लखनऊ में महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किसानों के समर्थन में सौंपा ज्ञापन

किसानों का कहना है कि इन क़ानूनों के चलते उनकी खेती तबाह हो जाएगी और वह अपने ही खेत में गुलाम बन जाएंगे...

Update: 2020-12-22 12:28 GMT

लखनऊ, जनज्वार। किसान आंदोलन के समर्थन में आज ऐपवा (अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला असोसिएशन) के राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत लखनऊ की बीकेटी तहसील तक मार्च कर महिलाओं ने महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंपा।

ज्ञापन में कहा गया है कि बेतहाशा ठंड में पिछले 3 सप्ताह से इस आंदोलन में खुले आसमान के नीचे महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग भारी संख्या में दिल्ली बॉर्डर पर मौजूद हैं, 30 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं, 2 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार का रवैया बेहद संवेदनहीन बना हुआ है।

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किसानों की मांग है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बनाये गए तीन कृषि कानूनों को रद्द किया जाए । किसानों का कहना है कि इन क़ानूनों के चलते उनकी खेती तबाह हो जाएगी और वह अपने ही खेत में गुलाम बन जाएंगे साथ ही अनाज के भंडारण पर लगी सीमा के समाप्त हो जाने से सर्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्य सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

ज्ञापन द्वारा राष्ट्रपति महोदय से अपेक्षा की गई है कि वे हस्तक्षेप करेंगे और समुचित कार्रवाई के लिए सरकार को निर्देशित करेंगे। ज्ञापन के माध्यम से किसान आंदोलन की माँगों को दुहराया गया है।

• काले कृषि कानून को तत्काल वापस लो।

• किसान की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी क्रय केंद्रों में खरीदने की गारण्टी करो।

• न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीद को गैरकानूनी घोषित करो।

• बिजली संशोधन बिल, 2020 वापस लो।

• स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप किसान को लागत मूल्य का डेढ़ गुने दाम की गांरन्टी करो।

• किसानों के सभी छोटे- बड़े कर्ज माफ करो।

• पेट्रोल -डीजल और रसोई गैस की बढ़ी हुई कीमतें वापस लो और इनके मूल्य नियंत्रण के लिए सरकारी अनुदान दो।

कार्यक्रम का नेतृत्व ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी तथा लखनऊ की संयोजक मीना सिंह ने किया। संचालन कमला जी ने किया। साथ ही कार्यक्रम में कमलेश कुमारी, सलिहा, चांदनी, लीलावती, सरोजनी बिष्ट आदि प्रमुख महिला नेत्रियां मौजूद रहीं।

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