UP Election 2022: बुन्देलखण्ड के मंत्रियों का इतना खराब है रिपोर्ट कार्ड, टिकट बचाने में भी पड़ जाएंगे लाले
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश की सियासत में बुन्देलखण्ड हमेशा से ही चर्चा के केंद्र में रहा है। यह क्षेत्र लंबे समय से पानी, पलायन और किसानों की खुदकुशी जैसी समस्याओं से जूझता रहता है।
लक्ष्मीनारायण शर्मा की रिपोर्ट
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश की सियासत में बुन्देलखण्ड हमेशा से ही चर्चा के केंद्र में रहा है। यह क्षेत्र लंबे समय से पानी, पलायन और किसानों की खुदकुशी जैसी समस्याओं से जूझता रहता है। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड के हिस्से में विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में यहां की समस्याओं को दूर करने के तमाम दावे हुए लेकिन आम किसानों और ग्रामीणों के जीवन में कोई खास तब्दीली दिखाई नहीं देती। बुन्देलखण्ड को सरकार में प्रतिनिधित्व देने के मकसद से जिन लोगों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया, वे भी इस क्षेत्र की समस्याओं को मजबूती से उठा पाने और उनका निराकरण करा पाने में नाकाम साबित हुए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में इस समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र से दो मंत्री हैं और जबकि इससे पहले साल 2017 से 2019 तक स्वतंत्रदेव सिंह भी मंत्री रह चुके हैं। सरकार में इन सबकी हिस्सेदारी से इस क्षेत्र के लोगों को क्या लाभ हुआ, चुनावी मौसम में इस बात का आंकलन जरूरी है।
बुन्देलखण्ड से जो दो लोग वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, उनमें से एक हैं मनोहर लाल पंथ और दूसरे हैं चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय। भाजपा नेता स्वतंत्र देव सिंह भी प्रदेश सरकार में साल 2017 से 2019 तक परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रहे हैं। बाद में पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दे दी और वे वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी ललितपुर जिले की महरौनी सीट से विधायक हैं और चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चित्रकूट जिले की सदर सीट से विधायक हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के तत्काल बाद ही मनोहर लाल पंथ को मंत्रिमंडल में शामिल कर श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री बनाया गया जबकि चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय वर्ष 2019 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में लोक निर्माण विभाग में राज्यमंत्री बनाये गए।
स्थानीय लोगों का मानना है कि बतौर परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के कार्यकाल की कोई भी ऐसी उपलब्धि नहीं रही, जिसे उल्लेखनीय माना जा सके। जालौन जनपद के लोग यह जरूर बताते हैं कि उन्होंने उरई के बस स्टैंड को वातानुकूलित बनाने का ऐलान किया था लेकिन इस पर अभी तक कोई खास काम नहीं हो सका है। दूसरी ओर श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ का कार्यकाल विवादों भरा रहा। उन्हें लेकर क्षेत्र में और पार्टी में दोनों ही स्तरों पर काफी विरोध है। वे अपने कार्यकाल में हमेशा विवादों के कारण ही चर्चा में रहे। उनके बेटे पर जमीनी विवाद को लेकर आरोप लगे। मनोहर लाल पंथ का कार्यकाल ऐसे विवादों के साये में बीता है। उनके गृह जनपद में किसान खाद के लिए संघर्ष करते रहे और किसानों की खुदकुशी राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन गई। चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को साल 2019 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में लोकनिर्माण विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। उनके अपने गृह जनपद के लोग कहते हैं कि उनके कार्यकाल की कोई ऐसी उपलब्धि नहीं रही, जिसे बुन्देलखण्ड के लोगों के लिए महत्वपूर्ण अथवा मील का पत्थर कहा जा सके। एक ओर जहां एमएलसी के रूप में यूपी सरकार में मंत्री रह चुके स्वतंत्रदेव सिंह को विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी उतारने की तैयारी चल रही है तो दूसरी ओर मनोहर लाल पंथ और चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय का विधायकी का टिकट खतरे में माना जा रहा है।
किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता गौरी शंकर विदुआ कहते हैं कि हमें तो पता ही नहीं चला कि इस क्षेत्र से मंत्री भी हैं। भाजपा के बड़े नेता आते हैं तो ये फोटो खिंचवाते समय मंच पर जरूर दिख जाते हैं।सेवायोजन राज्यमंत्री की जिम्मेदारी थी कि बुन्देलखण्ड में रोजगार की व्यवस्था करते। इस क्षेत्र से उनके मंत्री होने के बावजूद यहां से लोग लगातार पलायन करते रहे। बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी रही। लोक निर्माण विभाग के राज्यमंत्री इस क्षेत्र में सड़के और पुल बनवा सकते थे। यहां के मंत्रियों ने बुन्देलखण्ड के मुद्दों को सरकार के सामने नहीं रखा। इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर और संसाधनों की बेहद कमी है। खाद, बीज, बिजली और पानी के लिए मंत्री चाहते तो अपने क्षेत्र में काम करा सकते थे लेकिन कोई काम नहीं हुआ।
किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण सिंह परिहार कहते हैं कि मंत्री मनोहर लाल पंथ अपने जिले के किसानों को खाद नहीं दिलवा सके और कई किसानों की मौत तक हो गई। मंत्री के रूप में वे पूरी तरह नाकाम रहे। मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय का गृह जनपद होने के बाद भी चित्रकूट के किसानों की परेशानियां कम नहीं हुईं। इस सरकार के मंत्री हों या विधायक, किसी के पास कुछ भी बताने लायक नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ बार-बार बुन्देलखण्ड आ रहे हैं लेकिन सिर्फ घोषणाएं हो रही हैं। यहां की जमीनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हो रहा।
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और ललितपुर सदर विधानसभा क्षेत्र की प्रभारी डॉ कंचन जायसवाल जनज्वार से बात करते हुए कहती हैं कि बुन्देलखण्ड में केंद्र और राज्य की सरकारों ने बड़े पैमाने पर विकास के काम किये हैं। इस क्षेत्र में डिफेंस कॉरिडोर की आधारशिला रखी गई जो रोजगार का एक बड़ा जरिया साबित होगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना शुरू होने से इस क्षेत्र की तस्वीर बदल जाएगी। पेयजल और सिंचाई की समस्याओं को लेकर भी सरकार ने कई अरब रुपये की अलग-अलग परियोजनाओं की शुरुआत की है जो अब तक किसी सरकार में नहीं किया जा सका। इस क्षेत्र के मंत्रियों ने भी अपने कार्यकाल में लगातार कोशिश की है कि जन समस्याओं का निस्तारण कर योजनाओं का भरपूर लाभ लोगों को दिलाया जा सके।