UPSC Exam: योगी सरकार के UPSC चयन में बड़े घपले का अंदेशा - शिक्षा अधिकारी, शिक्षक हुए गरीब और EWS कोटे में पाईं नौकरियां
UPSC Exam। ईडब्ल्यूएस (EWS) का फुल फार्म इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (Economically Weaker Sections) अर्थात आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग है। ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बिल्कुल इनकम सर्टिफिकेट के समान होता है, जो किसी भी व्यक्ति की आय की स्थिति को दर्शाता है।
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
UPSC Exam। ईडब्ल्यूएस (EWS) का फुल फार्म इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (Economically Weaker Sections) अर्थात आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग है। ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बिल्कुल इनकम सर्टिफिकेट के समान होता है, जो किसी भी व्यक्ति की आय की स्थिति को दर्शाता है। सरकार ने गरीब परिवारों के पाल्यों के लिए ईडब्ल्यूएस कोटे का निर्धारण किया है, जिसके तहत शिक्षण संस्थानों में नामांकन व नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्यों का नतीजा आया है, जिसे ईडब्ल्यूएस कोटे से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कॉलेज के टीचर ने भी क्वालीफाई किया है। उधर कुशीनगर जिले के दो बीईओ का भी ईडब्ल्यूएस कोटे से चयन हुआ है। पहले चर्चा करते हैं गवर्नमेंट टीचर की। सोलह साल से इंटर कालेज के गवर्नमेंट टीचर का ईडब्ल्यूएस कोटे में क्वालीफाई होने की खबर सोशल मीडिया पर चर्चा में है।
हम बात कर रहे हैं यूपी के गोरखपुर शहर की। यहां स्थित महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के प्रबंधक हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। इनके महाविद्यालय के अध्यापक विश्व प्रकाश सिंह का चयन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित परीक्षा वर्ष 2021 में राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य के पद पर हुआ है। यह परिणाम अभी इसी सप्ताह घोषित हुआ है। यह रिजल्ट अभ्यर्थी से लेकर कॉलेज परिवार व उनके शुभचिंतकों के लिए बड़ी प्रसन्नता की बात है।
रिजल्ट के साथ चर्चा में आया ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट
प्रधानाध्यापक बने विश्व प्रकाश सिंह मूलतः देवरिया जिले के पैना गांव के रहने वाले हैं। खास बात यह है कि विश्व प्रकाश 4800 ग्रेड पे पर पहले से इंटर कॉलेज में नियुक्त हैं, अर्थात वेतन मद से प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक की आय है। इसके अलावा चल व अचल संपत्ति से आमदनी अतिरिक्त है। इनका चयन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण कोटे में हुआ है। इतनी बड़ी विसंगति पर सवाल उठना स्वाभाविक है। इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर भी जोरों पर है।
विश्व प्रकाश ने बताया लिपिकीय त्रुटि
सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल होने पर जनज्वार ने विश्व प्रकाश से संपर्क करने का प्रयास किया। आखिरकार उनके मोबाइल नंबर पर बात हुई। उन्होंने कहा कि 'हमारे रिजल्ट में ईडब्ल्यूएस वर्ग का जिक्र होने से मैं खुद आश्चर्यचकित हूं। हमने सामान्य वर्ग में आवेदन किया था। प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य वर्ग का उल्लेख करने से मुख्य परीक्षा में भी सामान्य कोटे का ही जिक्र था। अब फाइनल रिजल्ट में ईडब्ल्यूएस का उल्लेख होना लिपिकीय त्रुटि है। इसमें सुधार कराने के लिए प्रयासरत हूं। मेरा सामान्य वर्ग का ही रैंक है। हमारे द्वारा ईडब्ल्यूएस का प्रमाणपत्र नहीं बनवाया गया था। मैं इसके लिए पात्रता भी नहीं रखता।'
अगर अभ्यर्थी की बात में सच्चाई है तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के तरफ से इतनी बड़ी गलती होना निश्चित तौर पर परेशान करने वाली बात है। देश की प्रमुख संस्थान से ऐसी गलती होना आश्चर्यजनक है। हालांकि हाल के वर्षों में परीक्षा कराने वाली संस्थाओं के कई कारनामें चर्चा में रहा है। फिलहाल पूरा प्रकरण संदेह के घेरे में आ गया है।
2 बीईओ का ईडब्ल्यूएस कोटे में पीसीएस में चयन
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की संयुक्त राज्य अपर सबर्डीनेट सेवा परीक्षा के रिजल्ट में कुशीनगर जिले के दो खंड शिक्षा अधिकारी का चयन ईडब्ल्यूएस कोटे में हुआ है। सत्येंद्र पाण्डेय की कसया में तैनाती है। इनकी रैंक 151 है। इसी तरह खंड शिक्षा अधिकारी कप्तानगंज आशीष मिश्रा की 153वीं रैंक है। इनका भी चयन ईडब्ल्यूएस कोटे में हुआ है। इस मामले में दोनों लोगों से बात करने का प्रयास किया गया, पर संपर्क नहीं हो सका। ऐसे में इस पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं।
यूपी के कैबिनेट मंत्री के भाई का भी प्रकरण आया था चर्चा में
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की सिद्धार्थ नगर स्थित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। यह पिछले वर्ष के मई माह का मामला है। अरुण द्विवेदी को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटे से मनोविज्ञान विभाग में सहायकट्री प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया। मामले पर विवाद खड़ा होने के बाद मंत्री ने सफाई दी है। शुरू में मंत्री ने कहा कि मेरे व भाई के आमदनी में काफी अंतर है। लेकिन बाद में विरोध तेज होने पर खुद अरुण द्विवेदी ने इस्तीफा देकर विवाद को खत्म कराया। उस समय द्विवेदी देश के एक प्रतिष्ठित विश्व विद्यालय में सेवारत थे।