मोदी के बनारस की आबादी 40 लाख, लेकिन कोरोना टेस्ट हो गया 42 लाख का

वाराणसी में आबादी से अधिक कोरोना जांच होने पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी का तर्क है कि रिपीट जांच हो सकती है और वे अपने स्टैंड पर कायम हैं, जबकि हकीकत यह है कि कई इलाकों में जांच करने वाले पहुंचे भी नहीं हैं...

Update: 2020-08-18 11:50 GMT

जनज्वार, वाराणसी। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण और उसकी रोकथाम को लेकर लगातार एक बड़ा दावा पेश किया जा रहा है। ये दावा कोई और नहीं बल्कि खुद स्वास्थ्य महकमा कर रहा है। वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के स्वास्थ्य विभाग तो प्रदेश से कई कदम आगे बढ़ गया है। जिसके चलते उसने वाराणसी की पूरी आबादी से ही अधिक लोगों की जांच कर डाली है। दैनिक जागरण डॉट कॉम के 16 तारीख में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी की पूरी आबादी 40 लाख होने के बावजूद जो जांच का आंकड़ा दिखाया गया है वह 42.5 लाख का है। 

यानी इसका मतलब यह हुआ कि आबादी से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि हैरान करने वाली इस रिपोर्ट में जिले की आबादी से ज्यादा लोगों की स्वास्थ्य जांच कर लिए जाने का दावा किया जा रहा है। जिसको लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। अब ये तो कोई अनपढ़ भी सवाल कर देगा कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है जो स्वास्थ्य विभाग जिले की जनसंख्या से अधिक लोगों की स्वास्थ्य जांच कर ले, बावजूद इसके संक्रमण की दर भी थमने का नाम नहीं ले रही है।

इस बारे में जब जनज्वार ने वाराणसी के सीएमओ डॉ वीवी सिंह से बात की तो 1 बजे से मीटिंग में बैठे सीएमओ रात 9 बजे फ्री हुए। जब संवदादाता ने आबादी से अधिक लोगों की जांच हो चुकने के संबंध में पूछा तो पहले सीएमओ ने कहा कि हो सकता है उनसे खबर छापने में गलती हो गई हो। इस पर जनज्वार संवाददाता ने कहा तो क्या जागरण ने गलत रिपोर्ट छापी है जिस पर उनने जवाब दिया कि हर बार जब जांच होती है तो पापुलेशन में फर्क आ जाता है। टीम जाती है घर-घर लोगों की जांच करती है। 15-15 दिन के अंतराल में नम्बर ऑफ पेशेंट तो बढ़ते ही रहते हैं। जैसे आज तक की जांच का आंकड़ा तो 44 लाख पहुंच गया है। तो आप ये लिख दें कि आबादी इतनी, जांच इतनी।

आबादी से अधिक हो गई जांच

दैनिक जागरण डॉट कॉम के मुताबिक सरकारी आंकड़ों में ही जब बनारस जिले की पूरी आबादी 40 लाख के करीब है तब ऐसे में 42 लाख से जादा लोगों के स्वास्थ्य की जांच आखिर कैसे कर ली गई। जबकि सच्चाई यह है कि ज्यादातर क्षेत्रों में लोगों की जांच की ही नहीं गई। ग्रामीण या शहरी क्षेत्र और वहां के लोगों का कहना है की जांच तो दूर की बात उनके यहां स्वास्थ्य विभाग के लोग अभी तक जानकारी लेने तक नहीं आए। जहां गए भी तो घर के बाहर खड़े होकर परिवार के सदस्यों की महज गिनती भर पूछकर चले गए। इसका साफ मतलब तो यह है कि सर्विलांस अभियान में लगी एक हजार टीमें या तो स्वास्थ्य विभाग को गुमराह कर रही हैं या फिर आम जनता को।

इस रिपोर्ट के जवाब में सीएमओ वीवी सिंह ने कहा कि हो सकता है जिसने छापा है वह पूरी तरह से बात समझ न पाया हो। सीएमओ ने बताया कि कोरोना के साथ साथ हम शुगर, अस्थमा इत्यादि की भी जांच कर रहे हैं। कई बार कुछ मैगरैंट्स बाहर से आते हैं। या किसी की कभी दोबारा जांच हो जाती है तो उन्हें जोड़ा तो जाएगा ही। यही जांचें जब रिपीट होती हैं तो संख्या बढ़ जाती है। जिसका पापुलेशन से कोई लेना-देना नहीं होता है। ये रिपोर्ट नम्बर ऑफ पेशेंट के मुताबिक बनाई जाती है।

वहीं, डीएम कौशल राज शर्मा जनसंख्या से अधिक लोगों की कोरोना जांच का दावा किये जाने जैसी चूक के बारे में पूछने पर जनज्वार से कहा, 'हम तमाम गैर संस्थानों के लोगों की सेवाएं भी ले रहे हैं। जिनसे किसी प्रकार की कागजी अथवा लिपिकीय भूल हो गई हो जब ये आंकड़े आए। आवश्यक्तानुसार जांच करवाकर इसे सुधारा जाएगा। किसी भी स्तर पर मानव या अन्य चिकित्सा संसाधनों की कोई भी कमी नहीं होने दी जाएगी। सभी के सहयोग से आगे बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण पर जल्द ही काबू करने का हर संभव प्रयास लगातार कर रहे हैं'।

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