पीटीआई के पत्रकार अमृत मोहन का लखनऊ में निधन, समय पर इलाज न मिलने से हुई मौत

अमृत मोहन को लगातार परिजनों व पत्रकारों के प्रयास करने के बाद भी समय पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध न हो सकी....

Update: 2020-09-02 12:27 GMT

photo : facebook

लखनऊ, जनज्वार। कोरोना के मामले देश में बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। हर वर्ग के लोगों में यह फैल रहा है और बड़ी तादाद में मौतें भी हो रही हैं। विश्व में 24 घंटे के अंदर जितनी मौतें और मामले भारत में सामने आ रहे हैं, उतना कहीं नहीं आये।

अब तक कई पत्रकार भी कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। कोरोना से तो मौतें हो ही रही हैं, समय पर इलाज के अभाव में भी बढ़ी संख्या में लोग मर रहे हैं। आज बुधवार 2 सितंबर की सुबह देश की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी पीटीआई के विशेष संवाददाता अमृत मोहन का अस्पताल की लचर व्यवस्था के चलते निधन हो गया। वह मात्र 48 साल के थे।

जानकारी के मुताबिक मंगलवार रात अचानक अमृत मोहन की तबियत बिगड़ी और समय रहते अस्पताल न पहुंच पाने के चलते उन्होंने दम तोड़ दिया। इससे पहले मंगलवार 1 सितंबर को आजतक के संवाददाता नीलांशू का निधन कोरोना के चलते हो गया था। दोनों पत्रकारों के परिजनों का आरोप है कि उनकी मौत उचित ईलाज व देखभाल न हो पाने के चलते हुई है, जिसके लिए सरकारी मशीनरी जिम्मेदार है।

जानकारी के मुताबिक अमृत मोहन को लगातार परिजनों व पत्रकारों के प्रयास करने के बाद भी समय पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध न हो सकी।

सामाजिक कार्यकर्ता दीपक कबीर ने अमृत मोहन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा है, 'अमृत को भी समय से एम्बुलेंस नहीं उपलब्ध हो पाई, जबकि दिल्ली में पार्लियामेंट कवर करने वाले अमृत को कौन बड़ा नेता नहीं जानता था, अभिनेता इरफान से भी अमृत की करीबी थी, उनकी मौत के वक़्त भी अमृत का फोन आया था। कभी कभी सोचता हूँ जब ये बीमारी फैल रही थी तो हमारा स्वास्थ्य विभाग, सूचना विभाग क्या सोया था? सिर्फ अंतरराष्ट्रीय यात्रायें स्थगित कर लेते या ठीक से स्क्रूटनी तो शायद एक भी इंसान न मरता। ये आपराधिक लापरवाही बहुत भारी पड़ेगी हम सबको।'

मान्यता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी, उपाध्यक्ष अजय श्रीवास्तव और कोषाध्यक्ष जफर इरशाद ने अमृत मोहन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए संदेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि अमृत मोहन का निधन पूरी पत्रकारिता सहित हम सबके लिए व्यक्तिगत क्षति है। लगातार पत्र व्यवहार और व्यक्तिगत अनुरोधों के बाद भी इस दुष्काल में पत्रकारों के न तो ईलाज की उचित व्यवस्था हो पा रही है और न ही उन्हें किसी प्रकार के बीमा आदि की सुविधा मिल रही है। दिवंगत पत्रकारों के परिजनों की आर्थिक सहायता को लेकर भी शासन किसी उपयुक्त सुसंगत नीति पर अमल नहीं कर रहा है, जिससे ज्यादातर पीड़ित परिवारों की कोई मदद नहीं हो पा रही है।

 समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने प्रदेश सरकार से मांग की है दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को कम से कम वर्तमान दशा में 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ आश्रितों को नौकरी दी जाए। साथ ही पत्रकारों को सरकार की ओर स्वास्थ्य व जीवन बीमा की सुविधा उपलब्ध करायी जाए।

अमृत मोहन के परिवार में माता-पिता, पत्नी, एक बेटा और बहिन हैं। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अमृत के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रार्थना की है कि भगवान उनके परिवार को इस दुख को सहने की ताकत दे।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेख यादव ने भी अमृत मोहन के निधन पर शोक व्यक्त किया है और ट्वीट किया है, 'दुःखद! ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति व् शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।'

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