UP बजट सत्र से पहले Azam Khan ने क्यों कहा - 'मुस्लिमों को शिक्षित करने की सजा मिल रही है'

यूपी ( UP ) के सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद समाजवादी के कद्दावर नेता आजम खान ने कहा है कि अब सोचूंगा कि मैं अपनी वफादारी, कड़ी मेहनत और ईमानदारी में कहां चूक गया कि इस कदर नफरत का सबब बन गया।

Update: 2022-05-22 05:59 GMT

UP बजट सत्र से पहले Azam Khan ने क्यों कहा - ‘उन्हें मुस्लिमों को शिक्षित करने की सजा मिल रही है’

लखनऊ। उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के सीतापुर जेल से रिहा होने के दो दिन बाद समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां ( Azam Khan ) ने बजट सत्र ( Budget Session 2022 ) शुरू होने से ठीक पहले बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना कर मुस्लिमों की शिक्षा ( Muslim Education ) की व्यवस्था की। मैं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षित हूं। जौहर विश्वविद्यालय के पीछे मेरा मकसद मुस्लिम शिक्षा की वकालत करना है। क्या ये इतनी बड़ी भूल है कि उन्हें अब मुस्लिमों को शिक्षित बनाने की सजा मिल रही है। ऐसा यूं ही नहीं हो सकता। इसके पीछे जरूर सियासी निहितार्थ हैं।

समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शुमार आजम खान ( Azam Khan ) के इस बयान से साफ है कि अब वो मुस्लिम सियासत को नए सिरे से धार देने की तैयारी में जुट गए हैं। इसका आगाज सोमवार को विधानसभा में बजट सत्र ( Budget Session 2022 ) की शुरुआत से होगा। बताया जा रहा है कि इस सत्र में वह कई मायने में सुर्खियों में दिखेंगे। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने इसका संकेत भी दे दिया है।

मैं, कहा चूंक गया

आजम खान ( Azam Khan ) ने कहा कि मैं 27 माह से जेल में था, पता नहीं राजनीतिक रूप से क्या हुआ। समाजवादी पार्टी की कुछ तो राजनीतिक मजबूरियां रही होंगी। मुझे कोई शिकायत नहीं है लेकिन अफसोस है कि कोई बदलाव नहीं आया। अब सोचूंगा कि मैं अपनी वफादारी, कड़ी मेहनत और ईमानदारी में कहां चूक गया कि इस कदर नफरत का सबब बन गया।

तो मुसलमानों को फिर से करेंगे एकजुट

क्या शिक्षा की बात कर आजम खान ( Azam Khan ) नई पीढ़ी से खुद को जोड़ने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। खासकर मुस्लिम युवाओं से। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि मुसलमानों की तबाही के लिए उनका वोट देने का तरीका भी जिम्मेदार है। यह बात इससे पहले मुस्लिम संगठन भी उठा चुके हैं। ऐसे में सियासी नब्ज पर नजर रखने वालों का कहना है कि 26 माह 23 दिन जेल में रहने के बाद आजम खां अपनी सियासी पकड़ को फिर से मजबूती देना चाहते हैं।

दूसरी तरफ सियासी जानकारों का कहना है कि अब ऐसा कर पाना आजम खान ( Azam Khan ) के लिए आसान नहीं होगा। खुद आजम को भी किसी न किसी रूप में इस बात का अहसास है कि उनके जेल जाने के बाद सपा में कई मुस्लिम चेहरे चमके हैं। ऐसे में खुद की ताकत को लेकर वह नया फंडा अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे।

बजट सत्र में कुछ न कुछ तो खास होगा

वैसे भी सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद से सपा विधायक आजम खान ( Azam Khan ) के बजट सत्र में सुर्खियों में रहने की अनुमान हैं। उन्हें लेकर सपा के नेता ही नहीं, विपक्षियों में भी कौतुहल बना हुआ है। वह बतौर सपा विधायक पहले की तरह पार्टी के लिए पग-पग पर बचाव की मुद्रा में रहते हैं। यानि अब अखिलेश के लिए भी रास्ता उतना आसान नहीं होगा।

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