दुनिया में आवारा कुत्तों से कटने के सबसे ज़्यादा केस भारत में, हर साल करीब 20000 लोगों की मौत

दुनिया में सबसे ज़्यादा यानी करीब 36 प्रतिशत कुत्ता काटने के केस भारत में होते हैं, करीब 25 लाख आवारा कुत्ते देश में हैं, जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है.....

Update: 2020-12-19 11:22 GMT

कुत्ते के नाम से भड़के शख्स ने पड़ोसी को आग के हवाले किया (प्रतीकात्मक तस्वीर)

प्रदीप श्रीवास्तव की रिपोर्ट

जनज्वार। घटना एक – झांसी शहर के लहरगिर्द इलाके में रात में घर जाते समय पुरूषोत्तम यादव को एक कुत्ते ने काट लिया। उसे सब काम छोड़ कर दूसरे दिन रैबीज का इंजेक्शन लगाने के लिए जिला अस्पताल जाना पड़ा। घटना दो – झांसी शहर के मिशन कंपाउंड मुहल्ले में एक कुत्ते ने एक दस साल के बच्चे को खेलते समय काट लिया, उसे भी जिला अस्पताल में इंजेक्शन लगाना पड़ा। अब वह कुत्तो के डर से घर से कम ही निकलता है।

यह कुछ उदाहरण हैं जो बताते हैं कि कई तरह की भ्रांतियाँ और आवार कुत्तों के पकड़ने की कोई बेहतर व्यवस्था नहीं होने के कारण देश के शहरों में तेजी से आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार, देश में हर साल 17.5 लाख लोगों को कुत्ता काटता है। इसमें से करीब 20,000 लोग रैबीज से मर जाते हैं। दुनिया में सबसे ज़्यादा यानी करीब 36 प्रतिशत कुत्ता काटने के केस भारत में होते हैं। करीब 25 लाख आवारा कुत्ते देश में हैं, जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

आमतौर पर आवारा कुत्तों से हर कोई दूर रहना चाहता है, ऐसे में उन्हें पर्याप्त खाने को नहीं मिलता है। मुहल्लों के कुछ लोग जरूर उनको रोटी दे देते हैं, लेकिन सड़कों पर आवारा घूमने वाले कुत्तों को भूखा रहना पड़ता है, जिससे वे उग्र हो रहे हैं। लोगों के हाथों में खाने का थैला या पैकेट देखकर कुत्ते तेजी से झपट रहे हैं। ऐसे व्यक्ति को दौड़ाने के बाद अपना शिकार बना रहे हैं। जिला अस्पताल के एंटी रैबीज विभाग की मानें तो हर रोज़ 100 से 125 लोग अपना इलाज कराने आते हैं, बाकी प्राइवेट चिकित्सकों की शरण लेते हैं।

पशुपालन विभाग के एक मोटे अनुमान के अनुसार जिले में पंद्रह हजार से अधिक कुत्ते हैं। इनमें सबसे ज्यादा शहर क्षेत्र के साथ डडियापुरा रोड, नारायण बाग तिराहा, बड़ागांव गेट बाहर, नरिया बाजार, मिनर्वा चौराहा, मिशन कंपाउंड, उन्नाव गेट, चांद दरवाजा, दतिया गेट बाहर, खंडेराव गेट बाहर, सराय मोहल्ला, पठौरिया, आशिक चौराहा, जर्मनी अस्पताल, आईटीआई आदि क्षेत्रों में रहते हैं। इन पर लंबे समय से नियंत्रण पाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह अब तक संभव नहीं हो पाया है।

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जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एम सी वर्मा कहते हैं कि अस्पताल में प्रतिदिन करीब 100 से 125 मरीज कुत्ता काटने पर इंजेक्शन लनाने आते हैं। आम तौर पर कुत्ता काटने पर लोगों में यह धारणा है कि सीधे जिला अस्पताल चलो, यहीं इलाज होगा। मरीज बहुत कम प्राइवेट अस्पताल जाते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगर किसी भी प्रकार का कुत्ता काटता है, तो पीड़ित तुरंत ही सरकारी अस्पताल की ओर भागता है, जबकि 60 प्रतिशत केस में कुत्ते को रैबीज का इंजेक्शन लगा होता है, जिसके बारे में पीडित या डाक्टर को पता नहीं होता है।

कुत्ता काटने पर क्या करें 

रैबीज की बीमारी कुत्तों के काटने से होती है। पूरी दुनिया में 35 फीसदी केस भारत में होती है, इसमें से 50 प्रतिशत बच्चों को यह बीमारी होती है। रैबीज की आशंका 90 प्रतिशत कुत्तों के काटने से ही होती है।

- अगर किसी कुत्ते ने काट लिया तो जख्म को फौरन बहते पानी से धो दें या साबून से धो लें।

- आपको पता है कि किस कुत्ता ने काटा तो कम से कम उसे 10 दिन तक देखें। पता लगाए कि कुत्ता जी रहा है या मर गया है। क्योंकि, रैबीज इंफेक्टेड कुत्ते किसी को काटने के 10 दिनों बाद मर जाते हैं।

- अगर कुत्ता पगला गया है सबको काट रहा है तो समझ लीजिए वह रेबीज डॉग है।

कुत्ते के काटने पर क्‍या करें 

- ब्‍लीडिंग को रोकने के लिए घाव या चोट के आसपास साफ तौलिया लगाएं।

- क्षतिग्रस्‍त हिस्‍से को थोड़ा ऊपर उठाकर रखने की कोशिश करें।

- साबुन और पानी से ध्‍यानपूर्वक चोट वाले हिस्‍से को साफ करें।

- अगर आपके पास एंटीबायोटिक क्रीम है तो उसे चोट पर लगाएं।

- अब घाव पर साफ बैंडेज लगाएं, पीडित व्‍यक्‍ति को डॉक्‍टर के पास लेकर जाएं।

- संक्रमण के संकेत जैसे कि लालिमा, सूजन, दर्द और बुखार आदि को नजरअंदाज न करें।

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