AIMPLB ने क्यों किया समान नागरिक संहिता का खुल्लम खुल्ला विरोध, सरकार से की ये अपील

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना ख़ालिद सैफुल्लाह रहमानी ने समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है।

Update: 2022-04-27 03:16 GMT

AIMPLB ने क्यों किया समान नागरिक संहिता का खुल्लम खुल्ला विरोध, सरकार से की ये अपील

नई दिल्ली। पिछले शुक्रवार को भोपाल में भाजपा प्रदेश कोर कमेटी के नेताओं के साथ बैठक के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit shah ) ने कहा था कि राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक, सीएए जैसे कई मुद्दों पर सरकार काम कर चुकी है। अब समान नागरिक संहिता ( Uniform Civil Code ) भाजपा के वादों में सबसे अहम मुद्दा है। इस पर भी लोकसभा चुनाव से पहले अमल हो जाएगा। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया था कि इसे सबसे पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उत्तराखंड ( Uttarakhand ) में लागू किया जाएगा। उसके बाद देश भर में इसे लागू कर दिया जाएगा। इस बीच हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) के सीएम जयराम ठाकुर ने भी कहा है कि हिमाचल प्रदेश समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए तैयार है।

UCC अल्पसंख्यक विरोधी और असंवैधानिक

अमित शाह के इस बयान के बाद से समान नागरिक संहिता को( UCC )  लेकर एक बार फिर विवाद तूल पकड़ने लगा है। शाह के बयान के पांच दिन बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB ) के महासचिव हजरत मौलाना ख़ालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक प्रेस नोट जारी कर समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम बताया है। मौलाना खालिद सैफुल्लाह का कहना कि भारत के संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को उसके धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करने की अनुमति दी है। इसे मौलिक अधिकारों में शामिल रखा गया है। इसी अधिकारों के अंतर्गत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों के लिए उनकी इच्छा और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग पर्सनल लॉ रखे गए हैं, जिससे देश को कोई क्षति नहीं होती है।

समान आचार संहिता थोपना सही नहीं

नुकसान के बदले यह आपसी एकता एवं बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच आपसी विश्वास बनाए रखने में मदद करता है। अतीत में अनेक आदिवासी विद्रोहों को समाप्त करने के लिए उनकी इस मांग को पूरा किया गया है कि वे सामाजिक जीवन में अपनी मान्यताओं और परम्पराओं का पालन कर सकेंगे।

महंगाई और बेरोजगारी से ध्यान न भटकाये सरकार

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB ) ने अपने बयान में इस बात का भी जिक्र किया है कि उत्तराखंड या उत्तर प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता का राग अलापना असामयिक बयानबाजी के अतिरिक्त कुछ नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि इसका उद्देश्य बढ़ती हुई महंगाई, गिरती हुई अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोज़गारी जैसे मुद्दों से ध्यान हटाना है। AIMPLB ने सरकार से इस पर अमल न करने की भी अपील की है।

Tags:    

Similar News