गाज़ियाबाद में मकानमालिक ने की मज़दूर की हत्या, बेकारी के कारण नहीं दे पाया था 4500 रुपये किराया

गाज़ियाबाद के विजयनगर इलाके में एक मकान मालिक ने महज साढ़े चार हजार रुपये बकाया किराया न देने पर अपने परिजनों के साथ मिलकर किराएदार बुधपाल को मार डाला...

Update: 2020-08-23 08:08 GMT

Photo:social media

जनज्वार। कोरोना को लेकर किए गए लॉकडाउन का हर वर्ग पर चौतरफा असर पड़ा है। खासकर दिहाड़ी मजदूरी, पोलदारी, दुकानों-फैक्ट्रियों में काम करने वालों, प्राइवेट नौकरी करने वालों, फेरी-खोमचा लगाने वाले फुटपाथी दुकानदारों आदि के जीवन पर भी संकट मंडराने लगा है। ऐसे लोगों के लिए जीवनरक्षा कठिन हो गई है।

इस दौरान आत्महत्या की घटनाएं भी बढ़ गईं हैं, वहीं गाज़ियाबाद में एक ऐसा मामला भी सामने आया है, जिसमें महज 4500 रुपये बकाया किराया न चुका पाने के कारण एक मकान मालिक ने अपने यहां रह रहे मजदूर किराएदार को पीट-पीटकर मार डाला।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गाज़ियाबाद के विजयनगर इलाके में बीते रक्षाबंधन के दिन 3 अगस्त को एक मकान मालिक ने महज साढ़े चार हजार रुपये बकाया किराया न देने पर अपने परिजनों के साथ मिलकर किराएदार बुधपाल को मार डाला।

बुधपाल मजदूर था और लॉकडाउन के दौरान उसका काम छूट गया था। हालांकि उसने मकान मालिक को कई मौकों पर किराए की कुछ-कुछ रकम चुकाई भी थी, पर 4500 रुपये अभी भी बाकी था।

बुधपाल बीते दस वर्षों से उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में रह रहा था। अभी वह विजयनगर में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ किराए के एक मकान में रहता था। वह दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था। लॉकडाउन में उसे काम मिलना बंद हो गया, हालांकि अपने बचाए हुए पैसों में से उसने अप्रैल महीने तक किराया चुकाया था। किराया 2 हजार रुपये महीने का होता था।

बुधपाल के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि अप्रैल के बाद जुलाई महीने तक उसके ऊपर किराया का 8 हजार रुपया बकाया हो गया, चूंकि अप्रैल के पहले हफ्ते के बाद उसके पास बचत के सारे पैसे खत्म हो गए थे और वह खाने के लिए भी उन लोगों पर निर्भर हो चुका था, जो मुफ्त का खाना बांटने आया करते थे। बुधपाल और उसकी पत्नी ने ज्यादातर एक समय ही खाना शुरू कर दिया था, ताकि बच्चों को पेटभर खाना मिल सके।

जुलाई में उसे फिर से काम मिलना शुरू हुआ और उसने मकान मालिक ईश्वर सिंह को 3500 रुपये चुकाए थे और बाकी पैसे देने के लिए कुछ और समय देने की गुहार लगाई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 अगस्त को मकान मालिक ईश्वर, बुधपाल के घर पहुंच गया और उसे शेष 4500 रुपये चुकाने के लिए धमकाया।

बुधपाल ने कुछ और समय देने की गुहार लगाई, पर आरोप है कि ईश्वर की पत्नी और उसका एक साला भी आ गया और बुधपाल को गाली देना और धमकाना शुरू किया।

इसके बाद डंडे से उसकी बुरी तरह से पिटाई की गई, जिससे बुधपाल गंभीर रूप से जख्मी हो गया और उसके पेट, अंडकोष और जननांग चोटिल हो गए। बाद में एक छोटे से निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उसी रात उसकी मौत हो गई।

उधर गाजियाबाद के ही राजनगर इलाके में बीते मंगलवार को एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम करने वाले 24 वर्षीय त्रिलोक सिंह ने कथित रूप से पंखे से लटक कर फांसी लगा ली।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उसके भाई पवन ने आरोप लगाया है कि बीते 11 अगस्त को उसे बिना कारण बताए नौकरी से निकाल दिया गया था और जुलाई माह का उसका बकाया वेतन नहीं दिया जा रहा था। वह अपना बकाया पैसा मांगने गया था, तो उसके खाते में 3871 रुपये डाले गए थे। उसके बाद उससे संपर्क नहीं हो सका और पुलिस द्वारा रात 1 बजे सूचना दी गई कि उसने फांसी लगाकर जान दे दी है।

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