योगी सरकार के अघोषित लॉकडाउन का आने लगा रूझान, कानपुर की यह तस्वीर देखकर ठिठक गया 'मैनचेस्टर'
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यह मजदूर घंटाघर रेलवे स्टेशन के बाहर मजदूरी करके किसी तरह अपना जीवन जीता है। अघोषित लॉकडाउन के बाद काम मिलना बंद हुआ तो भीख मांगकर पेट भर रहा है। लॉकडाउन लगने के बाद ना तो इसे कोई काम मिला और नाही खाना...
जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश में अघोषित लॉकडाउन के हृदयविदारक तस्वीरें आनी शुरू हो गई हैं। कोरोना की दूसरी लहर जहां लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है तो दूसरी तरफ किसी को लाकडाउन में जिंदा रहना बामुश्किल होने लगा है। तस्वीर देखिए, कानपुर की है। इस व्यक्ति को पेट की आग शांत करने के लिए जब कुछ नहीं मिला तो जमीन पर पड़े दूध को पीकर अपनी भूख मिटा रहा है। क्या करे मजबूरी है इसकी भी, जिंदा रहने की।
मन मस्तिष्क को सोचने पर मजबूर करने वाली यह तस्वीर कानपुर के अति व्यस्त घण्टाघर सुतरखाने के पास की है। बताया जा रहा है कि एक दूधिया का दूध से भरा डिब्बा सड़क पर गिर गया, जिससे उसका सारा दूध फैल गया। दूध फैलने के बाद वही पास से पड़े एक मजदूर ने जमीन पर फैले उस दूध को जमीन पर लेटकर पीना शुरू कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यह मजदूर घंटाघर रेलवे स्टेशन के बाहर मजदूरी करके किसी तरह अपना जीवन जीता है। अघोषित लॉकडाउन के बाद काम मिलना बंद हुआ तो भीख मांगकर पेट भर रहा है। लॉकडाउन लगने के बाद ना तो इसे कोई काम मिला और नाही खाना। आलम यह हुआ कि भूख मिटाने का जब कोई और रास्ता नही मिला तो इसने उस दूध को ही पीना सही समझा, जो गलती सड़क पर फैला पड़ा था।
नहीं मालूम की इस दूध को पीने से उसकी भूख मिटी कि नहीं लेकिन इतना जरूर पता है की इस अघोषित लॉकडाउन ने रोज गडढा खोदकर पानी पीने वालों की पेट सहित कमर तोड़ दी है।लॉकडाउन ने रोजमर्रा मजदूरी कर जीवन व्यापन करने वालो को इस हद तक पहुंचा दिया कि वह भूख से बिलबिला रहे है। यह तस्वीर जिसने भी देखी वो कुछ देर के लिए वहीं का वहीं सहम गया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीती 30 अप्रैल से लॉकडाउन लगा रखा है। 2 को खुलने वाला लॉकडाउन बिना सूचना पहले 7 तक बढ़ाया गया। बाद में 7 से दस को खुलना तय हुआ फिर 10 के बाद इसे बढ़ाकर 17 मई सोमवार को खोलने का आदेश दिया गया है। यहां सरकार समर्थक कह सकते हैं कि दुकाने खुलने का समय भी निर्धारित किया गया है, सभी अपने मुताबिक खाने पीने की वस्तुएं ले पा रहे हैं। लेकिन जिसके पास नहाने-निचोड़ने को कुछ हो ही ना वो क्या खरीदे और खाए।
सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए। इस तरह के फैसलों से भारत की एक तिहाई आबादी कोरोना से मरेगी तो कुछ भूख से। इसके बाद जो गरीबी बचेगी वह भीख मांगते हुए भिखारी बन जाएंगे। टीक है राम मंदिर बन जाएगा लेकिन वहां आखिर किस-किस को नौकरी मिलेगी, सोंचने वाली बात है?