UP : महिला की मौत पर पड़ोसियों ने नहीं लगाया हाथ, मजबूरन कूड़ागाड़ी से भाई को ले जानी पड़ी बहन की लाश

रविवार 9 मई की सुबह बालामती की मौत हो गई। चिकित्सक ने बहन के शव के अंतिम संस्कार के लिए मोहल्लेवालो से कहा, लेकिन कोरोना संक्रमण के डर के कारण कंधा देने के लिए कोई आगे नहीं आया...

Update: 2021-05-10 04:03 GMT

कूड़ागाड़ी से जाता बालामती का शव

जनज्वार, शामली। कोरोना महामारी के समय जो ना हो कम है। इंसान की सही दुर्गति अब के समय हो रही है, खासकर उत्तर प्रदेश में। सूबे के जनपद शामली में जलालाबाद कस्बा के मोहल्ला मोहम्मदीगंज में बीमार चल रही महिला की मौत हो गई। कोरोना महामारी के डर से महिला के शव को कंधा देने के लिए कोई नहीं आया, जिसके बाद महिला का शव कूड़ागाड़ी से ले जाना पड़ा।

जलालाबाद कस्बे के मोहल्ला मोहम्मदीगंज में निजी चिकित्सक प्रभात बंगाली का परिवार रहता है। चिकित्सक की 50 वर्षीय बहन बालामती को कई दिन से बुखार आ रहा था। रविवार 9 मई की सुबह बालामती की मौत हो गई। चिकित्सक ने  बहन के शव के अंतिम संस्कार के लिए मोहल्लेवालो से कहा, लेकिन कोरोना संक्रमण के डर के कारण कंधा देने के लिए कोई आगे नहीं आया। 

मजबूर होकर चिकित्सक ने नगर पंचायत चेयरमैन अब्दुल गफ्फार व अधिशासी अधिकारी विजय आनंद से गुहार लगाई। अधिशासी अधिकारी ने नगर पंचायत का वाहन भेजा। नगर पंचायत कर्मियों की मदद से चिकित्सक के शव को वाहन में रखकर शमशान घाट ले गए। वहां पर चिकित्सक ने अपनी बहन के शव का अंतिम संस्कार किया।

सीएमओ संजय अग्रवाल ने बताया कि जलालाबाद में महिला की मौत होने का मामला उनकी जानकारी में नहीं है। महिला की मौत किस कारण से हुई, यह जांच के बाद ही पता चल पाएगा। जिम्मेदारों को खुद की जान के लाले पड़ रहे ऐसे में जानना भी जरूरी नहीं है, कौन परा और कौन जिया। 

बाद में मृतक बालामती के शव को नगर पंचायत के वाहन (कूड़ागाड़ी) से शमशान घाट ले जाया गया, जहां पर मृतका के चिकित्सक भाई ने उसका अंतिम संस्कार किया। कोरोना महामारी ने सरकार के साथ-साथ आम इंसान की इंसान के लिए संवेदनाएं भी तोड़ दी हैं।

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