8 पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने वाला विकास दुबे कौन है?
विकास दुबे कानपुर में दहशत का पर्याय है। उसका आतंक ऐसा है कि गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद भी कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। सब यह कह रहे हैं कि रात में क्या हुआ, घटना कैसे घटी उन्हें पता नहीं, जानिए विकास दुबे है कौन:
कानपुर। कानपुर देहात स्थित चौबेपुर थाना एरिया के बिकरू गांव में पुलिस की टीम कल 2 जुलाई की मध्य रात्रि गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची थी, मगर उसने अपने गुंडों के साथ पुलिस टीम को घेरकर हमला बोल दिया। हमलावरों ने पुलिस टीम पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार की। इस हमले में एक सीओ, एसओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी और फायरिंग में 6 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। विकास दुबे पर 60 से अधिक मामले हैं और व कानपुर जिला पंचायत का सदस्य रहा है। फिलहाल पुलिस के करीब 100 जवान विकास दुबे के घर की घेराबंदी कर ऑपरेशन चला रहे हैं।
बसपा शासन के समय में विकास दुबे को अपराध के साथ राजनीति में भी आगे बढने का मौका मिला। इसी समय वह जिला पंचायत सदस्य बना। वह बसपा से जुड़ा हुआ था। उनकी पत्नी भी निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी।
विकास दुबे के छोटे भाई अविनाश दुबे की हत्या बावरिया गिरोह ने की थी। भाई की हत्या व परिवार के अंदर के विवाद से वह कुछ समय के लिए कमजोर पड़ गया था, लेकिन इस बीच उसे अपने साले राजू खुल्लर का सहारा मिला। राजू खुल्लर का भी आपराधिक इतिहास रहा है।
कल दो जुलाई की देर रात कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों को अपने गुंडों के साथ मौत के घाट उतारने वाला विकास दुबे दो दशक पहले भी चर्चा में आया था।
थाने में घुस कर नेता की हत्या करने वाला शूटर
करीब दो दशक पहले गैंगस्टर विकास दुबे ने कानपुर देहात के शिवली थाने के अंदर दिनदहाड़े दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोश शुक्ला की गोली मारकर बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में हालांकि वह कोर्ट से बरी हो चुका है। विकास दुबे पर करीब दो दर्जन से अधिक संगीन धाराओं में मुकदमे कई थानों में दर्ज हैं। यूपी में बीजेपी सरकार के आने के बाद विकास पर 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था, जिसके बाद विकास को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
विकास दुबे का जीवन फिल्मी खलनायक वाले किरदार से कम नहीं है। थाने में घुसकर राज्यमंत्री की हत्या का आरोपित होने के बावजूद भी उसका कुछ नहीं हुआ। बताया जाता है कि इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिसवाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी। कोई साक्ष्य कोर्ट में नहीं दिया गया, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया।
विकास दुबे द्वारा संतोष शुक्ला की थाने में घुस कर हत्या किए जाने से पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था, लेकिन पुलिस से लेकर कानून तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। विकास पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। उसका आपराधिक इतिहास रहा है।
राजनीति में पैठ वाला अपराधी
कहा जाता है कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की हर राजनीतिक दल में कड़ी पैठ रही है। वह अपने किले जैसे घर में बैठकर बड़ी-बड़ी वारदातें करवा देता था। 2002 में बसपा की मायावती सरकार में उसकी तूती बोलती थी। उसके ऊपर जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त का आरोप है। उसने गैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपये की संपत्तियां बनाई हैं।
बताया जाता है कि बिठूर में ही उसके स्कूल और कॉलेज हैं। वह एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है। वह पत्नी समेत जिला पंचायत सदस्य जैसी सक्रिय राजनीति में रसूखदार बनता चला गया।
कल दो जुलाई को सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र, एसओ शिवराजपुर महेश यादव समेत एक सब इंस्पेक्टर और 5 सिपाहियों को मुठभेड़ में मार डालने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। हाल के सालों में पुलिस पर हुए हमलों में यह सबसे बड़ी घटना बताई जा रही है।
विकास दुबे बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला है। उसने अपने घर को किले की तहत बना रखा है।
विकास दुबे की ठसक ऐसी रही है कि जिला पंचाय सदस्य के रूप में वह जिन योजनाओं का शिलान्यास करता उसमें उसका नाम मोटे अक्षर में ऊपर लिखा होता था और जिला पंचायत अध्यक्ष का नाम छोटे अक्षरों में उसके नाम के नीचे लिखा होता था।