UP Flood News: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में समस्याओं का अंबार, खाना-पानी-दवा तक का नहीं हो पा रहा इंतजाम
UP Flood News: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में समस्याओं का अंबार है। खाना,पानी,दवाओं के लिए लोग टकटकी लगायें है। उनके पास जो राशन था वह खत्म हो चुका है। किसी तरह इंतजाम करके सामग्री लाते है।
UP Flood News: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में समस्याओं का अंबार है। खाना,पानी,दवाओं के लिए लोग टकटकी लगायें है। उनके पास जो राशन था वह खत्म हो चुका है। किसी तरह इंतजाम करके सामग्री लाते है। जल भराव होने से संक्रामक मरीज बढ़ रहे है। इसके चलते बिजली की कटौती की जा रही है। लोग रात के अंधेरे में मोमबत्ती जलाते है। पानी भराव से मकानों के आसपास गंदगी जमा हो गई है। वहीं लोगों में विशैले सांपों का भय है। मकानों के
भीतर पानी घुस जाने के बाद भी कुछ ने घरों को नहीं छोड़ा है वह छतों में गुजर बसर करते है। उन्हें सामान चोरी होने का भय सता रहा है। सरकार के मंत्री बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए निकले, मगर लोगों को बहुत उम्मीदें नहीं दिखी। उनका कहना है कि किसी तरह सामान लाते है। उन्हें पल पल की चुनौती से सामना करना पड़ रहा है। वहीं फतेहपुर में बाढ़ पीडितों ने वितरण को पहुंचे लंच पैकेट को लूट लिया।
बाढ़ शिविर में बदइंतजामी देखने को मिली। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि खाना,पानी के नाम पर खाना पर पूरी की जा रही है। पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। कईयों ने फीवर की समस्या बतायी है लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिला। कह सकते है कि दवाओं की सुविधा नहीं है। जिन लोगों ने घर नहीं छोड़ा खाना,पानी की कमी है। किसी को नजदीक आते देख खाना होने की आवाज़ लगाते है।
फतेहपुर में बाढ पीड़ि़तों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। तबाही से घिरे परिवार ऊचे स्थान पर पालीथिन की छांव में समय गुजार रहे हैं। प्रशासनिक बाइंतजामी में जूझ रहे परिवार पेट भरने को लंच पैकेट को ताकते रहे। बाढ़ पीडितों की दिये जाने वाले लंच पैकेट पल्टू का पुरवा में लूट मच गई। एक हजार की आबादी के अनुसार लंच पैकेट नहीं वितरित करना इसकी वजह थी। माननीयों ने
बाढ़ पीड़ितों के हालात का जायजा लेने खाली हाथ पहुंचे, उनकी ओर से सामग्री भी बाटी गई सिर्फ दो किलो राशन देकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश करते रहे। वहीं बाइंतजामी के कारण बड़े पैमाने पर परिवार रिश्तेदारों के घर कूच करने पर विवश है।
प्रयागराज के हालातों पर नजर डाले तो सलोरी का कैलाशपुरी मोहल्ला में बाढ़ के पानी में मकान चारों रफ से घिर गए हैं। हर तरफ गंदगी का अंबार है। तीन दिनाें से यहां ऐसे ही हालात हैं। अलग-अलग मकानों में कुछ लोग एवं बच्चे प्रथम तल के छज्जे पर खड़े हैं। रविवार को एनडीआरएफ की टीम पहुंचती है तो लोगों में उम्मीद जगती है कि राशन, पानी आदि की समस्या अब कुछ हद तक दूर होगी। इसी उम्मीद में अन्य मकानों में भी लोग कमरों से बाहर आ जाते हैं। हालांकि, उन्हें निराशा होती है। एनडीआरएफ की टीम फंसे तथा बीमार लोगाें को निकालने के लिए पहुंची थी। बाढ़ प्रभावित सभी इलाकों में लोगों का यही हाल है। मदद के इंतजाम में लोग टकटकी लगाए रहते हैं लेकिन आखिरकार निराशा ही हाथ लगती है।
बाढ़ में फंसे शिवम, सुधा का कहना था, तीन दिनों से फंसे हैं। कोई मदद के लिए नहीं आया। नाव भी नहीं आई। इसकी वजह से तीन दिनों से घर से ही निकल पाए हैं। पानी, अनाज, सब्जी आदि का पहले से इंतजाम किए थे लेकिन सबकुछ खत्म होने लगा है। मनीष यादव ने बताया कि शिविर में गए थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
