए, तो कई बड़े राज खुल सकते हैं।

पीआरओ पद पर तैनाती में भी खेल

अजय मिश्रा दो मार्च 2020 को जेल से जमानत पर छूटा था। 20 मार्च को वह कोहना चौकी प्रभारी बनाया गया था। उसके बाद 6 जनवरी 2022 को दलेलपुरवा चौकी चमनगंज का प्रभार दिया गया। सूत्रों के मुताबिक चौकी का प्रभार लिया ही नहीं। इसके बाद दो फरवरी को अजय का गोरखपुर जोन तबादला हो गया था लेकिन अफसरों का कारखास होने की वजह से उसको रिलीव नहीं किया गया। सीधे पीआरओ पद पर तैनाती हो गई। हैरानी की बात ये है कि पीआरओ की तैनाती के संबंध में कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया था सिर्फ मौखिक आदेश पर वह पीआरओ पद पर था। इस मामले की जांच शुर कर दी गई।

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