Rampur By Election : आज़म बिन रामपुर, रामपुर उपचुनाव हुआ दिलचस्प, 45 साल में पहली बार आज़म के नाम पर नहीं होगा यह चुनाव

Rampur By Election: हेट स्पीच के मामले दोषी ठहराए जाने के कारण रामपुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी विधानसभा सदस्यता गंवा चुके आज़म खान 45 साल के इतिहास में पहली बार अपने गृह क्षेत्र रामपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव की चुनावी सरगर्मियों के केंद्र नहीं रहेंगे।

Update: 2022-11-17 11:15 GMT

Rampur By Election: हेट स्पीच के मामले दोषी ठहराए जाने के कारण रामपुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी विधानसभा सदस्यता गंवा चुके आज़म खान 45 साल के इतिहास में पहली बार अपने गृह क्षेत्र रामपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव की चुनावी सरगर्मियों के केंद्र नहीं रहेंगे। रामपुर विधानसभा क्षेत्र से दस बार के विधायक रहे आज़म खां की रामपुर की राजनीति में साल 1977 में तब एंट्री हुई थी जब कांग्रेस के दबदबे वाले इस दौर में उन्होंने यहां से पहली बार चुनाव लड़ा था। यह चुनाव आज़म हार गए थे। लेकिन तब से आज तक इस सीट पर हमेशा प्रासंगिक बने रहे। रामपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए इस बार समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी आज़म खान के करीबी आसिम रजा को बनाया है। पिछले 45 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब रामपुर विधानसभा सीट से आजम खान या उनके परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं है।

बता दे कि आजम खान ने सीतापुर जेल में रहते हुए साल 2022 का विधानसभा चुनाव रामपुर से लड़ा था। इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी। लेकिन पिछले दिनों हेट स्पीच मामले में आजम खान को सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं। इस बात की पूरी उम्मीद थी कि सपा से टिकट आजम के परिवार से ही किसी को मिलेगा। लेकिन इस बार सपा ने यहां से आजम के नजदीकी आसिम रजा को चुनाव मैदान में उतार दिया है। पिछले 45 सालों में यह पहली बार हुआ है जब आजम परिवार से कोई रामपुर सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है। यहां से भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना हैं। 5 दिसंबर को यह उपचुनाव होगा, जिसके नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे।

आज़म का राजनैतिक सफर

आजम खान ने रामपुर विधानसभा सीट से 12 बार चुनाव लड़ा। जिनमें से उन्होंने दस बार जीत हासिल की। दो बार उन्हें यहां से हार का मुंह भी देखना पड़ा। साल 1977 में आजम की राजनीति में एंट्री हुई थी जब उन्होंने इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था। इस सीट पर उन दिनों कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। अपने इस पहले चुनाव में आजम को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बाद 1980 से 1993 के बीच हुए पांच विधानसभा चुनावों में आजम को लगातार जीत हासिल हुई। उनकी जीत के इस सिलसिले पर पहला ब्रेक 1996 के चुनाव में तब लगा जब एक बार फिर कांग्रेस के अफरोज अली खां से उनकी चुनावी भिडंत हुई। इस चुनाव में आजम को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। साल 2002 से 2022 तक आजम खान ने फिर लगातार 5 बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 2019 में आजम खान के सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी तजीन फातिमा ने चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।

इस बीच आजम खान और उनके परिवार पर कई मुकदमे दर्ज हुए। 2014 में अखिलेश यादव सरकार में जमीन हड़पने के एक मामले में आजम की पत्नी और बेटे को जेल भी जाना पड़ा। आजम खान को भी इन्हीं मुकदमों के कारण कई महीनों तक सीतापुर जेल में ही रहना पड़ा था। इसी जेल से उन्होंने वह हालिया चुनाव जीता था, जिसकी वजह से विधायक बने आज़म की विधायकी हेट स्पीच के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद रद्द हुई। और इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

Tags:    

Similar News