UP : हाथरस पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहीं महिला नेता व सामाजिक कार्यकर्ता लखनऊ से गिरफ्तार

हाथरस के चंदपा गांव में हुई दलित बिटिया के साथ हैवानियत का विरोध प्रर्दशन कर रहीं महिला नेता तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी महिला नेत्रीयां यूपी में बढ़ते महिलाओं व दलितों पर हमलों के खिलाफ आवाज उठा रहीं थीं। गिरफ्तारी के बाद महिला संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार पर सवाल उठाया है।

Update: 2020-10-08 14:24 GMT

जनज्वार, लखनऊ। हाथरस के चंदपा गांव में हुई दलित बिटिया के साथ हैवानियत का विरोध प्रर्दशन कर रहीं महिला नेता तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी महिला नेत्रीयां यूपी में बढ़ते महिलाओं व दलितों पर हमलों के खिलाफ आवाज उठा रहीं थीं। गिरफ्तारी के बाद महिला संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार पर सवाल उठाया है।

प्रदेश की कई महिला संगठनों जिसमें ऐडवा की नेता मधु गर्ग, ऐपवा की नेता मीना सिंह तथा महिला फेडरेशन की बबिता सिंह, एनएपीएम से अरूंधति धुरू, भाकपा (माले) के मुहम्मद कामिल खां सहित शहर की प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन और उजमा परवीन के नेतृत्व में 1090 चौराहे पर हाथरस पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे इन सभी नेताों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इससे पहले पुलिस ने दोपहर से ही सांझी दुनिया की रूपरेखा वर्मा को भी नजरबंद कर रखा था। जिसकी उन्होने कड़ी निंदा की है।


महिलाओं ने अपने मास्क पर 'योगी राज, जंगल राज' का स्टिकर लगा रखा था। हाथों में ली गई तख्तियों पर 'बलात्कारियों के साथ खड़ी सरकार, शर्म करो, शर्म करो' तथा 'यह हमारा प्रदेश है नहीं तुम्हारा मठ, यहां चलेगा संविधान नहीं तुम्हारी हठ' हाथरस केस, फटा है संविधान का पहला पन्ना 'हम भारत के लोग, संविधान को बचायेंगे' सहित दस्तक देते मनु महाराज को खदेड़ कर भगायेंगे इत्यादि तमाम नारे लिखकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।

महिला नेताओं ने कहा कि इस प्रदर्शन के माध्यम से वे उत्तर प्रदेश में बेतहाशा बढ़ रही महिला हिंसा, बलात्कार व हत्या की घटनाओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराना चाहती हैं। पिछले दिनों हाथरस, बलरामपुर, आज़मगढ़, भदोही, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर आदि जिलों में हुई बलात्कार की घटनाएं सुर्खियों में रहीं, लेकिन इनके अलावा भी आये दिन प्रदेश में महिलाओं पर यौन हिंसा की तमान घटनाएं हो रही हैं। दलित महिलाएँ विशेष रूप से यौन हिंसा का शिकार बन रही हैं। इन घटनाओं से प्रदेश की महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही है।


इस सबके बीच चिंता की बात यह है कि इन घटनाओं के प्रति प्रदेश सरकार का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना और निंदनीय रहा है। जिसे हाथरस की घटना ने बखूबी दिखला दिया है। हाथरस में पीड़िता का समुचित इलाज भी नहीं हुआ औऱ जिस प्रकार रात के अंधेरे में बिना परिवार के सदस्यों के उसकी लाश जला दी गई उससे सरकार का दलितों औऱ महिलाओं के प्रति घृणित और मनुवादी चेहरा उजागर हुआ है। पीड़िता का परिवार, उसका समुदाय डरा सहमा हुआ है। उनसे मिलने-जुलने पर भी पाबंदियां लगी है वही उसी गांव में धारा 144 के बावजूद आरोपित पक्ष के लोग जनसभाएं कर रहे, धमकियां दे रहे हैं। क्या योगी सरकार के 'सबका साथ और कानून के राज' की यही वास्तविकता है?

आज प्रदेश की महिलाओं की यह मांग है कि पीड़िता को न्याय मिले और बलात्कारियो को कड़ी सजा दी जाए। महिला संगठनों ने अपने प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मांग रखी है, कि

  • 1. प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस्तीफ़ा दें।
  • 2. हाथरस की पीड़िता को न्याय तभी मिल सकता है जब बलात्कारियो को कड़ी सजा मिले, साथ ही पीड़िता के शव को उसके परिवारजनों की गैर मौजूदगी में जलाने की घटना को जाति उत्पीड़न की घटना मानते हुए दोषी वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को गिरफ्तार कर SC/ST Act के तहत कनूनी कार्रवाई की जाए।
  • 3. पीड़िता द्वारा अपने बयान में जब बलात्कार की बात कही गयी है तब उसके परिवार के सदस्यों का नार्को टेस्ट करवाना गैरकानूनी है। सीबीआई के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए हाथरस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज की निगरानी में की जाये साथ ही न्याय प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाये ।
  • 4. राज्य सरकार द्वारा पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
  • 5. हाथरस समेत हाल में बलरामपुर, आजमगढ़, भदोही अन्य जिलों में घटित महिला हिंसा की घटनाओं में दोषी अपराधियो एवं बलात्कारियो के मुकदमे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर कड़ी सजा सुनिश्चित की जाए।
  • 6. यदि किसी जिले में महिला उत्पीड़न की घटना होती है और उसकी FIR दर्ज करने, आरोपियों को गिरफ्तार करने या पीड़िता के इलाज में यदि समुचित कार्रवाई नही होती है तो जिले के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए।
  • 7. यौन हिंसा के त्वरित निस्तारण के लिए हर जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाये कि पुलिस बलात्कार केस की जांच प्रक्रिया में पूरी निष्पक्षता के साथ कानून के अनुसार सभी सबूतों और गवाहों की सुरक्षा करें व अति शीघ्र समयबद्ध सीमा में कोर्ट में पेश करें।
  • 8. पूरे प्रदेश में बढ़ती दलित उत्पीड़न की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सामंती-दबंग-माफिया तत्वों पर लगाम लगाई जाय तथा प्रत्येक भूमिहीन दलित परिवार को सरकारी व सीलिंग सरप्लस भूमि आवंटित की जाए ।
  • 9. हाथरस की घटना में पीड़िता से मिलने आये जिन आंदोलनकारियों पर योगी सरकार ने मुक़दमे दर्ज किए हैं उन्हें अविलम्ब वापस लिया जाए साथ ही इसी बाबत KUWJ (Kerala Union of Working Journalist) के पूर्व सचिव पत्रकार सिद्दीक कप्पन समेत 4 लोगों की गिरफ़्तारी भी असंवैधानिक है। गिरफ्तार पत्रकारों को बिना शर्त रिहा किया जाए।
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