Pilibhit News: Pilibhit पुलिस ने भांग को चरस बताकर बेकसूर को जेल में डाला, कोर्ट ने किया CO समेत पूरा थाना तलब

Pilibhit News: कहावत है कि रस्सी का सांप बनाना। इस खेल में पुलिस को माहिर समझा जाता है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी राज (yogi Raj) में जनपद पीलीभीत (Pilibhit) थाना माधोटांडा (Madhotanda) पुलिस ने जिसे चरस समझा, वह तो भांग निकली।

Update: 2021-12-16 16:33 GMT

पीलीभीत से निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट

Pilibhit News: कहावत है कि रस्सी का सांप बनाना। इस खेल में पुलिस को माहिर समझा जाता है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी राज (yogi Raj) में जनपद पीलीभीत (Pilibhit) थाना माधोटांडा (Madhotanda) पुलिस ने जिसे चरस समझा, वह तो भांग निकली। पुलिस ने बिना विधि विज्ञान प्रयोगशाला (Forensic Science Laboratory) की जांच रिपोर्ट का आने का इंतजार किए अभियुक्त के विरुद्ध अदालत को चार्जशीट भी भेज दी। अब FSL की रिपोर्ट आई तो पुलिस के फर्जीवाड़े की पोल खुल गई। बरामद माल चरस नहीं बल्कि भांग है जोकि एनडीपीएस एक्ट के अपराध के तहत नहीं आती है। अभियुक्त तीन माह से जेल में है। अदालत ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सीओ, एसओ समेत पांच पुलिस वालों को तलब का स्पष्टीकरण मांगा है। पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है।

एनडीपीएस एक्ट के अन्तर्गत थाना माधोटाण्डा में उपनिरीक्षक द्वारा दर्ज प्राथमिकी संख्या 285/21 (4 सितंबर 2021) में कस्बा पूरनपुर निवासी मो.साबिर को अभियुक्त बनाते हुए उस पर तीन किलोग्राम चरस/भांग बरामदगी दर्शायी गयी थी, परंतु बिना पर्याप्त साक्ष्य के आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित कर दिया। अभियुक्त मो. साबिर 5 सितम्बर 2021 से अभी तक जेल में है।

गुरुवार को बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मो. अनवार अहमद खां की ओर प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते अपर सत्र न्यायालय (कोर्ट न. 4) ने मुकदमा अपराध संख्या 285/21 के वादी मुकदमा एसआई रोहित कुमार, विवेचक राम गोपाल आर्य, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी लल्लन सिंह, थानाध्यक्ष माधोटाण्डा गौरव बिश्नोई सहित सिपाही रमाकांत को शुक्रवार ( 17 दिसंबर 2021) को तलब कर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया है। अपर सत्र न्यायाधीश (ई.सी.) कोर्ट नम्बर 4 ने बिना पर्याप्त साक्ष्य के आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल करने को बेहद गंभीरता से लिया है।

सीओ ने भी आंख मूंदकर किये चार्जशीट पर हस्ताक्षर

वरिष्ठ अधिवक्ता मो. अनवार अहमद खां ने सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मोहम्मद साबिर की ओर से पांचों पुलिस कर्मियों के विरुद्ध प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वादी दरोगा ने गलत रिपोर्ट की और विवेचक ने गलत विवेचना की। यह सब कार्य थाना प्रभारी के पर्यवेक्षण में हुआ। सीओ ने उसे सममिट कर दिया। सीओ की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह सममिट करने से पहले उसे देखते। सीओ ने आंख मूंदकर दस्तखत कर दिए।

फेरी लगाकर गुजर बसर करता है साबिर

अदालत को बताया गया कि साबिर चने और मूंगफली की फेरी लगाता है, इसे सशस्त्र सीमा बल (SSB) वालों ने रोक लिया था। एसएसबी ने उसे पकड़ कर थाना माधोटांडा पुलिस के सुपुर्द कर दिया। तीन किलो चरस/भांग दिखाई। भांग एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत आती ही नहीं है। दरोगा रामगोपाल आर्य को विवेचना मिली। विवेचक ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट के बगैर ही 8/20 एनडीपीएस एक्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। अधिवक्ता के मुताबिक अदालत ने मामले को संज्ञान भी ले लिया मगर चार्ज नहीं बना। जब एफएसएल की रिपोर्ट आई तो उसमें आया भांग।

निर्दोष युवक ने पन्द्रह लाख मुआवजा मांगा

साबिर की ओर से अधिवक्ता ने 340 सीआरपीसी का प्रार्थना पत्र देकर कहा कि 5 सितंबर 2021 से हम निर्दोष होते हुए जेल में हैं। लिहाजा इनको तलब किया जाए। इन पुलिसकर्मियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। एफआईआर दर्ज की जाए और हमें 15 लाख रुपए क्षतिपूर्ति दिया जाए। डिस्चार्ज एप्लीकेशन में साबिर ने कहा है कि हमारे खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है, हमें डिस्चार्ज करके दोषमुक्त किया जाए।

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