कभी विकास दुबे के पैर छूते थे एसओ और चौकी इंचार्ज, अब जान का खतरा बता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और हलका इंचार्ज दरोगा केके शर्मा की गद्दारी पर मुहर लग गई थी, उन्हें आठ पुलिसकर्मियों की मौत के लिए जिम्मेदार बताया गया था, आंखों से खूनी खेल देखने के बाद मौके से फरार हो गए थे....

Update: 2020-07-13 11:10 GMT

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर बिकरु हत्याकांड के बाद यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर केके शर्मा और इंस्पेक्टर विनय तिवारी को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरफ्तार किया था लेकिन केके शर्मा अपनी और अपनी पत्नी की सुरक्षा के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। कोर्ट में केके ने जान को खतरा होने की आशंका जताई है। केके शर्मा पर गैंगस्टर विकास दुबे की मदद करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में शर्मा ने कहा कि उन पर लगे आरोपों की किसी स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई से जांच करवाई जाए।

आपको बता दें कि कानपुर स्थित चौबेपुर के बिकरू गांव में हुए एनकाउंटर में तत्कालीन चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और हलका इंचार्ज दरोगा केके शर्मा की गद्दारी पर मुहर लग गई थी। उन्हें आठ पुलिसकर्मियों की मौत के लिए जिम्मेदार बताया गया था। आंखों से खूनी खेल देखने के बाद मौके से फरार हो गए थे। पुलिसकर्मियों की शहादत पर ये व इनके साथी पुलिसकर्मी खुश हुए थे। एनकाउंटर में डीएसपी देवेंद्र मिश्र, शिवराजपुर एसओ महेश यादव समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। शुरुआती जांच में ही पता चला था कि थाने से विकास दुबे को सूचना दी गई थी कि दबिश पड़ने वाली है।

थाने से मिली मुखबिरी के बाद विकास ने पूरी तैयारी के साथ पुलिस पर हमला किया था। एसएसपी ने इस प्रकरण की जांच एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव को दी थी। जांच में पता चला कि एसओ और दरोगा ने गद्दारी की। इन्होंने ही दबिश की सूचना विकास को दी और उसके बाद घटनास्थल से भाग निकले थे।

Full View

कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि दोनों पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाएगा। बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन सभी के खाते सीज कराए गए हैं। मोबाइल जब्त हैं। उनकी जांच की जा रही है। सीडीआर समेत मोबाइल से कई अहम सुबूत पुलिस के हाथ लगे हैं।

विकास दूबे के गांव के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर 'जनज्वार' को बताया कि थानेदार विनय तिवारी और दरोगा केके शर्मा विकास के पैर छूते थे। थाने चौकी में उसके खिलाफ जो भी शिकायत करने पहुंचता था, उसी को धमकाकर खदेड़ देते थे। संरक्षण देने के लिए हर महीने एक मोटी रकम इन दोनों के पास पहुंचती थी। दोनों पुलिसकर्मी किसी गुलाम की तरह विकास की रोटी-बोटी पर पल रहे थे।

Tags:    

Similar News