बाबरी विध्वंस का फैसला सुनाने वाले जज की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा नहीं बढ़ाई जा सकती सुरक्षा

छह दिसंबर 1992 को हुए बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई करने वाली स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तीस सितंबर 2020 को सभी 32 अभियुक्तों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि यह सुनियोजित कदम नहीं था....

Update: 2020-11-02 08:37 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले रिटायर्ड जज एस.के. यादव की निजी सुरक्षा को बढ़ाने की मांग की गई थी। जस्टिस आर.एफ नरीमन ने मामले में एक संक्षिपत सुनवाई के बाद कहा, हम उनके लिए सुरक्षा जारी रखना जरूरी नहीं मानते हैं।

जानकारी के मुताबिक रिटायर्ड जज यादव ने अपने कार्यकाल के अंतिम मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए निजी सुरक्षा जारी रखने का आग्रह किया था। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत नहीं लगती है।

बता दें कि छह दिसंबर 1992 को हुए बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई करने वाली स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तीस सितंबर 2020 को सभी 32 अभियुक्तों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि यह सुनियोजित कदम नहीं था।

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तब अपने फैसले में जस्टिस यादव ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ सबूत अखबार की खबरों पर आधारित थे। 28 साल चले इस मामले में पूर्व उप-प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरलीमनोहर जोशी, उमा भारती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और महंत गोपाल दास का नाम शामिल था।

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