UP Flood News : यूपी के 18 जिलों पर बाढ़ का कहर, तबाही के बीच अब बीमारियों का खतरा
UP Flood News : यूपी का तराई का हिस्सा हो या पूर्वांचल के जिले हर तरफ बाढ़ का कहर नजर आ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक राज्य के 18 जिलों के चार लाख से अधिक किसानों के 2.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल बर्बाद हो चुकी है।
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
UP Flood News : यूपी का तराई का हिस्सा हो या पूर्वांचल के जिले हर तरफ बाढ़ का कहर नजर आ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक राज्य के 18 जिलों के चार लाख से अधिक किसानों के 2.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल बर्बाद हो चुकी है। इसके अलावा बड़ी संख्या में जानमाल का नुकसान हुआ है। नदियों के जलस्तर के मुताबिक वर्ष 1998 के आंकड़े भी पार कर चुकी है। हालांकि तबाही का मंजर उस वक्त जैसे नहीं हैं। इन सबके बीच बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे के दौरान अफसरों के बिगड़े बोल व जनप्रतिनिधियों की नाराजगी से एक बात साफ है कि राहत कार्य संतोषजनक नहीं है।
पिछले पांच दिनों से प्राकृतिक आपदा ने शासन व प्रशासन के पूर्व से तैयारी के दावों की पोल खोल दी है। सीएम हवाई सर्वेक्षण कर हालात का आकलन करने व फौरी कदम उठाने का अफसरों को निर्देश देने में लगे हैंै। सीएम योगी ने तीन दिन पूर्व अयोध्या, अंबेडकरनगर, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर व गोरखपुर जिलों में हवाई निरीक्षण कर बाढ़ का जायजा लिया। सीएम ने कहा कि बाढ़ से जानमाल के नुकसान पर 4 लाख रुपये व अंगभंग होने पर 2.50 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। फसलों के नुकसान के मुआवजे के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। उधर हकीकत यह है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को खाने-पीने, जानवरों को पालने व रहने में काफी दिक्कत हो रही है। इतना नहीं, लोगों को रहने के लिए घर की छतों अथवा किसी ऊंचे स्थान पर तंबू तानकर दिन गुजारना पड़ रहा है।
देवरिया में बाढ़ का कहर बढ़ता जा रहा है। देवरहा बाबा आश्रम समेत दर्जनों गांव घाघरा और राप्ती नदी की चपेट में आ गए हैं। बचाव कार्य के लिए 45 नाव को लगाया गया है। बाढ़ के पानी की वजह से रामजानकी मार्ग पर आवागमन बंद कर दिया गया है। सरयू नदी वर्ष 1998 के उच्चतम जस्तर 68.62 मीटर पर पहुंच गई है। उधर राप्ती व गोर्रा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। 30 से अधिक गांव के लोग जान बचाने के लिए घर से निकलकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं।
बरहज क्षेत्र में बाढ़ की समस्या विकराल रूप धारण कर ली है। जल स्तर सन 1998 का सर्वाधिक जल स्तर पर है। बाढ़ का पानी मैदानी इलाकों में कई गांवों को चपेट में ले रहा है। सरयू नदी खतरे के निशान से 2.12 मीटर ऊपर बह रही है। बरहज नगर के मुख्य मार्ग पर डाक घर के पास बाढ़ का पानी पहुंच गया है। पैना में रघुनाथ सिंह इंटर कालेज परिसर में बाढ़ का पानी घुस गया है। पैना- सतराव मार्ग, डुमरिया देउबारी से सतराव मार्ग, सिसई गुलाबराय से कोटवा बरहज सड़क मार्ग, बरेजी से बरठा मार्ग से आवागमन ठप है। सीओ कार्यालय, पूर्ति निरीक्षक कार्यालय, एसडीएम आवास पानी की जद में है। तहसील परिसर का बाढ़ कंट्रोल रूम बाढ़ का पानी आने से राहत, अन्य कामकाज प्रभावित हो गया है। विशुनपुर देवार के लोगों का ऊंचे बंधों पर शरण लेने के लिए पलायन जारी है। बाढ़ से क्षेत्र के किसानों की सैकड़ों एकड़ फसलों को नुकसान पहुंचा है। सरयू नदी 1998 के जलस्तर 68.62 मीटर पर है। कपरवार के उत्तर, लबकनी, खोरी के तरफ बाढ़ का पानी बह रहा है। परसिया देवार में स्थिति पूर्व की भांति बनी हुई है। कपरवार पंचायत भवन में बाढ़ का पानी घुसने से नौकाटोला के लोग भयभीत हैं। पिछले एक सप्ताह से राप्ती और गोर्रा नदी का जलस्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों नदियां लाल निशान पार करने के बाद उच्चतम स्तर की तरफ बढ़ रही हैं। अगर जलस्तर ऐसे बढ़ता रहा तो राप्ती नदी पर निर्मित सात तटबंध 49.145 किमी, गोर्रा पर छह तटबंध 39.525 किमी और बथुआ नाले पर पर बने नौ किमी तटबंध पर खतरा बढ़ता जा रहा है।