पिछले वर्ष प्रशासन तथा संस्थाओं की ओर से राशन, सब्जी, दूध, मोमबत्ती आदि वस्तुएं उपलब्ध कराई गईं थीं लेकिन इस बार कोई नहीं आया। इससे मुश्किलें और बढ़ गईं हैं।' तीन दर्जन से अधिक मोहल्लों में बाढ़ में फंसे लोगों का बस इतना ही दर्द नहीं है, उन्हें पल-पल पल-पल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
यहां के लोगों ने यह भी बताया बिजली की गंभीर समस्या है।इसकी वजह से मोबाइल स्विचऑफ हो गया है। अपनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। वहीं अरुण कुमार ने अपने रिश्तेदार की मदद से एनडीआरएफ के कमांडर बृजेश कुुमार तिवारी से संपर्क किया। इसके बाद तत्काल पहुंचकर टीम ने इन छात्राें के अलावा दो अन्य लोगों को बाहर निकाला।
सपा ने व्यवस्थाओं पर उठाये सवाल
सपा नेताओं ने शनिवार को बाढ़ से प्रभावित फाफामऊ के सीताकुंड, सरायजैराम, गोड़वा, अकबरपुर, गंगागंज आदि गांवों का निरीक्षण किया। पूर्व जिलाध्यक्ष योगेश चंद्र यादव ने कहा कि पीड़ितों के लिए नाव से लेकर केरोसिन तक की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। सिर ढकने के लिए त्रिपाल तक नहीं उपलब्ध है। जानवर भूखे मर रहे हैं। उन्होंने ये सारे इंतजाम सुनिश्चित करने की मांग की। इस दौरान पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल, पूर्व विधायक अंसार अहमद, अमरनाथ मौर्य, दूधनाथ पटेल, सूर्यदीप यादव अद मौजूद रहे। प्रशासन की ओर से बाढ़ से बचाव के लिए 128 नावें लगीं जो नाकाफी साबित हुई है। बघाड़ा, सलोराी, राजापुर आदि क्षेत्रों में नाव नहीं पहुंचने की शिकायत आम रही।
सौ से अधिक गांव बाढ़ में घिरे
गंगा, यमुना, टोंस आदि नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी की वजह से सौ से अधिक गांव भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। ये गांव चारों तरफ से घिरकर गए हैं। कई गांवों का तो अन्य क्षेत्रों से संपर्क भी टूट गया है और नाव ही एकमात्र सहारा है। फूलपुर तहसील के बदरा, सोनौटी, पालीकरनपुर, छिबैया, नीबीकला, धोकरी उपरहार, मेजा आदि क्षेत्रों में बाढ़ का अधिक प्रकोप है।
गांवों में पहुंची बाढ़, नहीं मिली राहत सामग्री
एसडीएम बारा शुभम सिंह कहते बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए तहसीलदार बारा को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। साथ ही तहसील कर्मियों के अलावा बीडीओ शंकरगढ़ व जसरा, सीएचसी अधीक्षक जसरा व शंकारगढ़ को पत्र जारी किया गया है। बाढ़ राहत शिविरों तथा चौकियों पर राजस्वकर्मियों के साथ चिकित्सकों की टीम व ब्लॉक के कर्मचारी भी तैनात किए गए हैं।
बाढ़ राहत शिविर में लगे पंखे में उतरा करंट, महिला की मौत
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बाढ़ की विभीषिका के बीच रविवार शाम लंका थाने के एक बाढ़ राहत शिविर में लगे पंखे में उतरे करंट से महिला की मौत हो गई। घटना के बाद से प्रशासन ने राहत शिविरों से पंखा और बिजली के अन्य उपकरण हटवा दिये। हादसे के पीछे लापरवाही सामने आयी करीब पचास मीटर दूरी पर अण्डर पास तार निकला था ,जिम्मेदारों ने कोई तवज्जों नहीं दी है। मृतका के पति की डेढ़ साल पहले ही मौत हो चुकी है। तीन बच्चे किशन, अजय और बेटी खुशी का रो-रोकर बुरा हाल है।
नगवां क्षेत्र स्थित एक मकान में रूबी साहनी (36) किराए पर रहती थी। वह घरों में चूल्हा-बर्तन कर तीनों बच्चों का पालन पोषण करती थी। गंगा में बाढ़ के कारण वो इन दिनों अपने परिवार के साथ लंका थाने के पीछे स्थित बाढ़ राहत शिविर में रह रही थी। रविवार दोपहर रूबी साहनी टेंट में लगे टेबल फैन को अपने ओर घुमा रही थी। इस दौरान पंखे में उतरे करंट की चपेट में आ गई।आसपास मौजूद लोगों ने पंखे से अलग किया। और रूबी को लेकर अस्पताल गए। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पहले पिता और अब मां को खोने के बाद तीनों के आंखों में सिर्फ आंसे थे। रूबी की मौत की सूचना पर उसका भाई विक्की साहनी अपनी मां को लेकर मौके पर पहुंचा।
