योगी आदित्यनाथ ने यूपी को जंगलराज में बदल दिया है, ऐसा कहना कोई अपराध नहीं : इलाहाबाद हाइकोर्ट

उत्तरप्रदेश पुलिस ने एक शख्स पर योगी सरकार की आलोचना करने को लेकर एफआइआर दर्ज कर लिया था, जिसे हाइकोर्ट ने रद्द करते हुए कहा कि सरकारों से असहमति व्यक्त करना संवैधानिक लोकतंत्र की पहचान है...

Update: 2020-12-26 03:43 GMT

योगी आदित्यनाथ एवं इलाहाबाद हाइकोर्ट।

जनज्वार। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से एक शख्स को असहमति व्यक्त करने को लेकर एफआइआर दर्ज किए जाने से राहत दी है। राज्य सरकार की आलोचना करने को लेकर एफआइआर दर्ज किए जाने को अदालत ने गलत बताया है। यशवंत सिंह नामक एक व्यक्ति ने ट्विटर के जरिए यह कहा था कि योगी आदित्यनाथ ने यूपी को जगलराज में बदल दिया है। यशवंत सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को ऐसे जंगलराज में बदल दिया है, जहां कोई कानून व्यवस्था नहीं है। यशवंत सिंह के इस ट्वीट पर यूपी पुलिस ने उन पर एफआइआर दर्ज की थी।

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने इस मामले में यशवंत सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा: कानून व्यवस्था के हालत पर मतभेद व्यक्त करना भारत जैसे संवैधानिक लोकतंत्र की पहचान है। इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति पंकज नकवी व विवेक अग्रवाल ने एफआइआर रद्द करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी हमारे संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुरक्षित है।

अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ प्रयोग की गयी धाराओं के तहत अपराध का कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए केस को रद्द किया जाता है। इस मामले की सुनवाई के दौरान यशवंत सिंह के वकील ने कहा कि राज्य के मामलों में टिप्पणी करना किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकार क हिस्सा है, सिर्फ मतभेद अपराध नहीं हो सकता है। वकील ने कहा कि अपराध दुर्भावना के तहत दर्ज की गयी, ताकि याचिककर्ता को राज्य सरकार से मतभेद प्रकट करने से रोका जा सके।

यशवंत सिंह के ट्वीट पर पुलिस ने आइटी एक्ट के सेक्शन 66 - डी (कंप्यूटर का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी) और आइपीसी की धारा 500 (मानहानि) के तहत एफआइआर दर्ज की थी। कानपुर देहात के भोगनीपुर पुलिस थाने में दो अगस्त को यह एफआइआर दर्ज की गयी थी। पुलिस ने दर्ज एफआइआर में यह भी उल्लेख किया था कि ट्वीट में फिरौती, अपहरण व हत्या जैसी घटनाओं का उल्लेख किया था।

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