गोरखपुर गोरखपुर जिले में बाढ़ की स्थिति और विकट हो रही है। सरयू नदी पर बना रिंग बांध टूट जाने से एक गांव व होम्योपैथिक मेडिकल कालेज में पानी भर गया। सरयू नदी ने 1998 का रिकार्ड तोड़ दिया है। 240 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, इनमें से 121 मैरुंड हो चुके हैं। अयोध्या पुल के पास तेजी से गिरते जलस्तर को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि दो दिन में बाढ़ से राहत मिलनी शुरू हो जाएगी। सरयू नदी का जलस्तर अयोध्या पुल पर वर्ष 2009 का रिकार्ड तोड़ने की कगार पर है। सरयू के बढ़ते जलस्तर की वजह से तीन दिन पूर्व बड़हलगंज के खडेसरी डेरवा टेढिया बंधा डेरवा गांव के पास टूट गया। जिससे कई अन्य गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। वहीं, बड़हलगंज कपरवार रामजानकी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाढ़ का पानी ओवरफ्लो कर गया। हालत यह है कि सड़क पर नाव चल रही है और भारी वाहनों के इस रोड पर आवागमन पर पाबंदी लगा दी गई है। जिले की 7 तहसील में 153 नाव चलाई जा रही हैं। बाढ़ से 8,366 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित है।
बस्ती जिले में बाढ़ से लगभग एक लाख की आबादी प्रभावित हुई है। बस्ती में 70 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। आलम यह है कि निचले व तटवर्ती गांव जलमग्न हो गए हैं। इन स्थानों के निवासी सुरक्षित स्थानों पर जाने की जद्दोजहद में लगे हैं। बस्ती जिले से होकर जाने वाली सरयू नदी उफान पर है। सिद्धार्थनगर जिले में 200 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं, फसलों का भी भारी नुकसान हुआ है। जिले में बाढ़ की वजह से 2 जगह बांध टूट गए हैं। 12 अक्टूबर की देर रात को सुनौली गांव के पास अशोगवा मदरहना बांध टूट गया, इसके अलावा बांसी तहसील के पास धड़िया गांव के पास बांध टूट गया है। बांध टूटने से कई गांव जलमग्न हो गए हैं।
अंबेडकरनगर जिले में घाघरा नदी उफान पर है। अंबेडकरनगर के टाण्डा व आलापुर तहसील के दर्जनों गांव में बाढ का पानी भर गया है इन गांवों में किसानों की सैंकड़ों एकड़ फसलें जलमग्न हो गईं हैं। नदी के तटवर्तीय व निचले इलाकों में निवास करने वाले लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। टाण्डा नगर के मोहल्ला अलीगंज, राजघाट छज्जापुर, चैक हनुमानगढ़ी, घसियारी टोला, रौजा, नेहरूनगर, मेहनिया आदि इलाकों में जबरदस्त पानी भर गया है।
श्रावस्ती जिले के भिनगा कोतवाली क्षेत्र में 13 अक्टूबर को गंगापुर के पास बाढ़ के पानी में डूबकर 2 लोगों की मौत हो गई। पुलिस व एनडीआरएफ की टीम ने दोनों के शव बरामद कर लिए। डूबने वालों का नाम गौहनिया गांव निवासी विनोद व जोद्धी है। फिलहाल पुलिस ने मृतकों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
अयोध्या जिले में लगातार हो रही बारिश की वजह से सरयू नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है। बाढ़ के पानी से शहर और ग्रामीण इलाकों में तबाही का मंजर है। पानी से लोगों के आशियाने डूब गए हैं। आलम यह है कि जंगली जानवर नदी के पानी में बहकर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं।
