सूदखोर दबंग अपराधियों के साथ मिल ग्रामीणों से जबरन कराता था बेगारी-उन्हीं की गोली से हुई 2 की मौत, मगर कोर्ट ने 40 पीड़ितों को ही भेज दिया जेल : माले

देवरिया के ग्राम बलुअन में सामंती वर्चस्व के खिलाफ जनता के प्रतिरोध संघर्ष में 1995 में दो व्यक्तियों की शहादत हुई थी, दबंगों की गोली से एक महिला और एक बच्चे की जान गई थी और भाकपा (माले) के नेता रामकिशोर वर्मा बुरी तरह घायल होकर मरणासन्न हो गए थे, किसी तरह उनकी जान बची, मगर स्थानीय कोर्ट ने 40 पीड़ितों को ही भेज दिया है जेल...

Update: 2024-02-20 07:28 GMT

Deoria news : देवरिया जिले के बलुअन गांव में 29 साल पहले हुई एक घटना में वामपंथी नेताओं-कार्यकर्ताओं समेत 40 ग्रामीण गरीबों को स्थानीय कोर्ट द्वारा 10-10 साल की सजा देकर जेल भेज दिया गया है। इसको न्यायिक अन्याय बताते हुए सोमवार 19 फरवरी को भाकपा (माले) ने राज्यव्यापी प्रतिवाद दिवस मनाया।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मीडिया को दिये बयान में कहा, गरीबों और विपक्ष की आवाज को चुप कराने के लिए सत्ताधारी दल की साजिश पर 40 व्यक्तियों को जेल भेजा गया है। जेल भेजे गए लोगों में भाकपा (माले) की राज्य समिति के सदस्य और अधिवक्ता रामकिशोर वर्मा, छोटेलाल कुशवाहा समेत पार्टी व जनसंगठनों के नेता और कई कार्यकर्ता शामिल हैं। इनमें आधे से अधिक 60 वर्ष की ऊपर की उम्र के हैं और लगभग सभी भूमिहीन एवं गरीब हैं।

सुधाकर ने आरोप है कि 'जिस प्रकरण में सजा हुई है, उसमें गरीब लोग गांव के एक दबंग परिवार के विरुद्ध संघर्ष कर रहे थे। दबंग परिवार अपराधियों के साथ मिलकर ग्रामीणों से जबरन बेगारी कराता था, सूदखोरी करता था, अन्य सामंती तौर-तरीकों से उनका शोषण व उत्पीड़न करता था, जिससे मुक्ति के लिए ग्रामीण गरीब तत्कालीन इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के नेतृत्व में लोकतांत्रिक तरीके से लड़ रहे थे। उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाया गया।'

राज्य सचिव ने कहा कि ग्राम बलुअन में सामंती वर्चस्व के खिलाफ जनता के प्रतिरोध संघर्ष में 1995 में दो व्यक्तियों की शहादत हुई थी। दबंगों की गोली से एक महिला और एक बच्चे की जान गई थी और भाकपा (माले) के नेता रामकिशोर वर्मा बुरी तरह घायल होकर मरणासन्न हो गए थे। किसी तरह उनकी जान बची।

देवरिया की सत्र अदालत ने 4 में से तीन हत्यारों को बरी कर दिया। सिर्फ एक को दोषी करार देकर सजा दी, जबकि दूसरे पक्ष के 40 लोगों को दोषी ठहराते हुए बीती 16 फरवरी को दस-दस साल का कारावास और जुर्माना लगाकर जेल भेज दिया।

माले नेता सुधाकर ने कहा कि शोषण से मुक्ति के खिलाफ न्यायपूर्ण संघर्ष में गरीबों और उनके नेताओं को सजा मिली है। यह लोकतंत्र और बराबरी के समाज निर्माण की लड़ाई के प्रति अन्याय है। यह राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। जेल और दमन के बल पर विपक्ष को चुप कराने का प्रयास है। यह सत्तारूढ़ भाजपा की साजिश है। इसी साजिश के तहत मिर्जापुर जिले में भाकपा (माले) से जुड़े रामसागर पुत्र बहादुर (निवासी गांव पुरानीपुर, थानाक्षेत्र लालगंज) समेत दर्जनों ग्रामीणों को जिला बदर करने का फरमान जारी किया गया है। यही नहीं, गाजीपुर, आजमगढ़ और सीतापुर में भी पार्टी के नेताओं को फर्जी मामलों में अभियुक्त बना दिया गया है।

इस साजिश और अन्याय के खिलाफ सोमवार 19 फरवरी को पार्टी ने जिलों में धरना-प्रदर्शन के माध्यम से राज्यव्यापी प्रतिवाद दिवस मनाकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में माले नेता रामकिशोर वर्मा और पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित सभी 40 ग्रामीण गरीबों को बाइज्जत बरी करने के लिए कदम उठाने की अपील की गई। साथ ही, मिर्जापुर में जिला बदर करने की कार्रवाई और गाजीपुर, आजमगढ़ व सीतापुर के फर्जी केस रदद् करने की भी मांग की गई।

प्रतिवाद दिवस लखनऊ, देवरिया, महाराजगंज, बलिया, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर, रायबरेली, अयोध्या, जालौन, मथुरा सहित विभिन्न जिलों में मनाया गया।

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