Noida Twin Tower Demolition: 28 अगस्त को इतिहास बन जायेगा नोएडा का यह ट्विन टॉवर, आया सुप्रीम फैसला

Noida Twin Tower Demolition: नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर अब 28 अगस्त के बाद इतिहास बन जायेगा। गैरकानूनी और असुरक्षित माने जाने वाले इस बहुचर्चित टावर्स को गिराने के लिए कार्रवाई 28 अगस्त से शुरू की जाएगी।

Update: 2022-08-12 12:06 GMT

Noida Twin Tower Demolition: नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर अब 28 अगस्त के बाद इतिहास बन जायेगा। गैरकानूनी और असुरक्षित माने जाने वाले इस बहुचर्चित टावर्स को गिराने के लिए कार्रवाई 28 अगस्त से शुरू की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विशेषज्ञों की इस रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगा दी है। टॉवर को विस्फोटकों के माध्यम से ब्लास्ट करके गिराया जाना है। प्रशासन की ओर से सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने की पूरी तैयारी पहले ही की जा चुकी है। पहले इस टावर्स को 21 अगस्त को विध्वंस किया जाना था लेकिन नोएडा अथॉरिटी की ओर से शीर्ष अदालत में एक स्टेट रिपोर्ट के माध्यम से विध्वंस से पहले कुछ और तकनीकी काम की जरूरत बताते 28 अगस्त को विस्फोट की इजाजत मांगी थी। अथॉरिटी के मुताबिक टॉवर को गिराने में एक सप्ताह का समय लगने का अनुमान लगाया गया है।

24 से 40 मंजिल बनने पर विवाद खड़ा हुआ इस टॉवर पर

नोएडा के सेक्टर-93ए सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट का ट्विन टावर प्रोजेक्ट पहले 24 मंजिल का था। लेकिन बाद में इसे 40 मंजिल का किया गया। यहीं से इसके विवाद में जाने की शुरुआत हुई।सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए 84273 वर्गमीटर जमीन का आवंटन 2004 और लीज डीड 2005 में हुई। पैमाइश आदि के दौरान प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया। इसकी सपलमेंट्री लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर ने करा ली। टावर-1 से टावर-16 तक का बिल्डिंग प्लान में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 तल बनाने की अनुमति मिली थी। इसके अलावा ग्राउंड के साथ एक तल का एक शॉपिंग काम्प्लेक्स की भी अनुमति मिली थी। अप्रैल 2008 में ग्राउंड के साथ 11 तल के आठ टावरों को कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया गया। उस दौरान 28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन की ओर से नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया गया। पुराने आवंटियों के लिए कुल एफएआर का 33 प्रतिशत तक एफएआर खरीदने की अनुमति मिली थी। यहां से इमारत की ऊंचाई 24 तल और 73 मीटर तक करने की अनुमति मिल गई। इसके बाद तीसरे रिवाइज्ड प्लान में इसकी ऊंचाई 40 और 39 मंजिला के अलावा 121 मीटर तक की अनुमति मिल गई। फिर आरडब्ल्यूए की ओर से हाईकोर्ट का रुख किया गया और 2014 में ट्विन टावर गिराने का फैसला आया। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रक्रिया ऊंची अदालतों में चलती रही। जिसका सुप्रीम निर्णय शुक्रवार को इसके विध्वंस की निर्णायक तारीख के रूप में सामने आया।

कोर्ट ने दिया 4 सितंबर तक का वक्त

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने नोएडा के स्टेटस रिपोर्ट पर सहमति जताने के साथ ही 28 अगस्त को विध्वंस में अगर देरी होने पर टॉवर को ध्वस्त करने के लिए 29 अगस्त से 4 सितंबर तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा उपायों पर नोएडा अथॉरिटी, सीबीआरआई, डेवलपर सुपरटेक, डिमोलिशन फर्म एडिफिस इंजीनियरिंग और उसके दक्षिण अफ्रीकी पार्टनर जेट डिमोलिशन सहित सभी हितधारकों के प्रस्ताव को पढ़ने के बाद यह नई तारीख तय की गई है।

विध्वंस की जिम्मेदारी एडिफिस कंपनी को

सुपरटेक के इस ट्विन टावर को सुरक्षित तौर पर गिराने की जिम्मेदारी एडिफिस इंजीनियरिंग को दी गई है। एडिफिस इससे पहले केरल के कोच्चि में भी अदालत के आदेश पर पर्यावरण के नियमों की अवहेलना करके बनाई गई एक बहुमंजिला इमारत को ढहा चुकी है। लेकिन दिल्ली-एनसीआर में यह पहली बार होगा जब किसी गैर कानूनी निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत को अदालत के आदेश पर विस्फोट के जरिए गिराया जाएगा।

कुछ इस तरह होगा विध्वंस

दोनों टावर को विस्फोटक के माध्यम से गिराया जाएगा। टॉवर में विस्फोटक रखने के लिए दोनों टावर के अलग-अलग फ्लोर के पिलर में 10 हजार सुराख किए गए हैं। इन सभी सुराखों में करीब 3700 किलो विस्फोटक भरा जाना है। जिनके माध्यम से इन टावर्स को गिराया जाएगा।

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