विकास दुबे एनकाउंटर में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब, पुलिस की कहानी में कई छेद

घनश्याम उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट से लग रहा है कि विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में गार्ड को खुद ही जानकारी दी, उसने मध्य प्रदेश पुलिस को खुद ही गिरफ्तारी दी ताकि वह एनकाउंटर से बच सके...

Update: 2020-07-14 13:23 GMT

कानपुर। कानपुर का गैंगस्‍टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में कोर्ट की निगरानी में सीबीआई व एसआईटी जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 14 जुलाई को सुनवाई की। सीजेआई एसए बोबडे के साथ जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एएस बोपन्ना ने मामले को सुना। मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय और वकील अनूप अवस्थी की ओर से दाखिल याचिका में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है।

मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह गैंगस्टर विकास दुबे और उनके पांच सहयोगियों के साथ-साथ बिकरु गांव में तीन जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति बनाने की सोच रही है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी। कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार इस मामले में गुरुवार तक जवाब दाखिल करे।

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका एनकाउंटर से पहली रात दायर की गई थी जिसमें विकास दुबे की भी एनकाउंटर किये जाने की आशंका जाहिर की गई थी। घनश्याम उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट से लग रहा है कि विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में गार्ड को खुद ही जानकारी दी। उसने मध्य प्रदेश पुलिस को खुद ही गिरफ्तारी दी ताकि वह एनकाउंटर से बच सके। याचिका में आशंका जताई गई थी कि यूपी पुलिस विकास का एनकाउंटर कर सकती है।

दूसरी तरफ दिल्ली के वकील अनूप प्रकाश अवस्थी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दुबे और उनके सहयोगियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पुलिस-अपराधी और नेताओं के गठजोड़ के महत्वपूर्ण गवाह को खत्म करने के लिए की गई। इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश फर्जी मुठभेड़ों के लिए कुख्यात है। विकास दुबे 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद गायब हो गया था। जिसके बाद उसके घर को ध्वस्त कर सभी साक्ष्य नष्ट कर दिए गए थे। याचिका में कहा गया है कि दुबे द्वारा 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में इस्तेमाल किए गए अत्याधुनिक हथियारों की जांच भी की जानी चाहिए कि उन्हें ये हथियार मिले कैसे?

वहीं विकास दुबे एनकाउंटर के कुछ बिन्दु सवालों के घेरे में भी आ रहे हैं। पुलिस की थ्योरी पास तो होती है मगर कुछ बिन्दुओं पर यह समझ से परे है। बिकरू कांड के 8 दिन के भीतर 5 एनकाउंटर किए गए। इनमें विकास दुबे और उसके पांच गुर्गे मारे गए। गुरुवार 9 जुलाई को उसके करीबी प्रभात का कानपुर में और बऊआ दुबे का इटावा में एनकाउंटर हुआ। प्रभात के एनकाउंटर से पहले पुलिस ने गाड़ी पंचर होने की बात कही थी। इससे एक दिन पहले बुधवार 8 जुलाई को विकास के राइट हैंड शॉर्प शूटर अमर दुबे को हमीरपुर में ढेर किया गया। इन चारों में लगभग एक थ्योरी सामने आई कि ये सभी पुलिस पर हमला कर भागने की कोशिश कर रहे थे।

इससे पहले घटना के दूसरे ही दिन विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे को पुलिस ने बिकरू गांव के करीब मुठभेड़ में मार गिराया था। उन्होंने भी पुलिस को देखकर फायर कर दिया था। इनमें से तीन एनकाउंटर में आरोपित पुलिस की पिस्टल छीनकर फायर करते हुए भागे।

पुलिस ने इसलिए बदली गाड़ी

शुक्रवार 10 जुलाई को विकास के एनकाउंटर में पुलिस की थ्योरी पर सबसे बड़ा सवाल यही उठा कि ‌विकास को लेकर एसटीएफ उज्जैन से चली तो उसे सफारी गाड़ी में बैठाया गया था। एनकाउंटर के पहले जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई, वह महिन्द्रा की टीयूवी-300 थी। इस पर पुलिस अफसरों ने कहा कि जब किसी बड़े अपराधी को एक जगह से दूसरी जगह लाया जाता है, तो काफिले में मौजूद गाड़ियों में अदल-बदल कर बैठाया जाता है। जिससे उसके गुर्गे पहचान कर हमला न कर सकें।

कुख्यात विकास दुबे एनकाउंटर के दौरान यह थ्योरी भी सामने आई कि पुलिस ने भाग रहे विकास को रोकने के लिए गोली चला दी। इस पर अधिकारियों ने बाद में स्पष्ट किया कि पहले गोली विकास ने चलाई थी। पुलिस ने जवाब में फायरिंग की। पुलिस ने विकास के सीने पर गोली मारी, इस पर सवाल उठा कि क्या उसे जान से मार देना चाहती थी? इस पर अधिकारी का कहना था कि विकास ने सीधे फायरिंग शुरू कर दी थी। पुलिस जवाब में फायरिंग न करती तो कर्मियों के गोली लगने की पूरी आशंका थी।

गोलियों की आवाज सुनी कार पलटते नहीं देखी

एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हुआ कि कार के पलटने वाला एक्सीडेंट किसी ने देखा ही नहीं। 'जनज्वार' ने भी एनकाउंटर वाले दिन घटनास्थल पर जाकर जायजा लिया था। जिसमे तमाम लोगों ने गोली चलने की आवाज तो सुनी पर गाड़ी पलटने को लेकर सभी ने शंका जाहिर की थी। हमने कई लोगों से पूछने की कोशिश की पर गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने का पता नहीं चल सका था। पुलिस का कहना है कि गाड़ी पलटी थी, जबकि गाड़ी पलटने अथवा घिसटने जैसे वहां कोई साक्ष्य नहीं पाए गए थे।

देने होंगे इन सवालों के जवाब

उज्जैन में विकास ने खुद सरेंडर किया तो भौंती के पास दुर्घटना के बाद भागने की कोशिश क्यों की?

उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तारी क्यों नहीं दिखाई, उसे ट्रांजिट रिमांड के लिए कोर्ट क्यों नहीं ले गई?

कानपुर की सीमा में आने के बाद ही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी क्यों और कैसे पलटी?

पलटने से पहले 50-100 मीटर तक गाड़ी घिसटी पर उसके निशान सड़क पर नहीं दिखे?

तेज गति में गाड़ी पलटती है तो काफी नुकसान होता है, लेकिन इसमें सिर्फ शीशा टूटा क्यों?

भारी ट्रैफिक के बीच हाईवे पर पुलिस के अलावा किसी औऱ को यह हादसा क्यों नहीं दिखा? 

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