'शाम को बाहर न जाती पीड़िता तो नहीं होती घटना', बदायूं गैंगरेप पर NCW की सदस्य का शर्मनाक बयान

चंद्रमुखी देवी ने कहा था कि महिलाओं को कभी भी किसी के प्रभाव में समय-असमय नहीं पहुंचना चाहिए। यदि शाम के समय वो महिला नहीं गई होती या परिवार का कोई सदस्य साथ में होता तो शायद ऐसी घटना नहीं घटती....;

Update: 2021-01-08 09:03 GMT
शाम को बाहर न जाती पीड़िता तो नहीं होती घटना, बदायूं गैंगरेप पर NCW की सदस्य का शर्मनाक बयान

तस्वीर में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी (बांए) और बदायूं रेप घटनास्थल (दांए)

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जनज्वार ब्यूरो। राष्‍ट्रीय महिला आयोग की सदस्‍य चंद्रमुखी देवी गुरुवार 7 जनवरी को बदायूं गैंगरेप कांड की पीड़िता के परिवार से मिलने पहुंची। इस दौरान उन्होंने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर इस मामले में सही समय पर सही कार्रवाई की गई होती तो पीड़िता की जान बच सकती थी।

हालांकि चंद्रमुखी देवी ने साथ ही महिला के शाम को घर से बाहर निकलने को लेकर भी सवाल खड़ा कर दिया जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसके बाद में चंद्रमुखी देवी ने एक वीडियो जारी कर इस पर अपनी सफाई दी। उन्‍होंने कहा कि बदायूं कांड को लेकर विभिन्न चैनलों में बयान देखा कि महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए लेकिन मैंने इस संदर्भ में ऐसी कोई बात नहीं कही।

चंद्रमुखी देवी ने कहा था कि महिलाओं को कभी भी किसी के प्रभाव में समय-असमय नहीं पहुंचना चाहिए। यदि शाम के समय वो महिला नहीं गई होती या परिवार का कोई सदस्य साथ में होता तो शायद ऐसी घटना नहीं घटती। लेकिन ये सुनियोजित था, क्योंकि उसको फोन कर बुलाया गया। वो वहां गई। इस बयान के सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया। कुछ संगठनों ने उनकी आलोचना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। उन्हें पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की बात करनी चाहिए थी। विवादित बयान देकर महिलाओं का अपमान किया है।

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चंद्रमुखी देवी ने वीडियो जारी कर कहा कि यदि कहीं से भी उनके बयान से यह मतलब निकलता है तो वह बयान को वापस ले रही हैं। इसके साथ उन्‍होंने पीड़ित परिवार और महिलाओं से माफी मांगने की बात भी कही।

महिला आयोग की सदस्य ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह उससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने गैंगरेप की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अगर पुलिस चाहती तो महिला की जान बच सकती थी और घटना होने से भी बच सकती थी लेकिन पुलिस हादसा दिखाने के लिए लीपापोती करती रही। महिला 18 घंटे पड़ी रही। पुलिस ने एफआईआर लिखने में देरी की। महिला को जिला अस्पताल समय से नहीं पहुंचाया। आरोपियों पर समय से करवाई नहीं की गई। जिसकी वजह से इतनी बड़ी घटना हो गई। पुलिस की सक्रियता होती तो इतनी बड़ी और दरिंदगी वाली घटना नहीं होती। कहा कि महिलाओं को लेकर सरकार तो गंभीर है।

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