बिकरू कांड का एक और सच, अंधेरे में नहीं उजाले में किया गया था 8 पुलिसवालों को 64 गोलियों से छलनी

एनकाउंटर में शामिल रहे सिपाही पिंटू तोमर ने चार्जशीट में दर्ज अपने बयान में कहा है कि घटना वाले दिन पर्याप्त बिजली व सोलर लाइट थीं, पिंटू तोमर के इस बयान की हेड कांस्टेबल अखिलेश कुमार और सिपाही नवनीत ने भी पुष्टि की....

Update: 2021-01-21 06:38 GMT

जनज्वार। बिकरू कांड के खुलासे अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब यह सच सामने आया है कि बिकरू कांड यानी पुलिसवालों को घेरकर मौत के घाट उतारने वाला कांड अंधेरे में नहीं बल्कि जगमग रोशनी में अंजाम दिया गया था। जहां पुलिस दबिश के वक्त इस्तेमाल किये जाने वाली ड्रैगन लाइटों से लैस थी वहीं तमाम सिपाहियों के पास टाॅर्चें भी थीं। बाद में बिजली कटी थी और पुलिसवालों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने के बाद घुप्प अंधेरा हुआ था।

यह बयान एनकाउंटर के वक्त घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने दिये हैं, जो पुलिस चार्जशीट का हिस्सा हैं। पहले हुई जांच में यह बात सामने आयी थी कि विकास दुबे ने बिकरू में पुलिस को घेरकर गोलियां बरसायी थीं और वहां घना अंधेरा था। गांव की बिजली कटवा दी गई थी। पुलिस यह देख ही नहीं पा रही थी कि कौन कहां है, गोलियां कहां से चल रही हैं।

मगर अब जो चार्जशीट सामने आयी है उससे खुलासा हुआ है कि यह बात एकदम गलत है। एनकाउंटर में शामिल रहे सिपाही पिंटू तोमर ने चार्जशीट में दर्ज अपने बयान में कहा है कि घटना वाले दिन पर्याप्त बिजली व सोलर लाइट थीं। पिंटू तोमर के इस बयान की हेड कांस्टेबल अखिलेश कुमार और सिपाही नवनीत ने भी पुष्टि की है। उन दोनों ने भी कहा कि बिकरू कांड वाले दिन गांव में पर्याप्त रोशनी थी।

वहीं सिपाही कुंवरपाल ने अपने बयान में कहा कि पुलिस के पास ड्रेगनलाइट और टार्च भी मौजूद थीं। सिपाही अवनीश कुमार ने कहा.जो टीमें दबिश पर गई थीं, उनके पास रोशनी के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध थे।पुलिस द्वारा दर्ज की गयी चार्जशीट में विद्युत विभाग के अवर अभियंता अवधेश सिंह के पत्र को भी शामिल किया गया है। इस पत्र में अभियंता अवधेश सिंह ने कहा है कि उन्हें 2 जुलाई की रात सवा 2.15 बजे बिकरू में तार टूटने की सूचना मिली थी, जिस पर उन्होंने बिजली बंद करा दी। रात 3.30 बजे तार जोड़ने की रिपोर्ट मिलने के बाद बिजली को वापस चालू करा दिया गया था।

बिकरू कांड में कुल आठ पुलिसकर्मियों को विकास दुबे ने मौत के घाट उतारा था। बिकरू में घायलों को लगी गोलियां और दीवारों, फर्श व हवा में चली गोलियों को अलग कर दें तो तो विकास दुबे के गुर्गों ने 64 जानलेवा गोलियां दागीं थीं। ताबड़तोड़ फायरिंग पर चार्जशीट में प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि फायरिंग के बीच ही विकास का एक गुर्गा हत्यारों को कारतूस बांट रहा था।

चार्जशीट का हिस्सा बनायील गयी फोरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक आठ शहीदों के शरीर पर कुल 64 गोलियां दागी गयी थीं।। शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्रा के शरीर पर 5 गोलियों के निशान थे। यह सभी राइफल की क्लोज रेंज की फायरिंग से बने।

वहीं एसओ शिवराजपुर महेशचन्द्र यादव के शरीर पर नौ गोलियां लगीं थीं। इनमें 2 राइफल की, 2 सेमी आटोमेटिक राइफल की, बाकी पिस्टलों के थे। चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार को 12 गोलियां मारी गईं। इसमें तीन गोलियां शरीर के आरपार हो गई थीं। एक गोली क्लोज रेंज से मारी गई। चार गोलियां पिस्टल से, 2 गोलियां राइफल से और 1 गोली 12 बोर की बंदूक या तमंचे से मारी गई थी। दरोगा नेबूलाल के शरीर में नौ गोलियां दागी गयी थीं, जिसमें 7 चोटें राइफल के क्लोज फायर से, दो पिस्टल के फायर से लगने की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से की गयी।

मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक सिपाही सुल्तान को भी चार गोलियां लगीं थीं। सभी गोलियां राइफल से मारी गईं थीं। सिपाही बबलू कुमार को 2 गोलियां मारी गयीं। दो राइफल के क्लोज रेंज से फायर की गई थीं, बाकी दो निशान धारदार हथियार से लगने की पुष्टि की गयी। सिपाही राहुल कुमार के शरीर पर कुल 9 घाव थे, जिसमें एक चोट धारदार हथियार से और 6 पिस्टल तथा 2 रायफल की गोलियां शरीर से आरपार होने की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुयी थी। सिपाही जितेन्द्र पाल पर तो ताबड़तोड़ 12 गोलियां बरसायी गयीं थी। उनके छलनी हुए शरीर पर 10 क्लोज रेंज राइफल फायर थे और दो गोलियां पिस्टल सटाकर मारी गईं थीं।

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