UP के सोनभद्र में न्यूज 18 और इंडिया वॉच के पत्रकारों पर हमला, पीड़ित पत्रकार का दावा दबाया जा रहा बड़ा घोटाला
राबर्ट्सगंज कोतवाली के लोढी टोल प्लाजा का मामला, कवरेज कर पहे पत्रकारों को टोल प्लाजा कर्मियों ने लाठी-डंडों और असलहों से लैस लोगों से करवाया हमला, गुस्साये पत्रकार रिपोर्ट दर्ज करवाने बैठे राबर्ट्सगंज कोतवाली में धरने पर...
संतोष देव गिरि की रिपोर्ट
जनज्वार, सोनभद्र। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। सच्चाई को उजागर करने के लिए पत्रकारों को हरसंभव आगे बढ़ने से रोका जा रहा है, हद तो यह है कि उन पर हमले भी हो रहे हैं।
ताजा मामला प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित तथा राज्य को सर्वाधिक राजस्व देने वाले सोनभद्र जनपद से जुड़ा हुआ है, जहां सोनभद्र के सदर कोतवाली क्षेत्र के लोढ़ी टोल प्लाजा पर अवैध परमिट के जरिए परिवहन करने वाले वाहनों की खबर कवरेज करने गए पत्रकारों की टीम पर लोढ़ी टोल प्लाजा कर्मियों ने हमला बोल दिया। इस हमले से आक्रोशित तथा किसी प्रकार वहां से जान बचाकर भागे मीडियाकर्मियों ने पुलिस को सूचना देने के बाद राबर्ट्सगंज कोतवाली प्रांगण में धरने पर बैठ गए। लोढ़ी टोल प्लाजा पर पत्रकारों को जान से मारने की धमकी एवं मारपीट की घटना से इनमें आक्रोश व्याप्त है।
घटनाक्रम के मुताबिक रंगेश सिंह न्यूज 18 व अशोक चौबे इंडिया वॉच के सोनभद्र संवाददाता हैं, जो 14 अक्टूबर 2020 को दोपहर में टोल प्लाजा लोढ़ी से अवैध परमिट की गाड़ियों के परिवहन की सूचना मिलने पर टीम के साथ खबर कवरेज करने गए थे, तभी वहां पर असलहे से लैस एक बोलेरो व स्कॉर्पियो से एक दर्जन लोग पहुंचे।
हमलावरों में धर्मेंद्र तिवारी निवासी ग्राम बहुआर निवासी व लक्की श्रीवास्तव निवासी चुर्क जो लाठी डंडों से लैस थे, उन्होंने पत्रकारों पर हमला कर दियां जब तक पत्रकारों की टीम कुछ समझ पाती की सभी ने मिलकर पत्रकारों पर हमला बोल दिया, तथा मां, बहन की गाली देते हुए दौड़ाकर जान से मारने की धमकी देने लगे। मौके से सभी मीडियाकर्मी किसी तरह से जान बचाकर भागे।
किसी प्रकार से 112 नंबर पर तथा पुलिस अधीक्षक सोनभद्र को फोन करके मामले की स्थिति से अवगत कराया गया। बाद में सूचना होने के बाद भी पत्रकारों ने एफआईआर दर्ज न होने पर राबर्ट्सगंज कोतवाली में धरने पर बैठ गए थे। सीओ सिटी राजकुमार त्रिपाठी के आश्वासन पर पत्रकार धरने से उठ गये और तहरीर सौंपी है।
इस घटना को लेकर सोनभद्र सहित आसपास के जनपदों के पत्रकारों ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कार्यवाही की मांग की है। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार अंजान मित्र कहते हैं, योगीराज में पत्रकारों की सुरक्षा का दावा पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है। कोरोना काल में जान की बाजी लगाकर समाचार कवरेज करने वाले पत्रकारों को सम्मान तो दूर की बात रही है सरकार सुरक्षा दे पाने में भी नाकाम साबित हो रही है।
विंध्याचल मंडल के मान्यता प्राप्त पत्रकार मंगल तिवारी ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि पूर्वांचल में पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं की बाढ़ आ गई है। शिकायत के बाद भी कार्रवाई की बात तो दूर है, उल्टे उन्हें और उनके परिवार को भी पुलिसिया दांवपेच में फांसकर आर्थिक व मानसिक की यातनाएं दी जा रही हैं।
पत्रकार ओम प्रकाश गुप्ता कहते हैं, सोनभद्र में लगातार हो रहे पत्रकारों के ऊपर हमले से जनपद के पत्रकार काफी भयभीत नजर आ रहे हैं। पत्रकार अगर किसी भी गलत गतिविधियों के बारे में समाचार प्रकाशित करता है तो वह उन अवैध कारोबारियों का सबसे बड़ा दुश्मन बन जा रहा है।
न्यूज 18 के पीड़ित मीडियाकर्मी रंगेश सिंह ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, बहरहाल इस मामले में बड़ी मशक्कत के बाद बुधवार 14 अक्टूबर को देर रात तकरीबन 9:30 बजे उनका मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। रात्रि में 10 बजे पत्रकारों की एक टीम पुलिस अधीक्षक सोनभद्र से मिलने के लिए उनके आवास पर पहुंची थी, लेकिन उनसे मुलाकात और वार्ता संभव नहीं हो पायी।
वह कहते हैं कि सोनभद्र के लोढ़ी स्थित टोल प्लाजा से नियमित ओवरलोडिंग तथा अवैध वाहनों का आवागमन और परिवहन हो रहा है, यदि इसकी निष्पक्षता से जांच कराई जाएगी तो एक बड़ा भ्रष्टाचार और घोटाला सामने होगा, जिसको छुपाने के लिए टोल प्लाजा के अधिकारी और कर्मी पत्रकारों को इधर फटकना भी नहीं देखना चाहते हैं, बुधवार की घटना भी इसी का एक हिस्सा रहा है।
गौरतलब हो कि सोनभद्र में समाचार कवरेज के दौरान मीडियाकर्मियों पर किया गया हमला यह कोई पहली घटना नहीं है, इसके पूर्व में भी कई घटनाएं घटित हो चुकी है। पूर्व के ही एक मामले में आरटीओ विभाग से संबंधित एक खबर से बौखलाए आरटीओ विभाग के अधिकारियों ने युवा पत्रकार प्रमोद गुप्ता को झूठे मुकदमे में फांस दिया है, जिसका निस्तारण आज तक ना होने के कारण उक्त पत्रकार को आज भी आर्थिक व मानसिक पीड़ा सहनी पड़ रही है।
खनिज संपदा और विद्युत उत्पादन वाले राज्य का सर्वाधिक राजस्व देने वाला सोनभद्र जनपद अपने काले कारनामों और भ्रष्टाचार के लिए भी सुविख्यात है। जहां अवैध खनन और परिवहन से जुड़े हुए मामले नित्य सामने आते रहते हैं। टोल प्लाजा से लेकर परिवहन महकमे का गठजोड़ जगजाहिर है। ऐसे में जब जब इनके इस भ्रष्टाचार को उजागर करने का साहस पत्रकार करते हैं तो विफल करने के लिए खनन माफियाओं से लेकर अराजक तत्वों तक को सक्रिय कर पत्रकारों पर हमला बोल दिया जाता है, जिसका ताजा मामला बुधवार को सभी के सामने आया है। अब देखना यह है कि इस मामले में पुलिस क्या ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करती है? या पूर्व की भांति इसे भी ठंडे बस्ते में डालकर खामोश पड़ जाती है।