Modi Varanasi Visit: मोदी के बनारस आगमन के कारण काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कई विभागों की परीक्षाएं रद्द

Modi Varanasi Visit: बनारस में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कई विभागों की परीक्षाएं निरस्त कर दी गई है। शैक्षिक विमर्श का आधार व वजूद जब परीक्षाओं के कैंसिल होने से गुजरता है तो ऐसे में सबसे बड़ा सवाल कि 'वाराणसी डिक्लेरेशन' को कैसे इंडिया भर में लागू किया जाएगा ? काशी विद्यापीठि में एग्जाम कैंसिल किया जाना शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ ही स्टूडेंट्स को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।;

Update: 2022-07-06 10:55 GMT

Modi Varanasi Visit: मोदी के बनारस आगमन के कारण काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कई विभागों की परीक्षाएं रद्द

उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट

Modi Varanasi Visit: उत्तर प्रदेश के बनारस को दुल्हन की तरह सजा और संवार दिया गया है। बड़े जोर-शोर से प्रधानमंत्री मोदी के आगमन और करोड़ों की विकास परियोजनाओं की मुनादी कराई जा रही है। पिछले दो साल में शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में कितना काम हुआ, इसकी सबसे बड़ी समीक्षा वाराणसी में होगी। 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम की इसकी शुरूआत करेंगे। यहां पर भारत की एजुकेशन पॉलिसी-2020 के क्रियान्वयन को बूस्ट करने पर मंत्रणा भी होगी। चौकाने वाली बात यह है कि जहां शिक्षा में सुधार और नई शिक्षा नीति के कारगर इम्प्लीमेंटेशन के लिए मंथन भी किया जाना है। वहीं, बनारस में इस आयोजन को लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कई विभागों की परीक्षाएं निरस्त कर दी गई है। इस वजह से हजारों स्टूडेंट्स को परेशानी तो हो ही रही है। साथ ही पहले से ही बेपटरी चल रहे शैक्षिक सत्र को पटरी पर लाने के लिए की जाने वाली कवायदों को भी बड़ा धक्का लगा है। बहरहाल, शैक्षिक विमर्श का आधार व वजूद जब परीक्षाओं के कैंसिल होने से गुजरता है तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि 'वाराणसी डिक्लेरेशन' को कैसे इंडिया भर में लागू किया जाएगा ? काशी विद्यापीठि में एग्जाम कैंसिल किया जाना शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।


महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय व इससे संबद्ध रखने वाले सैकड़ों महाविद्यालयों में एजुकेशन सत्र पहले से ही देरी से चल रहा है। कोविड से उबरने के बाद विवि प्रशासन ने सत्र की टाइमिंग को पटरी पर वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन, हाल ही में वीवीआईपी मूवमेंट की वजह से दोबारा एग्जाम कैंसिल किए जाने से हजारों की तादात में स्टूडेंट को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यदि ऐसे ही वीआईपी मूवमेंट की वजह से एग्जाम कैंसिल होते रहेंगे तो लेट-लतीफ एजुकेशन सत्र कैसे पटरी पर लौटेगी? काशी विद्यापीठ में 6, 7 और 8 जुलाई को होने वाले कई एग्जाम को पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी आगमन के चलते कैंसिल कर दिया गया है। इन परीक्षाओं की डेट क्रमश: 14, 16 और 18 जुलाई निर्धारित की गई है। फिलहाल, शहर में उच्चस्तरीय शैक्षिक संस्थान भी राजनीतिक गतिविधियों व मूवमेंट से अब दूर नहीं रह गए हैैं।

तैयारी पर पड़ता है असर

स्टूडेंट सतीश कुमार सिंह का कहना है कि जुलाई आ गई है और इवन सेमेस्टर का अभी एग्जाम ही चल रहा है। ऐसे में नेताओं व मंत्रियों के आगमन का असर अब विवि के कैंपस में दिखने लगा है। विवि के अधिकारी अन्य परीक्षाओं का हवाला देकर एग्जाम कैंसिल कर देते हैैं। इससे हमारी तैयारी और हौसला डाउन होता है। विवि प्रशासन का जब मन होता है. स्टूडेंट्स की परीक्षाओं को कैंसिल कर दिया जाता है। एक बार भी छात्र-छात्रों की राय नहीं ली जाती है। ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन भी राजनीतिक दबाव के आगे घुटने तक दिया है। कुछ जानकारी लेने पर बताया जाता है कि ऊपर से दबाव है। ऐसा कौन सा दबाव है कि अब राजनीतिक आंच यूनिवर्सिटी में भी पहुँचने लगी है। इस कार्यक्रम और एग्जाम के रद्द किए जाने से विवि की छवि और साख पर भी सवाल खड़े होते हैं. ऐसा यह पहली दफा नहीं है। इससे भी पहले कई बार परीक्षाओं को रद्द किया जा चुका है।


