UP Paper Leak: बलिया से लेकर देवारिया तक फैला है नकल माफियाओं का रैकेट, सफेदपोशों का मिल रहा संरक्षण
UP Paper Leak: पेपर लीक होने को लेकर यूपी बोर्ड परीक्षा इस समय सुर्खिेयों में है। इस मामले में पत्रकारों पर मुकदमा व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को प्रशासनिक कदम भले ही माना जा रहा है, पर कुछ लोगों का कहना है कि यह मात्र सरकार की छवि पर पड़ रहे प्रतिकुल असर को देखते हुए डैमेज कंटोल के रूप में यह कार्रवाई है।
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
UP Paper Leak: पेपर लीक होने को लेकर यूपी बोर्ड परीक्षा इस समय सुर्खिेयों में है। इस मामले में पत्रकारों पर मुकदमा व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को प्रशासनिक कदम भले ही माना जा रहा है, पर कुछ लोगों का कहना है कि यह मात्र सरकार की छवि पर पड़ रहे प्रतिकुल असर को देखते हुए डैमेज कंटोल के रूप में यह कार्रवाई है। सही मायने में सफेदपोशों के संरक्षण में यह नकल माफियाओं का खेल वर्षों से चला आ रहा है। जिस पर अंकुश के लिए कभी ठोस कार्रवाई होते नहीं दिखी। लिहाजा पूर्वांचल में बलिया से लेकर देवारिया तक नकल माफियाओं का रैकेट फैला हुआ है।
मालूम हो कि 30 मार्च को बारहवीं की अंग्रेजी का पेपर लीक होने का मामला सामने आया। इस मामले में बलिया जिले के एक इंटर कालेज को इसका सूत्रधार माना गया। इसके बाद अब तक इस प्रकरण से जुड़े 46 लोगों की गिरफतारी हो चुकी है। जिसमें कई पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ है। जिन पर वायरल प्रश्न को प्रकाशित करने का आरोप है। इस कार्रवाई पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बलिया में पत्रकार संगठनों,अधिवक्ताओं व छात्र नेताओं ने अलग अलग प्रदर्शन कर सरकार की आलोचना करते हुए पत्रकारों के रिहाई की मांग की है। इस तरह के विरोध प्रदर्शन अन्य जिलों में भी हुए हैं।
सोशल मीडिया पर अंग्रेजी का पेपर वायरल होने के बाद राज्य के 24 जिलों में यह परीक्षा निरस्त कर दी गई। साथ ही तत्काल इन जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षक भी निलंबित कर दिए गए। यह प्रकरण जोर पकड़ने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप करते हुए इस खेल में शामिल लोगों के खिलाफ रासुका तक की कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके बाद से यह प्रकरण सुर्खियों में है। इसके अलावा बलिया में हाईस्कूल की संस्कृत के पेपर की हल कॉपी परीक्षा के एक दिन पूर्व से ही बाजार में खूब बिकी।
सवाल उठता है कि पेपर लीक व परीक्षा में नकल की शिकायत वर्षों पुरानी है। इस दौरान सभी प्रमुख दल यहां अलग अलग समय में सत्ता में रहे। जिनके द्वारा कोई निर्णायक पहल होते नहीं दिखी। एक इंटर कालेज के अध्यापक सुरेंद्र यादव कहते हैं कि कल्याण सिहं के सरकार में नकल को संज्ञेय अपराध घोषित किया गया। जिसमें नकल करते पकड़े जाने पर छात्रों को जेल भेजने का प्रावधान था। हालांकि उस दौरान भी नकल माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई होते नहीं दिखी। जिसके चलते छात्रों के विरोध के कारण इस कदम से बाद में सरकारों को पीछे हटना पड़ा।
