न्यूज़ चैनलों में पुलिस की नाकामी देखकर खुश होता था विकास दुबे, दबोचे गए बिकरु कांड के सभी मददगार

बिकरू कांड जैसी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद विकास दुबे का बचकर भाग निकलना रहस्य बना हुआ था, फरार होने के दौरान वह कहां रहा, कैसे फरार हुआ, अब इन सभी बातों से भी रहस्य खोल दिया गया है...

Update: 2021-03-02 03:32 GMT

जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश में अब तक के सबसे चर्चित रहे बिकरू कांड के आठवें दिन भले ही विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया था, लेकिन इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद उसका बचकर भाग निकलना रहस्य बना हुआ था। फरार होने के दौरान वह कहां रहा, कैसे फरार हुआ, अब इन सभी बातों से भी रहस्य खोल दिया गया है। साथ ही एसटीएफ ने बिकरु कांड के सभी मददगारों को असलहों सहित दबोच भी लिया है।

सोमवार 1 मार्च को एसटीएफ ने इस रहस्य से भी पर्दा उठा दिया। एसटीएफ ने फरारी के समय विकास के मददगार और आश्रय देने वालों सहित सात लोगों को गिरफ्तार करके पूरी हकीकत सामने रख दी है। सोमवार 1 मार्च को एसटीएफ एडीजी अमिताभ यश ने गिरफ्तार विकास के सहयोगियों के बारे में जानकारी दी। उनके मुताबिक सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा बिकरू गांव से भागकर शिवली पुल के पास जाकर छुप गए थे।

इस दौरान प्रभात मिश्रा ने अपने मित्र विष्णु कश्यप से संपर्क किया और उसे शिवली नदी के पास बुलाया। इस पर विष्णु कश्यप शिवली निवासी अपने दोस्त छोटू की स्विफ्ट डिजायर कार लेकर आया। विष्णु से प्रभात ने तीन गमछे और पानी भी मंगाया था। कार में अभियुक्तों को बिठाकर हथियार रखे गए। इसके बाद सभी अभियुक्त विष्णु कश्यप के बहनोई रामजी उर्फ राधे के घर तुलसीनगर रसूलाबाद पहुंचे।

रसूलाबाद में रामजी के घर पर बने तहखाने में सभी छिप गए। यहां से अभिषेक उर्फ छोटू अपनी कार लेकर वापस चला गया। पुलिस के मुताबिक 3 जुलाई 2020 की दोपहर लगभग 12 से 1 बजे के बीच रामजी उर्फ राधे अपनी मोटरसाइकिल से अमर दुबे को रसूलाबाद से करिया झाला में संजय परिहार उर्फ टिंकू की बगिया ले गया। वहां पर संजय परिहार, अभिनव तिवारी, अर्पित मिश्रा, विक्की यादव, अमन शुक्ला और मोहन अवस्थी मौजूद थे।

अमर दुबे ने उत्तम मिश्रा से रुकवाने की व्यवस्था करने के लिए कहा था। उसने अमर दुबे को अपने खेत के ट्यूबवेल वाली कोठरी में रुकवा दिया। इसके बाद रामजी और अभिनव तिवारी दो मोटरसाइकिल से तुलसी नगर रसूलाबाद लौट गए। पुलिस के मुताबिक रसूलाबाद तुलसी नगर में विकास दुबे और प्रभात मिश्रा ठहरे थे। उसी दिन शाम पांच बजे छोटे हथियारों को साथ लेकर दोनों मोटरसाइकिल से उत्तम मिश्रा के ट्यूबवेल पर गए।

विकास दुबे ने झींझक में कमरे की व्यवस्था करने के लिए कहा, लेकिन व्यवस्था नहीं हो सकी। इस बीच विकास दुबे दैनिक अखबार मंगाकर पढ़ता रहा और आगे की रणनीति बनाता रहा। पांच जुलाई की शाम को शुभम पाल की ओमनी कार से विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा को औरैया बस स्टैंड तक छोड़ा गया। यहां से तीनों फरीदाबाद हरियाणा पहुंचे।

न्यूज़ चैनल देख खुश होता था डॉन

एसटीएफ के मुताबिक 5 तारीख को सभी फरीदाबाद के लिए रवाना हुए। इससे पहले यह लोग मोबाइल पर लगातार न्यूज़ चैनल देखते थे। चैनल में पुलिस की नाकामी देखकर सभी खुश होते थे। सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की खबर पर सबसे ज्यादा विकास खुश हुआ था। पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि सभी पहले झींझक में ही रुकना चाहते थे, लेकिन यहां इंतजाम ना होने की वजह से मंगलपुर चले गए।

हालांकि, एसटीएफ के मुताबिक फरीदाबाद से विकास दुबे महाकाल के मंदिर कैसे पहुंचा, इसकी कड़ी अभी तक नहीं मिली है। इस बारे में भी सूत्रों की तलाश की जा रही है।

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