कब सुधरेंगे हालात

काशी विद्यापीठ में यह पहली दफा नहीं है। विवि प्रशासन जब तब अपने सुविधा अनुसार परीक्षाओं को कैंसिल कर देता है। हालांकि, कई बार कारण वाजिब होते हैैं, लेकिन, हाल के दिनों में वीवीआईपी मूवमेंट का असर कैंपस पर भी देखने को मिल रहा है, यह किसी भी तरह से उचित नहीं है. परीक्षा रद्द होने के सवाल पर छात्रा सीमा कहतीं हैं कि वे कौन सी वजहें हैं, जिनके चलते तय समय पर विवि परीक्षा नहीं करा रहा है। सडेनली एग्जाम के कैंसिल किए जाने से छात्राओं व छात्रों परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसमें भी जो स्टूडेंट आसपास के जनपदों से पढ़ने और एग्जाम देने आते हैं। ऐसे लोगों पर क्या बितती होगी ? प्रशासन कभी भी इनके बारे में नहीं सोचा होगा ? बेहतर होता कि विवि अपनी समय पर परीक्षा कराये। क्या नई शिक्षा नीति का कैंसिल वाला मॉडल पूरे देश में लागू कराया जाएगा ? जिम्मेदारों को इन विषयों पर भी ध्यान देना चाहिए।

इन सब्जेक्ट के कैंसिल हुए एग्जाम

  1. बीए आनर्स मॉस कॉम प्रथम वर्ष - कैंसिल
  2. बीए आनर्स मॉस कॉम सेकेंड- कैंसिल
  3. बीए मॉस कॉम थर्ड ईयर - कैंसिल
  4. पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग - कैंसिल

नई शिक्षा नीति और विवि की साख

काशी विद्यापीठ के छात्र नेता रविंद्र सिंह पटेल कहते हैं कि वीआईपी मूवमेंट ठीक है। वाराणसी में हर तीसरे चौथे दिन वीवीआईपी आते-जाते रहते हैं। अब क्या काशी विद्यापीठ प्रशासन इनके आने-जाने पर भी परीक्षाओं को रद्द करेगी। सवाल यह है कि जब शिक्षा में सुधार के लिए मंथन करने देश भर से आला दर्जे के विद्वान काशी आ रहे यह कितनी अच्छी बात है। लेकिन कुछ जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा समागम की भद्द पीट रही है। इधर, एग्जाम के कैंसिल होने से कई प्रकार की दिक्कतें बढ़ जाती हैैं। बेहतर होता कि विवि प्रशासन जारी तिथियों पर परीक्षा कराने की प्रतिबद्धता जताए, ताकि सैकड़ों स्टूडेंट को परेशान नहीं होना पड़े। हाल के वर्षों में कई बार परीक्षाओं के डेट एक्सटेंड हुए हैैं। पहले से लेट चल रहे सत्र को पटरी पर लाने में विवि प्रशासन आखिर कैसे कामयाब हो पाएगा। इनके जवाब पर स्टूडेंट सीमा, आशीष समेत कई लोगों ने सहमति जताई है।


अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा मंथन !

वाराणसी में गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम की इसकी शुरूआत करेंगे। यहां पर भारत की एजुकेशन पॉलिसी-2020 के क्रियान्वयन को बूस्ट करने पर मंत्रणा भी होगी। शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर यह कांफ्रेंस करने वाली यूजीसी के करीब 50 लोगों की टीम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय पहुंच चुकी है। तीन दिन का यह कार्यक्रम 12 सत्रों में होगा। इसमें भारत भर की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी, वैज्ञानिक संस्थानों के डायरेक्टर्स, आईआईटियंस, आईआईएम और मंत्रालयों से 325 शिक्षाविदों की टीम वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में तीन दिन शिक्षा नीति के क्वालिटी पर डिस्कसन करेगी। साथ में संस्थानों द्वारा अपनी सक्सेज स्टोरीज भी सांझा की जाएंगी। यूजीसी के सेक्रेटरी प्रो. रजनीश जैन ने बताया कि आईआईटी, आईआईएम समेत देश भर के शिक्षाविदों द्वारा जो सहमति और सलाह दी जाएगी, वाराणसी डिक्लेरेशन के नाम से उसका एक डॉक्यूमेंट तैयार करेंगे। उसके आधार पर हम यह देखेंगे कि हमें किन-किन एरियाज पर फोकस करना है। वहीं यह डॉक्यूमेंट देश के शिक्षण संस्थानों में भेजकर लागू भी कराया जाएगा।

तो देश भर में लागू वाराणसी डिक्लेरेशन !