फर्रुखाबाद में बेमौसम हुई बारिश ने किसानों का खेल बिगाड दिया है। किसानों की सैंकड़ों बीघा धान,मक्का, सरसों, तंबाकू, आलू की फसलें बर्बाद हो गईं हैं। जिसकी वजह से किसानों में मायूसी है। वहीं, दूसरी तरफ बारिश की वजह के गंगा नदी के तटवर्तीय व निचले इलाकों में पानी भर गया है। जिसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतें हो रहीं हैं। ग्रामीण इलाकों में गलियां पानी से लवालब हो गईं हैं। कुछ किसान आलू की फसले बोने का अभी तक इंतजार कर रहे हैं। बारिश न रुकने की वजह से किसानों के खेत आलू की फसल लगाने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं। जिसकी वजह से आलू किसान फसल लगाने में पिछड़ रहे हैं।
कानपुर दक्षिण क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी घरों में घुस गया है। जलभराव की वजह से ग्रामीण घर द्वार छोड़ने पर मजबूर हैं। इसी कड़ी में मेहरबान सिंह का पुरवा, बनपुरवा गांव जलमग्न हो गया है। इन गांवों में मकानों के अंदर 4 से 5 फीट पानी भर गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सिंचाई विभाग की गलती से बस्ती में पानी भर गया है। कानपुर में बाढ़ के कहर के बीच पनकी थाना क्षेत्र में पांडू नदी में बाइक सवार 2 युवक डूब गए। दोनों युवक पनका बहादुर नगर से बर्थडे पार्टी से लौट रहे थे। रात के अंधेरे में सड़क ना दिखने की वजह से वह दोनों फिसलकर नदी में गिर गए। डूबने वालों के नाम सलमान और तौफीक हैं। उधर कानपुर के घाटमपुर कोतवाली क्षेत्र के लालपुर गांव में कच्चे मकान की दीवार गिर गई। दीवार के नीचे दो मासूम बच्चे दब गए। दीवार के मलबे में दबने से दोनों बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन-फानन में दोनों बच्चों को दीवार के मलबे से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जौनपुर जिला भी बाढ़ से प्रभावित हैं। जौनपुर से होकर गुजरने वाली पीली नदी पर बदलापुर क्षेत्र में बना रपटा पुल डूब गया है। जिसकी वजह से लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रपटा पुल डूबने से मेढ़ा, जमऊपट्टी, फिरोजपुर, बहरीपुर, रतासी इनामीपुर दुगौली कला, दुगौली खुर्द आदि गांवों का संपर्क टूट गया है। अब इन गांवों के लोगों को 8 किलोमीटर की अतरिक्त दूरी तय करके बटाऊबीर होकर बदलापुर तक जाने पर मजबूर हैं। रपटा पुल पर करीब 3 फिट ऊपर तक पानी बह रह रहा है।
आजमगढ़ जिले के 134 गांव सरयू नदी की बाढ़ से प्रभावित है। इससे वर्ष 1998 का रिकॉर्ड टूट गया है। सगड़ी तहसील अंतर्गत 3 ब्लॉक अजमतगढ़ हरैया, देवारा व महाराजगंज के इलाके में बाढ़ का पानी भर गया है। घाघरा का जलस्तर बदरहुआ गेज पर 73.31 मीटर पर है जबकि 1998 में 72.98 मीटर के रिकॉर्ड पर था। यहां चेतावनी बिंदु 71.68 मीटर पर है, नदी का जलस्तर प्रति घंटे 2 सेमी की रफ्तार से बढ़ रहा है। सरयू का पानी लोगों के घरों में घुस गया है।
सरकारी आंकड़ों में बाढ़ से तबाही
उत्तर प्रदेश सरकार के राहत आयुक्त द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक 18 जिलों के 1370 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। जिसमें बलरामपुर के 287, सिद्धार्थनगर के 129, गोरखपुर के 120, श्रावस्ती के 114, गोंडा के 110, बहराइच के 102, लखीमपुर खीरी के 86, बाराबंकी के 82, बुलंदशहर के 68, महराजगंज के 63, आजमगढ़ के 60,सीतापुर के 57, बस्ती के 32, संतकबीर नगर के 19, कुशीनगर के 14, मउ के 13, अयोध्या के 12 व अंबेडकरनगर के 2 गांव शामिल हैं।
दस जिलों में सर्वाधिक बारिश
सरकारी आंकड़ोे के मुताबिक राज्य के दस जिलों में 500 से 1200 मिलीमीटर तक बारिश रिकार्ड की गई,जो औसत बारिश से काफी अधिक है। देवरिया में 781.4 एमएम के औसत बारिश के बजाए 1000 एमएम रिकार्ड किया गया। इसी तरह बलरामपुर में 793 एमएम की जगह 813.6 एमएम, चित्रकुट में 785.8 के जगह 1246.4 एमएम, लखीमपुर खीरी में 922 की जगह 1043 एमएम, प्रतापगढ़ में 775.3 की जगह 804.4एमएम, आगरा में 530.3 की जगह 544.3एमएम, ओरैया में 516 की जगह 626.9 एमएम, एटा में 505.4 की जगह 698.2 एमएम बारिश रिकार्ड किया गया
