योगी की मौजूदगी में गोरखपुर में नहीं मिला ऑक्सीजन, बड़े की छोटे भाई के कंधे पर ही थम गई सांस
समय की कमी पर विष्णु ने भाई को कंधे पर लादकर दूसरे काउंटर तक ले गया। वहां भी उसे लिटाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिला। विष्णु ने ऑक्सीजन मांगी तो कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिये। इसी बीच रामबदन के शरीर की हरकत बंद हो गई और उसकी सांसें थम गईं...
जनज्वार, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को दो दिवसिय दौरे पर गोरखपुर गए हुए थे। सोमवार को कोरोना का नाश करने के लिए उन्होने रूद्राभिषेक भी किया था। योगी की मौजूदगी के समय ही गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कर्मचारी अपनी संवेदनहीनता का नमुना पेश कर रहे थे। संवेदनहीनता का आलम यह था कि भाई को स्ट्रेचर ना मिलने पर छोटा भाई कांधे पर लादकर ले गया, वक्त रहते ऑक्सीजन भी नहीं मिला। फलस्वरूप भाई ने कांधे पर ही दम तोड़ दिया।
इस अमानवीय मसले पर पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ट्वीट करते हैं कि 'बात ये नहीं है कि भाई को कंधे पर लाद कर वार्ड तक ले जा रहा है, बात ये है कि उसकी आसमान छूती चीखें,भाई की जान न बचा सकींl ये दृश्य गोरखपुर मेडिकल कॉलेज का है, योगी जी मठ में मौजूद थे और ये चीखें न सुन पाएl नोट: वीडियो एक दिन पुराना है, कृपया मेरे ऊपर एक और मुक़दमा न करनाl'
गोरखपुर के भटहट स्थित धोरकीमागी का 35 वर्षीय रामबदन साहनी हैदराबाद में पेंट-पालिश का काम करता था। तीन दिन पहले ही वह हैदराबाद से घर लौटा था। दो दिन से उसकी तबीयत खराब थी। रविवार 9 मई की रात में हालत ज्यादा बिगड़ गई। परिजनों ने एम्बुलेंस के लिए कई बार फोन किया, पर एम्बुलेंस नहीं आई। सोमवार 10 मई की सुबह छोटे भाई विष्णु ने एक बार फिर एम्बुलेंस बुलाने की कोशिश की लेकिन हाथ लगी तो निराशा। रामबदन की सांस तेजी से फूलने लगी तो छोटे भाई विष्णु ने दोस्त की मदद से बड़े भाई को बाइक से ही लेकर बीआरडी के 300 बेड वाले कोविड वार्ड पहुंच गया।
300 बेड के कोविड वार्ड वाले भवन का पोर्टिको ऊंचाई पर है जहां एंबुलेंस तो आसानी से पहुंच जाती है लेकिन मरीज लेकर बाइक से वहां तक नहीं पहुंचा जा सकता। ऐसे में भाई को लेकर पहुंचे विष्णु ने पोर्टिको से आगे स्थित पूछताछ काउंटर पर पहुंचकर स्ट्रेचर मांगा लेकिन कर्मचारियों ने कहा कि स्ट्रेचर मरीज को अंदर ले जाने के लिए है, इसके बाहर ले जाने के लिए नहीं दे सकते। समय की कमी पर विष्णु ने भाई को कंधे पर लादकर दूसरे काउंटर तक ले गया। वहां भी उसे लिटाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिला। विष्णु ने ऑक्सीजन मांगी तो कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिये।
इसी बीच रामबदन के शरीर की हरकत बंद हो गई और उसकी सांसें थम गईं। भाई की मौत के बाद परिजन रोने लगे। विष्णु ने कहा कि समय से इलाज न मिल पाने से भाई की मौत हो गयी। उसकी मौत के बाद भी कर्मचारी संवेदनहीन बने रहे। दो घंटे तक मनुहार के बाद शव को पैक किया गया। इसके बाद दो हजार रुपये में तय कर एम्बुलेन्स से शव को घर ले गये।
सीएम योगी की गोरखपुर में मौजूदगी के समय हुई इस घटना पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रभारी आचार्य डॉक्टर पवन सिंह का कहना है कि 'बेहद अमानवीय है। मरीज को हर हाल में स्ट्रेचर मिलना चाहिए था। स्ट्रेचर की कमी भी नहीं है। कुछ कर्मचारियों की वजह से पूरे संस्थान की छवि प्रभावित होती है। इस मामले में कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी जाएगी ताकि इस तरह की अमानवीय घटनाए फिर से न हों।'