शिविर में रहने आए लोगों का आरोप है कि नगर निगम की तरफ से लगवाए गए शिविर के अंदर पंखा में करंट उतर रहा था, जिसे बिना चेक किए ही शिविर में लगा दिया गया। उन्होंने कहाकि डीएम कौशल राज शर्मा टीम के साथ पहुंचे थे और शिविर से पचास मीटर दूर लगे अंडर ग्राउंड बिजली के बोर्ड से बाहर निकले तार को ठीक करने के लिए निर्देशित किया था। आखिर अब इन अनाथ बच्चों की परवरिश कौन करेगा बढ़ा सवाल है। घटना के बाद से राहत शिविर सें पंखा,बिजली के उपकरण आदि हटे दिये गये है।
हमीरपुर के हालात बाढ़ से बद से बदतर
हमीरपुर में बाढ़ से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, यहां यमुना खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर तो बेतवा दो मीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ से 39 सालों पहले के हालात बन आये,जहां नहीं पहुंचा पानी पहुंच गया। प्रशासन के अनुसार हमीरपुर तहसील क्षेत्र में 64 गांव प्रभावित हैं, तो वहीं डेढ़ सौ परिवारों को शेल्टर होम में शिफ्ट किया गया है। जबकि लगातार प्रशासन और नगरपालिका की टीम बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों से लोगों को निकालने में लगी है। हमीरपुर के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ 1983 में आई थी तब दोनों नदियों का जलस्तर 108 को पार किया था। उसके बाद 2021 में भी बाढ़ ने प्रलय मचाया था और नदियां 107 मीटर को पार कर गईं थीं।
फिलहाल जिलाधिकारी की तरफ से कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है। जबकि सदर एसडीएम ने अपनी तहसील क्षेत्र के 64 गांव प्रभावित होने की बात कही है। एसडीएम रविन्द्र सिंह ने बताया कि डेढ़ सौ परिवारों को शेल्टर होम में पहुंचाया जा चुका है। जिसमें भोला का डेरा, चूरामन का डेरा, केसरिया का डेरा, जरैली, डिग्गी, चंदुलीतीर, अमिरता डेरा, बेतवा घात, यमुना घाट, गौरादेवी के लोग हैं। बाढ़ की विभीषिका के आगे प्रशासन की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं नाकामी है। लोग हाइवें पर शिविर लगा कर रहते,मवेशी भी सड़क पर नजर आये। शिविर में रहने वाले लोगों का कहना है कि खाना,पानी की समस्या है। उनके पशु बीमार है इन्हें कहा दिखाये गंभीर समस्या है।
बाढ़ के बाद संक्रमण बढ़ा
बाढ़ की विभीषिका के साथ संक्रामक मरीजों की संख्या बढ़ी है। बांदा मेडिकल कालेज आये मरीजों में ज्यादातर बुखार, उल्टी-दस्त, जुकाम-खांसी के मरीज हैं। रोजाना औसतन 1000 से 1200 मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि इनमें करीब 40 फीसदी मरीज वायरल के आ रहे हैं। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. विनीत सचान ने बताया कि सबसे ज्यादा बीमार पूर्व में कोरोना से ग्रसित हो चुके लोग हो रहे हैं। ओपीडी में इनकी संख्या करीब 20 फीसदी है। फेफड़ों में संक्रमण से निमोनिया, खांसी-जुकाम और शूगर आदि रोगों की चपेट में आ रहे हैं। इन्हें बुखार हो रहा है। इसके अलावा वायरल का प्रकोप बढ़ा है। खासकर 15 साल तक के बच्चे और 50 साल से ऊपर वाले ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं। अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या स्वास्थ्य महमके की पोल खोलती है। बाढ़ राहत शिविर में रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें खुद से ही सारे इंतजाम करना पड़ता। प्रशासन की मिलने वाली मदद पर असंतोष जाहिर किया है।