EXCLUSIVE : घाटमपुर के सजेती काण्ड में पीड़िता और आरोपी का था प्रेम प्रसंग, फिर इतना बड़ा बवाल क्यों?
'जनज्वार' के पास पीड़िता की आरोपी के साथ अंतरंग फोटो के अलावा कुछ काल्स रिकार्डिंग भी हैं जो आरोपी दरोगा पुत्र और पीड़िता के बीच हुई बातचीत की हैं।
कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित घाटमपुर का सजेती काण्ड आमजन के साथ ही पुलिस के लिए भी पहेली बना हुआ है। देखते ही देखते मामले ने इतना तूल पकड़ा कि सब तरफ पीड़िता को न्याय के लिए आवाजें उठने लगीं। पीड़िता के पिता की मौत भी रहस्य बनी हुई है कि उन्होंने सुसाइड किया या फिर मारा गया है। शनिवार 13 मार्च को मिले ताजा अपडेट के मुताबिक पीड़िता के दादा को भी धमकी मिलने की बात सामने आई है। दादा ने पुलिस को जो अप्लीकेशन दी है उसमें यह साफ नहीं है कि मिली धमकी कहां और किसने दी है। इस सबके बीच 'जनज्वार' के हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे जो इस मामले की पूरी सच्चाई पर अलग ही रोशनी डाल रहा है।
सजेती की घटना 8 मार्च के शाम की है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का दिन था। 'जनज्वार' के पास पीड़िता की आरोपी के साथ अंतरंग फोटो के अलावा कुछ काल्स रिकार्डिंग भी हैं जो आरोपी दरोगा पुत्र और पीड़िता के बीच हुई बातचीत की हैं।
इसके अलावा हमें मिले पीड़िता के वीडियो में जो मीडिया को उसने बयान दिया है उसमें कहा गया है कि वह शाम को खेत से घास लेने गई थी। वहां तीन लड़के आए और लड़की को उठा ले गए। तीनों लड़कों ने लड़की के हाथ पैर बांध दिए इसके बाद लड़की बेहोश हो गई। लड़कों ने क्या किया लड़की के मुताबिक उसे कुछ पता नहीं। उसे जब होश आया तो सुबह हो चुकी थी। घर गई और आपबीती बताई। इस वीडियो में लड़की आरोपी से 23 तारीख को मिलने की बात भी स्वीकार रही है।
इससे पहले लड़की और आरोपी दीपू यादव के बीच की बातचीत के जो ऑडियो हमारे पास हैं, उन्हें सुनने के बाद साफ पता चलता है कि आरोपी और लड़की के बीच काफी समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था। यही बात उनकी फोटो भी दर्शाती है, जो 'जनज्वार' संवाददाता के हाथ लगी। ऑडियो में कई जगह आरोपी दीपू यादव पीड़िता से इस तरह बात करते हुए सुना जा सकता है जैसे दोनो आपसी मित्र नहीं बल्कि पति-पत्नी हों।
इसके अलावा हमारे घाटमपुर सहयोगी ने भी हमें कई चौंकाने वाली बातें बताईं। हमारे सहयोगी ने बताया कि उस गांव के कई लोगों को पता है कि आरोपी और लड़की के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था। उस रात यानी 8 मार्च को जो कुछ हुआ उसके बाद गांव का बच्चा-बच्चा जान गया था। लड़की की जब घर पर पिटाई हुई तो शायद उसने कहानी पलट दी।
मंगलवार 9 मार्च की सुबह लड़की को साथ लेकर पिता थाना सजेती गया। जहां पुलिस उसे टहलाती रही। अगर टहलाने की बजाए पुलिस इस मामले की तह तक जाकर खुलासा करती तो शायद मामले की और खुद उसकी इतनी छीछालेदर न होती। यहां पर पुलिस पूरी तरह से ऐसे मामलों में अपनी संवेदनहीनता के लिए दोषी है।
युवती अगर पीड़िता थी तो उसे एक रात सीएचसी के रूम में वो भी कर्मचारियों वाले कमरे में रोकना कहां तक उचित था। इसी सीएचसी के बाहर पीड़िता के पिता की 10 मार्च की सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में ट्रक से कुचलकर मौत हो जाती है जिसके बाद मामला और भी अधिक गंभीर हो जाता है। इस एक्सीडेंट की प्रतिक्रिया में कइयों ने इस मामले को उन्नाव वाले कुलदीप सेंगर के मामले की संज्ञा दे दी।
मामले में सबकुछ जानने वाली लड़की ने पूरी सच्चाई छिपाई। हालांकि यहां पर हम लड़की पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन सच तो सच होता है जिसे सामने आना ही चाहिए। पुरूष प्रधान समाज में आज भी लड़की खुलकर नहीं बोल सकती या उसे सामाजिक चिंतक ठेकेदार टाईप के लोग आवाजहीन कर देते हैं। ऐसे समाज और उसके चिंतकों से भी बचते रहने की जरूरत है। मामले में 10 मार्च के बाद क्या हुआ टीवी अखबार वाले अपने-अपने तरह से मसाला लपेटकर दिखा ही रहे हैं। आप बस उठाकर पढ़ते रहिए।