अलीगढ़ में संविदाकर्मी गया था वेतन दिलाने की सिफारिश करने DM ऑफिस और CMO ने भेज दिया परिवार समेत जेल

सेलरी मांगने डीएम कार्यालय पहुंचे संविदा कर्मचारी को सीएमओ ने उसके दो मासूम बच्चों और बीवी सहित 151 की धारा यानी शांति भंग की धारा में डीएम कार्यालय से संपर्क करके सलाखों के पीछे भिजवा दिया...

Update: 2020-10-12 16:52 GMT

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक संविदाकर्मी को खुद का वेतन मांगना उस समय भारी पड़ गया जब सीएमओ ने एक ऐसा काम किया, जिसे सुन—देखकर हर कोई हतप्रभ है। संविदाकर्मी को सैलरी देने के बजाय सीएमओ ने परिवार समेत जेल भिजवा दिया।

जानकारी के मुताबिक अलीगढ़ स्थित सीएमओ कार्यालय में संविदा पर तैनात एक ऑपरेटर ने सीएमओ से अपनी सेलरी न देने पर ऊंची आवाज में बात कर ली। इसके बाद सीएमओ ने कर्मचारी को उसके दो मासूम बच्चों और बीवी सहित 151 की धारा यानी शांति भंग की धारा में डीएम कार्यालय से संपर्क करके सलाखों के पीछे भिजवा दिया।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में संविदा पर तैनात डाटा एंट्री ऑपरेटर चंद्रवीर का विभाग में किसी से विवाद चल रहा था। इस विवाद की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी भानु प्रताप सिंह से की गई, जिसके बाद उन्होंने ये एकतरफा कार्रवाई कर दी।

जानकारी के मुताबिक मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा 1 जुलाई को ऑपरेटर चंद्रवीर सिंह की संविदा समाप्त कर दी जा चुकी है, जिसके बाद चंद्रवीर सिंह उक्त प्रकरण की शिकायत लेकर जिलाधिकारी के पास पहुंचे, जहां जिलाधिकारी ने चंद्रवीर को अपने कार्यालय में ड्यूटी करने को कहा। उसी दिन से लगातार चंद्रवीर जिलाधिकारी कार्यालय में नौकरी कर रहे थे। तीन माह पूरे हो जाने के बावजूद भी चंद्रवीर को एक दिन का भी वेतन नहीं दिया गया।

चंद्रवीर ने इस बात की शिकायत सोमवार 12 अक्टूबर को जिलाधिकारी कार्यालय में की, जिसके बाद सीडीओ द्वारा चंद्रवीर सिंह से कार्यालय से अपने घर जाने का फरमान सुना दिया गया। घर जाने के फरमान के बाद चंद्रवीर सिंह अपने दो मासूम बच्चों और बीवी सहित जिलाधिकारी से मिलने के लिए उनके कार्यालय पहुंच गए। मगर बजाय डाटा आपरेटर चंद्रवीर सिंह की तकलीफ समझने के लिए डीएम कार्यालय में सीएमओ के द्वारा चंद्रवीर सिंह व उनके बच्चों को एक गाड़ी में बिठाकर थाने भिजवा दिया गया। 

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