प्रयागराज में 3 साल की बच्ची की मौत के लिए जिम्मेदार अस्पताल मालिक का CM योगी के साथ फोटो वायरल

आप सांसद संजय सिंह कहते हैं, ये है वो गिरधर गुलाटी जिसके प्राइवेट अस्पताल में तीन साल की मासूम बच्ची ख़ुशी मिश्रा को पैसा न होने के कारण अस्पताल से निकाल दिया गया और उस मासूम ने दम तोड़ दिया....

Update: 2021-03-08 09:35 GMT

photo : social media

जनज्वार, लखनऊ। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आज एक ट्वीट करके लड़कियों महिलाओं के लिए चलाए जा रहे मिशन शक्ति के दूसरे चरण के शुभारंभ होने की बात कही है।

अपने ट्वीट में योगी आदित्यनाथ ने लिखा कि 'प्रदेश की नारी शक्ति की सुरक्षा, सम्मान, स्वावलंबन एवं सर्वांगीण उन्नयन के लिए @UPGovt प्रतिबद्ध है। उसी क्रम में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 'मिशन शक्ति' के द्वितीय चरण का शुभारंभ हो रहा है। आइए, हम सभी 'मिशन शक्ति' के उद्देश्यों की सफलता हेतु सहभागी बनें।'

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्वीट करने के बाद आप सांसद संजय सिंह का भी एक ट्वीट सामने आया, जिसमें उन्होने लिखा है कि 'ये है वो गिरधर गुलाटी जिसके प्राइवेट अस्पताल में तीन साल की मासूम बच्ची ख़ुशी मिश्रा को पैसा न होने के कारण अस्पताल से निकाल दिया गया और उस मासूम ने दम तोड़ दिया प्राइवेट अस्पतालों की लूट पर कार्यवाही कैसे होगी अगर प्रदेश के मुखिया ही साथ हैं। #ख़ुशीकोन्याय_दो।'

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित एक बड़े अस्पताल के डॉक्‍टरों की संवेदनहीनता पर सोशल मीडिया पर ढेरों सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि तीन साल की बच्‍ची के घरवालों ने जब पांच लाख की रकम देने में असमर्थता जाहिर की तो बच्‍ची को ऑपरेशन टेबल से उसी हाल में वापस कर दिया गया। डॉक्‍टरों ने मासूम का पेट सिले बगैर ही उसे घरवालों को सौंप दिया, जिसके बाद बच्‍ची की मौत हो गई। इस पूरे मामले में डीएम ने एक टीम बनाकर जांच के आदेश दे दिए हैं।

प्रयागराज के रावतपुर स्थित यूनाइटेड मेडिसिटी अस्‍पताल के वाइस चेयरमैन सतपाल गुलाटी का कहना था कि हमारे डॉक्‍टरों ने बच्‍ची के पेट में टांके लगा दिए थे। इसके बाद जब उसका किसी और अस्‍पताल में इलाज किया रहा था, तो उन्‍होंने इसकी जांच की होगी और इस दौरान पेट के टांके खुल गए होंगे। यह भी हो सकता है कि वहां के डॉक्‍टरों ने जांच के लिए टांके काट दिए होंगे। गुलाटी ने कहा 'बच्‍ची 15 दिनों के लिए यूनाइटेड अस्पताल में थी। जब उसकी तबीयत खराब हुई तो उसका ऑपरेशन किया गया, फिर पूरी जांच की गई। गरीब होने के कारण उनसे कोई पैसा नहीं लिया जाता था। जब वह इसके बाद भी ठीक नहीं हुई तो उसे मेडिकल कॉलेज रिफर कर दिया गया। बच्‍ची के परिवारवाले उसे अगले दिन अस्‍पताल से लेकर चले गए।'

बच्ची की मौत के बाद पिता ने आरोप लगाया था कि उनसे बेटी के इलाज के लिए 5 लाख रुपये की मांग की गई थी। बच्ची काफी दिनों से अस्पताल में भर्ती थी और उसके इलाज के लिए इस दौरान पिता डेढ़ लाख रुपये दे चुका था। अस्पताल प्रबंधन ने 5 लाख रुपयों की डिमांड की थी, जिसे वह अपना खेत बेंचकर देने की बात करलह रहे थे। लेकिन मानवता की सीमाएं लांघते हुए अस्पताल प्रबंधन ने बच्ची के पेट मे बगैर टांके लगाए ही उसे अस्पताल से बाहर कर दिया, जहां बाद में उसकी मौत हो गई।

इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने डीएम को पूरे मामले की जांच कराने के साथ अस्‍पताल के डॉक्‍टरों और कर्मचारियों के खिलाफ उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा है। इसके साथ ही बच्‍ची के परिवारवालों को उचित मुआवजा देने के लिए भी कहा गया है। आयोग ने 24 घंटे के भीतर डीएम से इस मामले में कार्रवाई से जुड़ी पूरी रिपोर्ट सौंपने का कहा है। लेकिन अब जब अस्पताल का मालिक सूबे के मुखिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नजर आ रहा है तो कार्रवाई क्या और कब होगी या फाइल ही दबा दी जाएगी देखने वाली बात रहेगी।

Tags:    

Similar News