समान नागरिक संहिता पर AIMPLB को किस बात का सता रहा है डर, मोदी और योगी से क्यों की इसे न लागू करने की अपील

UP News : एआईएमपीएलबी ने अपने पत्र में समान नागरिक संहिता को लागू न करने की अपील की है। इसके पक्ष में बोर्ड ने बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की राय का भी हवाला दिया है।

Update: 2022-04-30 10:18 GMT

क्या है समान नागरिक संहिता, इसको लेकर नये सिरे से बवाल क्यों?

UP News : उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) सहित देशभर में समान नागरिक संहिता ( Uniform Civil Code ) कानून बनाने को लेकर बहस चरम पर है। केंद्र सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं। इस मामले को तूल पकड़ता देख ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( All India Muslim Personal Law Board) ने समान नागरिक संहिता ( UCC ) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Adityanath ) को एक पत्र लिखा है।

एआईएमपीएलबी ( AIMPLB ) ने अपने पत्र में समान नागरिक संहिता ( UCC ) को लागू न करने की अपील की है। इसके पक्ष में बोर्ड ने बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ( Baba Saheb Bhim Rao Ambedkar ) की राय का भी हवाला दिया है।

AIMPLB को स्वीकार नहीं है इन प्रावधानों में बदलाव

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB ) ने अपनी चिट्ठी में इसके लागू होने के बाद मुस्लिम समुदाय के निकाह व तलाक सहित महिलाओं के संपत्ति में अधिकार जैसे विषय क्या समाप्त हो जाएंगे या कानून उन्हें अधिकार देगा, जैसी बातों पर चिंता जाहिर की है। बोर्ड ने पत्र में कई और सवाल उठाए हैं।

एआईएमपीएलबी ( AIMPLB ) के राष्ट्रीय महासचिव द्वारा भेजे पत्र में देश में समस्त धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक रीति रिवाज के मुताबिक शादी विवाह की संवैधानिक इजाजत की बात कही गई है। पत्र में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय सहित अनेक समुदायों को अपने धार्मिक विधि के अनुसार विवाह तलाक के अधिकार भारत की स्वतंत्रता के पूर्व से प्राप्त है, मुस्लिम समुदाय को 1937 से इस संबंध में मुस्लिम एप्लिकेशन एक्ट के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त है। इसे बरकरार रखा जाए।

अम्बेडकर ने क्या कहा था?

बोर्ड ने कहा है कि आजादी के बाद संविधान सभा में इस संबंध में हुई बहस में प्रस्तावना समिति के चेयरमैन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Baba Saheb Bhim Rao Ambedkar ) ने कहा था कि सरकार इसे धार्मिक समुदाय पर छोड़ दे और सहमति बनने तक इसे लागू न करे। समान नागरिक संहिता ( UCC ) से पहले सरकार को सभी धार्मिक समूहों के संगठनों से सकारात्मक चर्चा करें। फिलहाल, इस पर चल रही बहस संविधान संमत नही है।

निकाह और संपत्ति अधिकार में छेड़छाड़ की जरूरत क्या है?

बोर्ड की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि इसके लागू होने के बाद मुस्लिम समुदाय के निकाह व तलाक सहित महिलाओं के संपत्ति में अधिकार जैसे विषय क्या समाप्त हो जाएंगे या कानून उन्हें अधिकार देगा? मुस्लिम समुदाय के निकाह तलाक महिलाओं का संपत्ति में अधिकार जैसे अधिकार ही मुस्लिम एप्लीकेशन एक्ट-1937 से लेकर भारतीय संविधान में स्थापित है। समान नागरिक संहिता की आड़ में उसके साथ छेड़छाड़ की क्या आवश्यकता है? राज्य या केंद्र सरकार इसे लागू करने के पूर्व धार्मिक समुदाय या उनके धर्मगुरुओं से चर्चा के बाद ही इसे लागू करने का निर्णय ले। बोर्ड सरकार से इस पर विस्तार से चर्चा कर लागू करने की अपील करता है।

केपी मौर्य ने की वकालत तो अखिलेश विरोध में उतरे

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार (UP Yogi Government) बनने के बाद से समान नागरिक संहिता ( saman nagrik sanhita ) कानून बनाने की मांग जोरों से उठने लगी हैं। योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav prasad maurya) ने भी हाल ही में इसकी वकालत की थी। उन्होंने यूसीसी ( UCC ) को देश-प्रदेश के लिए जरूरी बताया था। साथ ही कहा था कि प्रदेश सरकार समान नागरिक संहिता कानून लागू करने पर विचार कर रही है।

दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ( Akhilesh yadav ) ने यूसीसी का विरोध किया तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव ( Shivpal Yadav ) ने समान नागरिक संहिता का समर्थन देने की घोषणा की है।

UCC पर भाजपा कर रही है राजनीति

UP News : उत्तर प्रदेश कांग्रेस ( UP Congress ) के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने यूसीसी के मसले को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि समान नागरिक संहिता पर भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) सिवाय राजनीति के कुछ नहीं कर रही है। जनसंख्या कानून हो या समान नागरिक संहिता कानून, ये केंद्र सरकार के विषय है। केंद्र सरकार मुख्य मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने में जुटी है। पूरे देश में सांप्रदायिकता का माहौल है। भाजपा अपनी असफलता, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस तरीके के मुद्दे सामने लाती है।

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