3 बच्चों की सनसनीखेज हत्या से आक्रोश में ग्रामीण, दोषियों को पकड़ने के बजाय ग्रामीणों का उत्पीड़न कर रही पुलिस

रामकरन कोल को पेट में पथरी है, जो पुलिस के भय से गांव के बाहर उपचार कराने नहीं जा पा रहे हैं, इनके परिजनों का आरोप है कि 'लहंगपुर चौकी पुलिस ने गांव से बाहर न जाने की हिदायत दे रखा है.....

Update: 2020-12-19 08:26 GMT

मिर्जापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। जिले का ट्रिपल मर्डर केस पुलिस के लिए जहांं अबुझ पहेली बन गले का फांस बना हुआ है, वहीं पुलिसिया कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ने लगा है। ग्रामीणों का खुला आरोप है कि पुलिस असल हत्यारों को पकड़ने के बजाय ग्रामीणों को ही परेशान करने पर तुली हुई है। जबकि इस मामले में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पुलिस किसी भी निर्दोष को न तो प्रताड़ित करेगी और न ही फंसाने की साजिश रचेगी। बावजूद इसके पुलिस सीधे साधे लोगों को प्रताड़ित करती आ रही है। तीन बच्चों की हत्या के मामले में मुस्लिम और आदिवासी समाज के लोगों को पुलिस द्वारा उत्पीड़ित किए जाने के विरोध में सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट का घेराव भी किया।

उन्होंने आरोप लगाया है कि लालगंज के बामी गांव के कई मुस्लिम और आदिवासी युवाओं को पुलिस कई दिनों से बेवजह थाने में बंद कर प्रताड़ित कर रही है। पुलिस असली हत्यारों को पकड़ने के बजाय ग्रामीणों का ही उत्पीड़न कर रही है जिससे लोग दहशतजदा हो उठे हैं। 

बामी गांव निवासी मोनू को पूछताछ के लिए उठाए जाने पर उसकी बहन शबाना ने सवाल खड़े करते पुलिसिया कारवाई का विरोध किया है। आरोप है कि पुलिस पूछताछ के बहाने निर्दोषों को प्रताड़ित कर रही है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार मोनू पुत्र खुर्शीद, शमशाद पुत्र निसार अहमद, आलमगीर उर्फ बाबा पुत्र गुलजार को 5 दिन पहले लालगंज थाना पुलिस अपने साथ ले गई थी और बीते गुरुवार को अहमद उर्फ बाबा पुत्र हमजा को भी उठाकर ले गई है। ऐसे में इनके परिजन दहशत में जी रहे हैं। वही असल हत्यारे अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।

गौरतलब हो कि बामी गांव निवासी तीन बच्चे क्रमशः सुधांशु उर्फ विनय (14 वर्ष) पुत्र राजेश तिवारी, शिवम (14 वर्ष) पुत्र राकेश कुमार तिवारी तथा हरिओम तिवारी उर्फ डीएम (14 वर्ष) पुत्र मुन्नालाल तिवारी 1 दिसंबर 2020 को दोपहर घर से बेर खाने व जंगल घूमने गये थे। देर शाम तक जब वे घर वापस न लौटे तो परिजन परेशान हो उठे। इसके बाद गांव समेत आसपास काफी खोजबीन करने के बाद भी जब कोई पता नहीं चला तो उसी दिन देर शाम पुलिस को सूचना दे दी गई थी।

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इस सूचना पर लालगंज के प्रभारी निरीक्षक द्वारा अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर तीनों बच्चों की तलाश की जा रही थी कि दूसरे दिन 2 दिसंबर 2020 को उनका शव विंध्याचल कोतवाली क्षेत्र के गांव कामापुर लेहड़िया बंधे में मिला। तीनों बच्चों की शवों को पानी से निकाल पुलिस ने अपने कब्जे में लिया था और पोस्टमार्टम कराया गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर पर आयी चोटों, आंख पर गहरे जख्म आदि के आधार पर हत्या कर लाश फेंक दिए जाने का मामला प्रकाश में आया था।

बताते चलेंं कि पहले तो पुलिस तीनों बच्चों की मौत को पानी में डूबने से बता कर रखा दफा करने में जुटी हुई थी, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तथा आंखों व शरीर पर चोट के निशान ने पुलिस के इस थ्योरी को झूठा साबित कर दिया था। बाद में मामला हाई प्रोफाइल हो जाने के कारण बामी गांव न केवल सुर्खियों में आ गया, बल्कि पूरा गांव पुलिस पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है।

घटना के खुलासे को लेकर सभी दलों के लोगों ने न केवल आवाज उठाना शुरू कर दिया, बल्कि खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीड़ित परिवार के लोगों से कई बार टेलीफोन पर वार्ता कर चुके हैं। तीन बच्चों की हत्या के खुलासे के लिए खुद वाराणसी जोन के एडीजी बृजभूषण कई बार बामी गांव का भ्रमण कर चुके हैं, इसके अलावा खुद बराबर पीड़ित परिजनों के संपर्क में बने हुए है।

