कानपुर में शिलापट्ट पर नाम भाजपा के MP व MLA के लिए बनी नाक की लड़ाई, कांग्रेस बोली - लड़िए मत
कानपुर के शास्त्री नगर सेंट्रल पार्क में हुई मरम्मत के बाद एक शिलालेख लगाया गया है। इस शिलालेख में विधायक गोविंदनगर सुरेंद्र मैथानी का नाम बड़े-बड़े शब्दों में लिखा गया है, जबकि सांसद सत्यदेव पचौरी का नाम मेयर प्रमिला पांडेय, एमएलसी अरुण पाठक और पार्षद के साथ छोटे अक्षरों में अंकित है। इसी बात को लेकर सांसद पचौरी व्याकुल हो गए।
जनज्वार ब्यूरो/कानपुर। शहर के शास्त्री नगर स्थित सेंट्रल पार्क की मरम्मत के बाद लगाए गए शिलापट्ट में लिखे गए छोटे बड़े नामों को लेकर विधायक और सांसद में रार हो रही है। सांसद का कहना है कि नाम लिखने में प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाई गईं। शिलालेख में विधायक का नाम बड़ा-बड़ा तो सांसद का छोटे शब्दों में छोटे नेताओं के साथ नाम लिखा गया है।
दरअसल कानपुर के शास्त्री नगर सेंट्रल पार्क में हुई मरम्मत के बाद एक शिलालेख लगाया गया है। इस शिलालेख में विधायक गोविंदनगर सुरेंद्र मैथानी का नाम बड़े-बड़े शब्दों में लिखा गया है, जबकि सांसद सत्यदेव पचौरी का नाम मेयर प्रमिला पांडेय, एमएलसी अरुण पाठक और पार्षद के साथ छोटे अक्षरों में अंकित है। इसी बात को लेकर सांसद पचौरी व्याकुल हो गए। अब उन्होंने इस पर एतराज जताते हुए केडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह को पत्र लिखा है।
सांसद सत्यदेव पचौरी ने लिखे अपने पत्र में पत्थर पर प्रोटोकॉल के अनुरूप नाम लिखने को कहा है। साथ ही भविष्य में इसकी पुनरावर्त्ति ना हो इसका भी ध्यान रखने के लिए कहा गया है। केडीए वीसी को लिखे पत्र में कहा गया है कि सांसद के प्रतिनिधि ने इस पर आपत्ति जताई थी, जिस पर कोई अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई है। सांसद ने कहा है कि उक्त शिलालेख को संशोधित कराने के निर्देश दें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसा ना हो।
आपको बता दें कि केडीए अवस्थापना निधि के द्वारा सेंट्रल पार्क का जीर्णोद्धार करा रहा है, जिसकी लागत 53.97 लाख रुपये बताई जा रही है। यहां इस काम के लिए लगाए गए पत्थर में विधायक मैथानी का नाम बड़े अक्षरों में तो सांसद पचौरी का नाम तमाम नेताओं के साथ छोटे अक्षरों में लिखाया गया है। जिसपर आपत्ति दर्ज कराई गई है। सांसद पचौरी इससे पहले सीओडी पुल को लेकर भी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं जिसके बाद 13 महीनों के भीतर दूसरी बार पुल का शुभारंभ करवाया गया था।
इस मामले में सांसद का कहना है कि उन्होंने किसी के विरोध में चिट्ठी नहीं भेजी है, बल्कि यह जानने के लिए भेजी है कि प्रोटोकॉल के तहत किसका नाम बड़े अक्षरों में होना चाहिए। सरकारी कामों में कोई भी परंपरा अपने मुताबिक शुरू ना हो इसलिए भी चिट्ठी लिखी गई है। वहीं विधायक मैथानी का कहना है कि उनके द्वारा कराए जा रहे कार्य मे वरिष्ठों का नाम जुड़ता है, तो उनके लिए सम्मान की बात है। इसके लिए यदि कोई त्रुटि हुई है तो मैं अपने वरिष्ठ नेता से जाकर माफी मांग लूंगा।
इस मामले में पूर्व कांग्रेस विधायक संजीव दरियाबादी ने 'जनज्वार' से बात करते हुए कहा कि ये इनके आपस का विवाद है। किसका नाम छोटा रह गया किसका बड़ा हुआ, बाद में देखना था। पहले जनता को जो विकास कराने का सपना दिखाया जा रहा है उसको पूरा कीजिये। बाद में नाम और शिलालेखों के लिए लड़ते रहिए, क्या दिक्कत है।