प्रो. जैन ने बताया कि शिक्षा नीति को लेकर लोगों में जो भी कन्फ्यूजन और संदेह है, यहां पर सब कुछ खत्म होगा। रिसर्च, इनोवेशन, और एंटरप्रेन्योरशिप के साथ ही डिजिटल एंपॉवरमेंट, क्वालिटी, रैंकिंग, एक्रीडेशन, शिक्षा जगत से जुड़ी सक्सेज स्टोरीज पर प्रजेंटेशन होंगे। हमारे विश्वविद्यालयों को टॉप 200 रैंकिंग में लाने के लिए भी योजना तैयार होगी। वहीं, स्टूडेंट रजत प्रताप सिंह ने बताया कि हर शैक्षिक संस्था की अपनी साख और कमिटमेंट होता है। काशी विद्यापीठ का इतिहास और प्रासंगिकता बहुआयामी है। लिहाजा, विवि के परीक्षा से जुड़े अधिकारी तय समय पर एग्जाम कराने की प्रतिबद्धता दिखाएं। बीएचयू की तरह यहां भी एग्जाम अब समय पर होने चाहिए। वीआईपी मूवमेंट आदि को कैंपस दूर रखना चाहिए। शैक्षणिक सत्र के लेट-लताफ होने की वजह से लाखों स्टूडेंट व इनके पैरेंट्स को कई प्रकार की दिक्कतें होती हैैं। इन अस्पेक्ट का भी विवि को ख्याल रखना चाहिए।


गोल-गोल जवाब

परीक्षा रद्द किए जाने सवाल पर महात्मा काशी विवि के पीआरओ डॉ नवरत्न सिंह ने जवाब देने में आनाकानी की. फिर कड़ाई से पूछने पर कहा कि पीएम मोदी की विजिट और विवि में बीएड प्रवेश परीक्षा को लेकर कुछ एग्जाम को कैंसिल किया गया है। इनमें से कइयों की डेट भी जारी कर दी गई हैै। जल्द ही इन तिथियों पर एग्जाम करा लिया जाएगा। विवि के एजुकेशन सत्र को सुधारने के लिए कोशिश जारी है।

सरोकारी मुद्दों से भाग रही सरकार

शैक्षिक मुद्दों पर खुलकर के विचार रखने वाले एक्टिविस्ट वैभव त्रिपाठी कहते हैं कि 'पीएम मोदी का प्रोग्राम भले ही बनारस में हो, लेकिन वह बीजेपी का एक इवेंट बनकर रह जाता है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा समागम का आयोजन भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विचार-विमर्श करने के लिए किया गया है। देशभर के चुनिंदा विद्वान इस पर चर्चा करने वाले हैं। आप देखेंगे तो पाएंगे कि मोदी इवेंट की आड़ में विश्वविद्यालय के एग्जाम कैंसिल कर दिए गए हैं। इससे सैकड़ों छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है। अमूमन यह सरकार पहले से ही शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, महंगाई समेत कई मुद्दों पर काम नहीं कर रही है और जनता को सिर्फ गुमराह करने में लगी है। ऐसे में शिक्षा बचा हुआ था तो शिक्षा पर भी इसने करारा प्रहार करते हुए नई शिक्षा नीति को लागू कर दी, जो पहले से ही सवालों के घेरे में है। '


वैभव आगे कहते हैं कि 'नई शिक्षा नीति के द्वारा जाति आधारित शिक्षा और कारपोरेट को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे न सिर्फ गरीब, वंचित और हाशिए पर खड़े समाज के बच्चे पढ़ाई से दूर होंगे, बल्कि इनकी पढ़ाई भी छूट जाएगी। वहीं, कारपोरेट शिक्षा में निवेश कर दस गुना से अधिक मुनाफा कमाएंगे और शिक्षा का बाजारीकरण हो जाएगा।जिसका लाभ छात्रों को मिलेगा और ना ही ग्रामीण या फिर विकासशील होती जनसंख्या के आबादी को मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन के लिए किया जाने वाला समागम अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा समागम के वजूद ही सवाल कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इसका जवाब न कोई अधिकारी जवाब दे पा रहा है ना ही कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का शानदार इतिहास रहा है लेकिन अब इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप की जा रही है। जिससे यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर जो सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं, वह हकीकत से कोसों दूर है।'

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