अफसर के बिगड़े बोल व जनप्रतिनिधियों की नाराजगी
योगी सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए भरपूर इंतजाम का दावा कर रही है। सरकार के इस दावे पर सत्ता पक्ष ने ही सवाल खड़ा कर दिया है। भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह बाढ़ इंतजामों को लेकर अपनी ही सरकार पर बरस पड़े। सांसद ने यहां तक कह दिया कि हम बोलेंगे को बागी कहलाएंगे। यहां बोलना मना है। केवल सुनिए और सुझाव दीजिये लेकिन सुझाव भी कोई मानेगा नहीं। कैसरगंज से भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि बाढ़ से पहले एक तैयारी की बैठक होती है। कोई तैयारी की बैठक ही नहीं हुई। भगवान के भरोसे सबकुछ है। लोग इंतजार कर रहे हैं कि कब पानी रुकेगा और कब हमारी तकलीफ कम होगी। सांसद ने कहा कि मैंने अपनी जिंदगी में इतना खराब इंतजाम कभी नहीं देखा। हम लोग रो भी नहीं सकते। अपने भाव को व्यक्त भी नहीं कर सकते।
शोहरतगढ़ के विधायक विनय वर्मा बाढ़ के तैयारी को लेकर विभागीय अधिकारियों पर बरस पड़े। उनके साथ जनता ने भी अधिकारियों को खरी खोटी सुनाई। इनका मानना था कि मैं जनप्रतिनिधि हूं। हमें ही कोई खबर नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत करने की बात कही।
उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में बाढ़ पीड़ित लोगों को मिलने वाली मदद का जायजा लेने पहुंचे डीएम सैमुअल पॉल एन ने कहा कि हम कोई जोमैटो सर्विस नहीं चला रहे आपको मदद के लिए चौकी तक आना होगा। टांडा तहसील के अवसानपुर और महरीपुर में बाढ़ से पीड़ित परिवारों की समस्याओं को जानने के लिए पहुंचे थे। वहां पर बनाई गई बाढ़ चौकी पर उन्हें जानकारी मिली कि कुछ लोग अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं। इस पर उनके बिगड़े बोल सुनाई पड़े। उधर सिद्धार्थनगर जिले में आई बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे सांसद जगदंबिका पाल ने थानाध्यक्ष को जमकर फटकार लगाई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। दरअसल, सिद्धार्थनगर जिले के बिजौरा क्षेत्र में जब सांसद जगदंबिका पाल बाढ़ क्षेत्र में पहुंचे तो देखा कि त्रिलोकपुर थाने के एसओ विद्याधर कुशवाहा ट्रैक्टर में बैठे आराम कर रहे थे। सामने सांसद को देखकर भी वह छाता लगाए ट्रैक्टर में बैठे रहे, जिसे देख सांसद जगदंबिका ने उन्हें बुलाया और जमकर फटकार लगाई। साथ ही कहा कि जूता न भीगे इसलिए ट्रैक्टर पर बैठे हो, इस समय लोगों को आपकी जरूरत है, नांव की व्यवस्था करवाई, क्षेत्र की जरूरतों को पूरी करने के लिए कलेक्टर को बताया क्या?
मुख्यमंत्री ने की राहत उपाय की घोषणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बाढ़ के चलते पशुओं की हानि का भी सर्वे कराया जा रहा है। साथ ही जिन किसानों की फसलें बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई हैं, सर्वे कराकर उन्हें हम 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से क्षतिपूर्ति देंगे। बारहमासी फसलों पर 22500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता राशि दी जाएगी। इसी तरह दुधारू पशु गाय, भैंस आदि के मरने पर 37500, बकरी, भेड़, सुअर आदि के मरने पर 4000 रुपये की क्षतिपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा गैर दुधारू पशु ऊंट, घोड़ा आदि के मरने पर 32000, बछड़ा, गधा, टट्टू आदि के मरने पर 20000 रुपये की दर से पशुपालकों को सहायता राशि दी जाएगी। मुर्गी पालकों को हुई क्षति पर प्रति मुर्गी 100 रुपये की दर से सहायता प्रदान की जाएगी।