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गांव से लगे हुए जंगलों में जिले के कई थानों की पुलिस फोर्स, क्राइम ब्रांच, एसटीएफ टीम साहित एसआईटी टीम भी डेरा डाल छानबीन कर चुकी है, बावजूद इसके अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं। खुलासे के लिए कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेने के साथ 100 से ज्यादा मोबाइल नंबर को भी ट्रेस कर चुकी है, इतने सबके बाद भी 17 दिन बीतने के पश्चात पुलिस हत्यारों की परछाई भी नहीं पा सकी है। दो दिन पहले पीड़ित परिवार के लोग मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी व्यथा प्रकट कर चुके हैं, बावजूद इसके अभी तक पुलिस किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

मुस्लिम व आदिवासी समाज के लोगों को पुलिस कर रही है परेशान

पुलिस के कथित उत्पीड़न से दहशतजदा लोगों से जब 'जनज्वार' संवाददाता ने जानकारी चाही तो आंखों में आंसू लिए गांव की शबाना कहती हैं कि 'हम और हमारा परिवार पुलिस के रोज-रोज के उत्पीड़न से परेशान हैं। हमारे भाई मोनू को कई रोज से पुलिस थाने उठा ले जा रही है। तीन दिनों से थाने में बंदकर जुर्म स्वीकार करने का दबाव बनवाया जा रहा है।' शबाना बताती हैं कि एक भाई को पुलिस उठा ले गई है, जबकि एक भाई घर पर जो गूंगा है उसे भी परेशान किया जा रहा है। वह कहती हैं कि रोज-रोज परेशान करने के बजाय पुलिस जेल क्यों नहीं भेज देती? 

बामी गांव निवासी आमिद्दू निशा जो गर्भवती हैं, शौहर सैफ अली को पुलिस द्वारा उठा लिए जाने और 5 दिनों से बंद कर मारे-पिटे जाने की व्यथा को बताते हुए रो पड़ती हैं। अपनी व्यथा सुनाते हुए कहती हैं कि 'उनके घर में पांच दिनों से चूल्हे नहीं जले हैं, पुलिस रात के समय आकर उनके शौहर को बिना किसी गुनाह के पांच दिनों से बंद कर रखा है।'


सैफ अली की मां बदरूनिशा पुलिसिया उत्पीड़न को बयां करते हुए रो पड़ती हैं। अपनी गर्भवती बहूं (अमिद्दू निशा) की ओर इशारा करते हुए कहती हैं कि 'पुलिस असल हत्यारों को पकड़ने के बजाय हम लोगों को परेशान कर रही है। जिससे उन लोगों का जीना मुहाल हो उठा है।' इसी प्रकार अपने ननिहाल आये सोनभद्र जिले के चोपन निवासी कृष्णा कोल पुत्र शिवकुमार ने आरोप लगाया है कि 'वह अपने ननिहाल बामी आए हुए थे, लेकिन पुलिस उन्हें भी बेवजह उठा ले गई थी।'

रामकरन कोल (15) पुत्र गंगा प्रसाद को पेट में पथरी है, जो पुलिस के भय से गांव के बाहर उपचार कराने नहीं जा पा रहे हैं। इनके परिजनों का आरोप है कि 'लहंगपुर चौकी पुलिस ने गांव से बाहर न जाने की हिदायत दे रखा है।' इसी तरह संजेब पुत्र नसीम (17) तथा विजय कुमार यादव भी पुलिसिया प्रताड़ना की कहानी सुनाते हुए बदन पर पुलिस की दी हुई पीड़ा और दर्द को बताते हुए सिहर उठते हैं। 

डीएम-एसपी से ग्रामीणों ने लगाई गुहार, पुलिस कर रही है परेशान

बामी गांव निवासियों ने सामूहिक रुप से जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के नाम संबोधित पत्र सौंपते हुए कहा कि तीन बच्चों की हत्या के मामले में पुलिस द्वारा पूरे गांव के लोगों को बारी-बारी से थाने ले जाकर पिछले 10 दिनों से थाने में बैठाकर मारा पीटा जा रहा है। पुलिस की उत्पीड़न वाली कार्रवाई से सभी ग्रामीण परेशान और भयभीत हो उठे हैं। पुलिस बिना किसी सबूत के फर्जी ढंग से ग्रामीणों को फंसा भी सकती है ऐसा ग्रामीणों में भय है।

ग्रामीणों ने एक स्वर में आरोप लगाया है कि मृतक बच्चों के बड़े पिता गांव के कई लोगों से कह रहे हैं कि वह हत्यारों को जानते हैं, फिर भी पुलिस को हत्यारों का नाम नहीं बता रहे हैं! ऐसे में मामला जहां संदिग्ध प्रतीत हो रहा है वहीं ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को ही कटघरे में खड़ा किया है। 

गौरतलब हो कि इस मामले में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पुलिस किसी भी निर्दोष को न तो प्रताड़ित करेगी और न ही फंसाने की साजिश रचेगी, बावजूद इसके पुलिस सीधे साधे लोगों को प्रताड़ित करती आ रही है।

लखनऊ में बच्चों के परिजनों संग मुख्यमंत्री से मिलकर लौटे नगर विधायक रत्नाकर मिश्र ने गुरूवार को मुख्यालय पर मीडिया के लोगों को बताया था कि पुलिस जल्द से जल्द हत्यारों को गिरफ्तार करेगी तथा किसी भी निर्दोष को नहीं फंसायेगी, लेकिन ठीक इसके उलट हो रहा है। हालांकि जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल कहते हैं कि किसी भी निर्दोष ग्रामीण को परेशान नहीं किया जायेगा। 

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