Moradabad Group Namaz case canceled : मुरादाबाद में सामूहिक नमाज के खिलाफ दर्ज FIR रद्द, जांच में पुलिस को नहीं मिले सबूत
Moradabad Group Namaz case canceled : दूल्लेपुर गांव निवासी चन्द्रपाल ने सामूहिक नमाज पढ़ने को लेकर छजलैट थाने में 26 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
Moradabad Group Namaz case canceled : करीब एक माह पूर्व उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के मुरादाबाद ( Moradabad ) से सामूहिक नमाज ( Group Namaz ) का मामला सामने आया था। मुरादाबाद के छजलैट थाना क्षेत्र में दूल्लेपुर गांव में ग्रुप नजाम को वीडिया वायरल होने के बाद पुलिस ने 26 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज ( FIR ) किया था। इस मामले की जांच में पुलिस को ग्रुप नमाज के सबूत नहीं मिले। सबूत न मिलने के बाद जिला पुलिस ने इस मामले में दर्ज मुकदमे को रद्द कर दिया है।
सामूहिक नमाज मामले में यूपी पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है। मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस दावा कर रही थी कि कुछ लोगों ने समाज में शत्रुता, घृणा, वैमनष्यता की भावना उत्पन्न करने के उद्देश्य से सामूहिक रूप से जगह जगह बदल बदलकर नमाज अदा की, आज वही पुलिस इस पूरे मामले को गलत बता रही है। गलत ही नहीं बता रही, बल्कि पूरे मुकदमे को ही खारिज कर दिया है। संप्रदाय विशेष्ज्ञ के उन 26 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस ले लिया है, जिन्हें माहौल खराब करने वाला ठहराया जा रहा था।
मुरादाबाद ( Moradabad News ) के एसएसपी हेमंत कुटियाल ने बताया कि जांच के दौरान इस मामले में कोई साक्ष्य नहीं मिले। अब पुलिस ने इस मामले में मय जुर्म खारिजा रिपोर्ट समाप्त करने का फैसला लिया है। बता दें कि ग्रूप नमाज को फोटो वायलर होने पर क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो हुई थी, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस की सतर्कता की वजह से हिंसक घटना में तब्दील नहीं हुई। ग्रुप नमाज को लेकर खबर प्रकाशित होने के बाद इस मामले में जिला पुलिस ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की थी। इस मामले में दूल्लेपुर गांव निवासी चन्द्रपाल ने सामूहिक नमाज पढ़ने को लेकर छजलैट थाने में 26 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
ओवैसी ने पुलिस FIR को बताया था अन्याय
मुरादाबाद में सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने को लेकर 26 आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के मामले में एआइएमआइएम अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। साथ ही उन्होंने बयान जारी कर पुलिस कार्रवाई को मुसलमानों के खिलाफ अन्याय करार दिया था। ओवैसी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कहीं पर भी नमाज पढ़ने का अधिकार दिया है। पुलिस के द्वारा की गई कार्रवाई अन्याय हैं।
यूपी के डीजीपी ने इस मामले में अपनाया था सख्त रुख
इस मामले में यूपी डीजीपी कार्यालय ने स्थानीय पुलिस अफसरों से रिपोर्ट से मांगी थी। इसके साथ ही एक माह देरी से अभियोग पंजीकृत करने पर भी सवाल पूछा था। बता दें कि छजलैट थाना क्षेत्र के दूल्हेपुर गांव में दूसरे संप्रदाय का कोई धार्मिक स्थल नहीं हैं। यहां पर दूसरे संप्रदाय के दो लोगों के घरों में एकत्र होकर बीते दो माह से सामूहिक रूप से नमाज पढ़ी जा रही थी, जिसके बाद गांव के लोगों ने विरोध जताया था।
यू है पूरा मामला
बता दें कि दूल्लेपुर गांव के सामूहिक नमाज के विवाद को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मध्यस्थता कराकर मामले को शांत करा दिया था। इसके बाद दोनों पक्षों की सहमति पर सामूहिक नमाज नहीं पढ़ने का निर्णय लिया गया था लेकिन बीते 24 अगस्त को गांव के निवासी अनवार और मुस्कीम के घर में दूसरे संप्रदाय के लोगों ने समझौते को तोड़कर एकत्र होकर सामूहिक रूप से नमाज पढ़ी। इस बात को लेकर दूसरे पक्ष के लोगों ने कड़ा विरोध करते हुए थाना पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर छजलैट थाना प्रभारी दीपक मलिक गांव में पहुंचकर मामले की पुष्टि की। जांच के बाद उन्होंने इस मामले में चंद्रपाल की तहरीर पर अभियोग पंजीकृत करने की कार्रवाई की गई थी। इस मामले में छजलैट थाना क्षेत्र के दूल्हेपुर गांव निवासी वाहिद, मुस्तकीम, शहीद जाकिर अली, शेर रमजानी, मुहम्मद अली, मुहम्मद अली, हनीफ, शौकीन, सलीम, नूरा, असलम सहित 26 के खिलाफ अभियोग पंजीकृत किया था।