खास बात यह है कि पेपर लीक होने व परीक्षा में नकल संबंधित मामलों को अंजाम देने के लिए एक पुरा गिरोह सक्रिय है। इसमे बड़ी संख्या में वित्त विहीन विद्यालय भी शामिल है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए हर साल केंद्र बनाने को लेकर वित्तविहीन स्कूलों में होड़ लगती है। यही कारण है कि हर साल केंद्र बनने के लिए वित्तविहीन स्कूलों की ओर से हाईकोर्ट में याचिकाएं होती हैं। ऐसे में सवाल है कि वित्तविहीन स्कूलों में बोर्ड परीक्षा कराने की आखिरकार ऐसी भी क्या जिद है। एक बार मुकदमा करने में कम से कम 25 हजार रुपये खर्च होता है। साफ है कि शुचितापूर्वक और नकलविहीन परीक्षा की बजाय आर्थिक लाभ के उद्देश्य से वित्तविहीन स्कूल के प्रबंधक इतने रुपये फूंकते हैं। इसी लालच का परिणाम बलिया जिले में देखने को मिला कि परीक्षा के एक दिन पहले ही पेपर आउट हो गया। बलिया में ये पहली बार नहीं हुआ है। 2019 और 2020 की परीक्षा में भी प्रश्नपत्र आउट हुए थे। हकीकत में 2019 से ऑनलाइन केंद्र निर्धारण की व्यवस्था लागू होने के बावजूद जिला स्तर पर हस्तक्षेप पूरी तरह से बंद नहीं। है। हर साल हर जिले में एक से दो दर्जन स्कूल तक ऑफलाइन बनाए जाते हैं। इनमें प्रभावशाली लोगों के स्कूलों के केंद्र बनने से लेकर रुपयों के लेनदेन के आरोप भी लगते रहे हैं।
ये सब खेल राजनेताओं व अफसरों के गठजोड़ से संभव हो पाता है। ऐसे में इन पर हाथ डालना आसान नहीं होता है।हाल के वर्षों में बलिया के अलावा देवरिया,कुशीनगर समेत आसपास के जिलों में अन्य राज्यों व प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से छात्र परीक्षा देने आते थे। जिनके रहने-खाने से लेकर परीक्षा कराने की पूरी जिम्मेदारी गिरोह के सदस्य करते थे। इसके बदले में इन्हें मोटी रकम हासिल होती थी। हालांकि इस तरह की शिकायतों में अब कमी आई है।
बलिया के प्रकरण में यहां के निलंबित जिला विद्यालय निरीक्षक ब्रजेश मिश्रा के खिलाफ कई विभागीय जांच चल रही हैं। जौनपुर में बतौर डीआईओएस 123 शिक्षकों की अवैध नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट तक गया था जिसकी जांच चल रही है। इसके अलावा ब्रजेश मिश्र के खिलाफ चल रही कई प्रतापगढ़ में भी अवैध नियुक्तियों के मामलों की जांच लंबित है। हरदोई में जब वह बीएसए थे जब एक रसोईया ने उत्पीड़न की एफआईआर दर्ज कराई थी। बलिया में भी उनके खिलाफ कई शिकायतें प्रशासन से लेकर शासन स्तर तक की गई हैं। इससे इनके उंची पहुंच व भ्रष्टाचार के खेल का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसके अलावा देवरिया के बरहज क्षेत्र में नकल माफिया गिरोह का भण्डाफोड़ हुआ। वित्तविहीन मान्यताप्राप्त स्व. विन्ध्याचल इण्टर कॉलेज पैना के केंद्र व्यवस्थापक की मिलीभगत से एक ग्राम प्रधान के घर पर यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियां लिखी जा रही थीं। पुलिस ने मौके से ग्राम प्रधान समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक बाल अपचारी भी है। केंद्र व्यवस्थापक समेत 10 के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। यहां शिकायत मिली थी कि हाईस्कूल की संस्कृत तथा इण्टरमीडिएट की चित्रकला विषय की उत्तर पुस्तिकाएं ग्राम प्रधान के घर पर लिखी जा रही हैं। एसडीएम व सीओ ने बरहज के थानेदार टीजे सिंह व पुलिस टीम समेत जिला विद्यालय निरीक्षक देंवेंद्र गुप्ता, नायब तहसीलदार जितेंद्र कुमार सिंह के साथ ग्राम प्रधान के घर पर छापेमारी की। मौके पर हाईस्कूल के संस्कृत विषय एवं इण्टर के चित्रकला प्राविधिकध्आलेखन विषय की कुल आठ उत्तर पुस्तिकाओं पर लिखते,चित्रकला बनाते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया। इनके पास इंटर चित्रकला की सात सादी कॉपियां रखी हुई मिलीं। इसके अतिरिक्त हाईस्कूल की ए श्रेणी की 17 और बी श्रेणी की एक कॉपी, इण्टर की ए श्रेणी की 15 कापियां, चित्रकला के 11 प्रश्नपत्र, गृह विज्ञान के तीन प्रश्नपत्र तथा उर्दू के दो प्रश्नपत्र मिले। बड़ी तादात में नकल सामग्री भी बरामद हुई। हाईस्कूल की सात कॉपियों पर हस्ताक्षर, मुहर सहित पूरा विवरण था, जबकि शेष 11 कॉपियां सादी थीं। ऐसे ही इण्टर की 12 कॉपियों पर केन्द्र व्यवस्थापक की मुहर पाई गई, जबकि ती कॉपियां सादी थीं।
