Lucknow News : मजदूर की नाबालिग लड़की को गर्भवती समझ 11 महीने तक लोग देते रहे तरह- तरह का ताना, अस्पताल गई तो निकला 15 किलो का ट्यूमर
Lucknow News : गरीबी किसी को कितना मजबूर कर सकती है। प्रतापगढ़ की नाबालिग लड़की ने ग्यारह महीनें घूंट के आंसू पिये। जिसे लोग गर्भवती समझ ताने मारते रहे और तिरस्कार किये जाने पर परिवार खामोश बना रहा। केजीएमयू के डाक्टरों के दिखाने पर पन्द्रह किलो का पेट में ट्यूमर निकला है।
Lucknow News : गरीबी किसी को कितना मजबूर कर सकती है। प्रतापगढ़ की नाबालिग लड़की ने ग्यारह महीनें घूंट के आंसू पिये। जिसे लोग गर्भवती समझ ताने मारते रहे और तिरस्कार किये जाने पर परिवार खामोश बना रहा। केजीएमयू के डाक्टरों के दिखाने पर पन्द्रह किलो का पेट में ट्यूमर निकला है। पिता के छोडकर चले जाने पर मां ने गांव के दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली थी। कुछ दिनों बाद दूसरा पति भी मारने पीटने लगा तो बेटियों को लेकर मायके आयी रहने लगी। वह मेहनत मजदूरी करके गुजर बसर करती। उनकी आर्थिक स्थित ठीक न होने से इलाज भी संभव नहीं रहा। केजीएमयू लखनऊ आने तक पता ही नहीं चला कि लड़की गर्भवती नहीं बल्कि उसके पेट में ट्यूमर है। डॉक्टरों ने यहां ऑपरेशन कर उसके पेट से पन्द्रह किलोग्राम का ट्यूटर निकाला।
प्रतापगढ़ के रानीगंज के दुर्गागंज गांव निवासी महिला संगीता के पति करीब सोलह साल पहले पत्नी और बेटी को छोड़कर चले गए थे। महिला ने गांव में ही दूसरे व्यक्ति से विवाह कर लिया। उससे महिला के दो और बेटियां हुईं, लेकिन दूसरे पति की मारपीट से तंग आकर वह बेटियों को लेकर मायके आ गई।
परिवार की आर्थिक स्थित अच्छी न होने से छप्पर के नीचे रहने लगी। इसी दौरान 17 साल की बड़ी बेटी रुचि के पेट में दर्द शुरू हुआ। लड़की पीड़ा में कराहती रही,पेट फूलने पर लोग उसे गर्भवती समझते रहे। जांच और इलाज के अभाव में वह ग्यारह महीने ं घर पर ही पड़ी रही। इस बीच लोग उसे खूब ताने देते रहे। गांव के लोगों के ताने और तिरस्कार से बाहर भी नहीं निकलती थी।
जब नाबालिग लड़की के गर्भवती होने का शक खत्म हुआ तो गांव के लोगों ने कार्यकत्री को बुलाया। यूरिन जांच में गर्भावस्था की पुष्टि नहीं हुई। उधर, लड़की की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने किशोरी को जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने लड़की को प्रयागराज भेज दिया।
डॉक्टरों ने इलाज पर डेढ़ लाख रुपयें का खर्च बताया। गरीब परिवार को खाने के लाले पड़े थे,ऐसे में परिवारीजनों ने इतनी बड़ी रकम देने में खुद को असमर्थ बताया तो डॉक्टरों ने लड़की को केजीएमयू लखनऊ भेज दिया। प्रतापगढ़ की कम्युनिटी हेल्थ आफीसर निकिता यादव ने किशोरी को केजीएमयू लखनऊ भेजा। किशोरी की मदद और इलाज में रुचि दिखायी।
केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने किशोरी की जांचें कराईं। 8 अगस्त को किशोरी भर्ती हुई, केजीएमयू प्रशासन ने सारी जांच, भर्ती शुल्क माफ कर दिया। डॉ. सुरेश ने बताया कि अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन समेत खून की कई तरह की जांच कराई गई। जांच में पेट में पता चला कि लड़की के पेट में ट्यूमर है। इसके बाद केजीएमयू के डॉ. सुरेश ने ऑपरेशन का फैसला किया। 11 अगस्त को ऑपरेशन कर ट्यूमर निकाला गया। ऑपरेशन के बाद किशोरी स्वास्थ्य है। केजीएमयू प्रशासन ने जांच और दवाएं आदि मुहैया कराईं।
अब लड़की फिर करेगी पढ़ाई
डॉ. सुरेश ने डिस्चार्ज के बाद महिला को घर तक जाने का किराया और भोजन आदि के लिए भी मदद की। डिस्चार्ज के बाद किशोरी रुचि(17) ने फिर से पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की है। किशोरी 8वीं में पढ़ाई करती है और वह आगे भी पढ़ना चाहती है। सामाजिक संगठनों से मांग की आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश दिलवाया जाये। लड़की की मां चाहती है कि उसे सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए।
केजीएमयू में मुफ्त इलाज
केजीएमयू के प्रवक्ता सुधीर सिंह ने बताया गरीब मरीजों को केजीएमयू में मुफ्त इलाज मुहैया कराया जा रहा है। इस लड़की को भी मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया है। इसमें जांच, ऑपरेशन और दवा आदि शामिल है। ऐसे मरीजों की मदद के लिए केजीएमयू प्रशासन हमेशा तैयार है।