सुबह की अजान से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति की नींद हो रही हराम, लिखा अधिकारियों को पत्र

अपने पत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति ने एक कहावत का हवाला दिया है,'आपकी स्वतंत्रता वहीं खत्म हो जाती है, जहां से मेरी नाक शुरू हो जाती है'....

Update: 2021-03-17 09:37 GMT

जनज्वार ब्यूरो। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की नींद सुबह की अजान से खराब हो जाती है। मशहूर फिल्म गायक सोनू निगम के बाद ये दूसरा केस सामने आया है। इस संबंध में कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की मांग की है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है 'सुबह मस्जिद के लाउडस्पीकर से गूंजने वाली आवाज उनकी दिनचर्या में खलल डाल देती है। इस कारण उनकी नींद प्रभावित हो जाती है और दिनभर उनके सिर में दर्द बना रहता है, कामकाज प्रभावित होता है'।

बता दें कि प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ की पत्नी भी हैं। 2004 में जस्टिस विक्रम नाथ को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किया गया था। हालांकि 2006 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही प्रमोट कर दिया गया। जिसके बाद वे स्थायी न्यायाधीश बना दिए गए। अभी वह गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। 

अपने पत्र में कुलपति ने एक कहावत का हवाला दिया है,'आपकी स्वतंत्रता वहीं खत्म हो जाती है, जहां से मेरी नाक शुरू हो जाती है'। अपने पत्र में कुलपति ने कहा है कि वह किसी सम्प्रदाय, जाति या वर्ग के खिलाफ नहीं हैं। पत्र में कुलपति ने बिना लाउडस्पीकर के अजान करने का उपाय भी सुझा दिया है। ईद के पहले होने वाली सहरी की घोषणा से भी उन्हें दिक्क्त है।'

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि इससे भी उन्हें व अन्य लोगों को दिक्क्त होगी। अपने पत्र में कुलपति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पीआईएल-570 ऑफिस 2020 का हवाला दिया है। उन्होंने कहा है, 'जिलाधिकारी द्वारा त्वरित कार्यवाही किये जाने पर इसकी बड़े स्तर पर सराहना होगी। लोगों को लाउडस्पीकर के आवाज से होने वाली अनिद्रा से निजात मिलेगी।'

विश्विद्यालय के छात्रों ने पत्र को सांप्रदायिक एजेंडा बताकर किया विरोध

कुलपति का पत्र वायरल होने के बाद से छात्र जगत में इसका विरोध तेज़ हो गया है। विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस पत्र को साम्प्रदायिक एजेंडा बताया है। विश्वविद्यालय के छात्रों ने छात्रसंघ भवन पर कुलपति का पुतला फूंकते हुए विरोध दर्ज़ कराया है।

इलाहाबाद विश्विद्यालय के पूर्व छात्र हिमांशु शुक्ला कहते है, इतने गरिमामई पद पर बैठे लोग कितने करीने से साम्प्रदायिक एजेंडे को परोसने में अपना हाथ बटा रहे हैं। मैडम के घर में हर एक खिड़की पर एसी लगा हुआ है। चार कदम चलने से पहले चारपहिया गाड़ी चाहिये, पर प्रदूषण हो रहा है अजान से। खैर यह सब कुछ अप्रत्याशित नहीं है, बंदरों की फ़ौज को सारे अच्छे पदों पर बिठाया जा रहा है, नाजीकरण जोरों पर है।

पूर्व छात्र रवि प्रकाश कहते है, 'यह कुलपति का मूर्खतापूर्ण कदम है। विश्विद्यालय की कुलपति अपनी जिम्मेदारियों को छोड़कर साम्प्रदायिक एजेंडे के द्वारा विश्विद्यालय का माहौल खराब करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रही हैं। यह विश्विद्यालय के अकादमिक माहौल को खराब करने की साजिश है।'

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