डबल लॉक वाली आलमारी में पेपर रखने का निर्देश
प्रश्न पत्र लीक न हो पाए इस लिहाज से इस बार विशेष व्यवस्था की गई है। शासनादेश के मुताबिक परीक्षा केन्द्रों पर डबल लॉक वाली आलमारी में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा की ठीक से जांच करा लेने को कहा गया है साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि डबल लॉक के एक लॉक की एक चाबी केन्द्र व्यवस्थापक के पास, दूसरे लॉक की एक चाबी वाह्य केन्द्र व्यवस्थापक के पास और एक डुप्लीकेट चाबी स्टैटिक मजिस्ट्रेट के पास रहे। इसी आदेश में सख्त हिदायत दी गई है कि डबल लॉक को स्टैटिक मजिस्ट्रेट, केन्द्र व्यवस्थापक एवं वाह्य अतिरिक्त केन्द्र व्यवस्थापक की उपस्थिति में ही खोला जाए। ये सारी व्यवस्था होने के बाद भी पेपर का लीक होना बताता है कि आपसी मिलीभगत से ही यह संभव हो पा रहा है।
बैंकों में रखे जाते हैं सीबीएसई के परीक्षा के पेपर
यूपी बोर्ड के पेपर लीक होने का प्रकरण अगर आए दिन सामने आ रहे हैं तो पेपर की सुरक्षा पर सवाल उठना स्वाभाविक है। ऐसे में सीबीएसई के पेपर रखने के तरीकों पर चर्चा जरूरी हो जाती है। सीबीएसई के तरफ से देवरिया में नामित जिला समन्वयक वीके शुक्ल कहते हैं कि परीक्षा के प्रश्न पत्र हमारे यहां बोर्ड द्वारा बैंकों में रखने की व्यवस्था की है। कन्फीडेन्सियल मैटेरियल ट्रैकिंग एण्ड मानीटरिंग सिस्टम ऐप के देखरेख में इसकी निगरानी की जाती है। बोर्ड चार कोड में पेपर तैयार कर जिले में भेजता है। जिसे केंद्र के नजदीकी राजकीय बैंक के चेस्ट रूम में रखा जाता है। यहां रखने व निकालने की पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में ऐप पर केंद्र व्यवस्थापक व बैंक मैनेजर के आईडी दर्ज होती है। यहां से परीक्षा के दिन आधे घंटे पूर्व पैकेट केंद्र पर ले जाया जाता है। जहां एक पैकेट के अंदर बारह बारह प्रश्न पत्रों का अलग से सिल्ड पैक होता है। जिसे कक्ष में दो इन्भेजीलेटर व दो परीक्षार्थियों के हस्ताक्षर के बाद खोला जाता है। इसके पूर्व यह सुनिश्चित कर लेना होता है कि पेपर का पैकेट फटा न हो। ऐसे में पारदर्शी प्रक्रिया अपना कर प्रश्न पत्रों की सुरक्षा की जाती है।
राज्य में 51,92,689 छात्र-छात्राएं दे रहे परीक्षा
यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 24 मार्च से शुरू हुई है, जो 12 अप्रैल तक चलेगी। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति विनय कुमार पांडेय के मुताबिक परीक्षा में 10वीं के 27,81,654 (15,53,198 बालक व 12,28,456 बालिकाएं) और 12वीं के 24,11,035 (13,24,200 बालक व 10,86,835 बालिकाएं) कुल 51,92,689 छात्र-छात्राएं शामिल हो रही है।ं इस बार परीक्षा के लिए 8373 केंद्र बनाए गए हैं। जिला और राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों और राउटर की सहायता से परीक्षा की वेबकास्टिंग कराने की व्यवस्था है। केंद्रों में वॉयस रिकॉर्डर भी लगाए गए हैं ताकि बोल-बोल कर नकल न कराई जा सके।
कुशीनगर में 172 केंद्रों पर बोर्ड परीक्षा की परीक्षा चल रही है। देवरिया जनपद में 218 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। जिसमें हाईस्कूल में 67802 व इंटर में 56751 परीक्षार्थी हिस्सा ले रहे हैं। परीक्षा को नकल विहीन संपन्न कराने के लिए तीन सुपर जोनल मजिस्ट्रेट, पांच जोनल मजिस्ट्रेट, 27 सेक्टर मजिस्ट्रेट व स्टैटिक मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। यूपी बोर्ड की परीक्षा को लेकर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। कंट्रोल रूम में 959856 5105 तथा 9651045429 नंबर है। जिस पर परीक्षार्थी या अन्य कोई परीक्षा से संबंधित सुझाव या शिकायत दर्ज करा सकता है। उसका निस्तारण संबंधित अधिकारी द्वारा किया जाएगा।