योगी सरकार का नया फरमान, सरकारी नौकरी के लिए संविदा पर 5 साल प्रूव करके दिखाओ अपनी काबिलियत

जो कर्मचारी प्रत्येक वर्ष मूल्यांकन में 60 प्रतिशत से कम अंक हासिल करेंगे उन्हें नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा, संविदा पर नौकरी करने के दौरान अनुमान्य सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिलेंगी...

Update: 2020-09-13 04:55 GMT

जनज्वार। हाल में केंद्र से लेकर कई राज्य सरकारों तक के फैसलों से सरकारी नौकरियों को सबसे सुरक्षित माने जाने का दौर अब खत्म होता दिख रहा है। उत्तरप्रदेश सरकार अब सरकारी पदों पर पांच साल तक कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त करने पर विचार कर रही है। ग्र्रुप बी व सी के कर्मियों को यूपी सरकार पांच सालों के लिए संविदा के आधार पर नियुक्त कर सकती है। इस अवधि में उन्हें सरकारी सेवकों को मिलने वाली अनुमान्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे और कड़ाई से उनके काम की समीक्षा कर उनका रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाएगा, जो उनके स्थायी करने या नौकरी से बाहर किए जाने का आधार बनेगा।

पांच साल की संविदा नियुक्ति के दौरान सेवा देते हुए जो कर्मचारी छंटनी से बच जाएंगे उनकी स्थायी नियुक्ति पर फिर सरकार फैसला लेगी। उत्तरप्रदेश सरकार का कार्मिक विभाग इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसे कैबिनेट को भेजा जाएगा। इस प्रस्ताव पर विभागों से भी रायशुमारी की प्रक्रिया शुरू की गई है।

वर्तमान में राज्य सरकार ने विभिन्न भर्ती प्रक्रियाओं के जरिए कर्मचारियों का चयन कर उन्हें एक या दो साल के लिए प्रोबेशन पर नियुक्त करती है और इस दौरान भी कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तरह वेतन व सुविधाएं दी जाती है।

इस दौरान कर्मी अपने वरिष्ठ की निगरानी में कार्य करता है और स्थायी होने पर वह नियमानुसार काम करता है। पर, कार्मिक विभाग के नए प्रस्ताव पर राज्य सरकार फैसला लेती है तो समूह ख व ग के कर्मियों की पूरी नियुक्ति प्रक्रिया ही बदल जाएगी। पांच सालों तक उनके कार्याें का छमाही मूल्यांकन किया जाएगा।

इस मूल्यांकन के दौरान जो कर्मी 60 प्रतिशत से कम अंक हासिल करेंगे उन्हें हर साल नौकरी से बाहर किया जाएगा। जो कर्मचारी पांच वर्ष तक सभी कठिन शर्ताें को पूरा कर लेंगे वे स्थायी नियुक्ति पा सकेंगे।

उत्तरप्रदेश सरकार के सभी विभागों के बी व सी ग्रेड के कर्मियों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी। इतना ही नहीं अनुकंपा पर नौकरी पाने वाले आश्रित भी इसी कठिन शर्त के आधार पर स्थायी किए जाएंगे। उत्तरप्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा और उत्तरप्रदेश राज्य पुलिस सेवा के माध्यम से बहाल होने वाले सिर्फ इस दायरे से बाहर रहेंगे। चूंकि सबसे अधिक कर्मचारी सी ग्रेड के होते हैं और उसके बाद बी व डी ग्रेड का नंबर आता है तो राज्य के बहुसंख्यक कर्मचारी इस दायरे में आ जाएंगे, सिर्फ श्रेणी ए के अफसर व डी ग्रेड के चतुर्थवर्गीय कर्मी इससे बाहर रहेंगे।

इससे पहले केंद्र सरकार ने एक जुलाई के बाद रिक्त हुए सभी पदों के लिए नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। साथ ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 50 साल की उम्र के बाद कुछ शर्ताें के तहत सेवानिवृत्ति दिए जाने का भी प्रस्ताव है।

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