60 साल के मजदूर ने मांगी अपनी मजदूरी तो काट डालीं पैर की अंगुलियां

Update: 2019-10-07 11:10 GMT

डेढ़ महीने कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने के जब 60 वर्षीय चमरू पहाड़िया ने मांगी अपनी मजदूरी तो दलालों ने काट दीं चमरू के दाएं पैर की पांचों उंगलियां और दाहिने हाथ की उंगलियां काटने की भी की कोशिश, जब बुजुर्ग हो गया बेहोश तो नागपुर स्टेशन पर छोड़ दिया मरने के लिए...

जनज्वार। दबे-कुचले, मजदूर-मेहनतकश वर्ग हमेशा से उत्पीड़ित होता आया है। कभी उसे मंदी की सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ती है तो कभी नोटबंदी के चलते लाखों गरीब-मजदूर-मजबूर सड़क पर आ गये। अपने हक की आवाज उठाने पर उत्पीड़न की मार उसी को सबसे ज्यादा झेलनी पड़ती है। दलाल भी सबसे ज्यादा उन्हीं से वसूली और धोखाखड़ी करते हैं।

सा ही एक मामला ओडि‍शा के नुआपाड़ा जिले के टिकरपाड़ा गांव के गरीब मजदूर चमरू पहाड़िया के साथ ​घटित हुआ है। 60 साल के चमरू पहाड़िया ने जब ठेकेदार से अपनी तनख्वाह मांगी तो उसकी पैर की उंगलियां काट दी गईं। गौरतलब है कि चमरू महाराष्ट्र के नागपुर में कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूर का काम करते थे। बकौल चमरू वहां के दो दलालों ने मिलकर उनके पांव की उंगलियां काट डालीं और हाथ की अंगुलियां काटने की भी कोशिश की।

स मसले पर जब जनज्वार ने नुआपाड़ा जनपद के एसपी विनीत अग्रवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि फिलहाल वे अपने कार्यालय में नहीं है और थाने का नंबर उपलब्ध कराया। थाने में मौजूद कांस्टेबल निकुंज माथुर से जब इस बारे में जानकारी हासिल करनी चाही तो उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में इस तरह का कोई केस नहीं आया है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, ' 35 वर्षीय डोलामणि सतनामी और 30 वर्षीय बिदेसी सुनामी ने चमरू पहाड़ि‍या को नागपुर में नौकरी दिलाने के बहाने अपने साथ ले गए थे। करीब डेढ़ महीने कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने के जब चमरू ने अपनी मेहनत के पैसे मांगे तो दोनों ने उसकी मजदूरी देने से इंकार कर दिया। इस पर जब कहासुनी हुई और चमरू ने दोनों को कहा कि तुम लोगों ने मुझे धोखा दिया है, तो दोनों दलालों ने मिलकर चमरू के दाएं पैर की पांचों उंगलियां काट दीं और दाहिने हाथ की उंगलियां काटने की भी कोशिश की। उंगलियां काटने के बाद जब बुजुर्ग चमरू बेहोश हो गया, तो दोनों उसे नागपुर स्टेशन के पास मरने के लिए छोड़कर भाग गये।

नागपुर स्टेशन पर रेलवे की पटरियों पर रेलवे पुलिस फोर्स के एक जवान ने चमरू को बेहोश हालत में पड़े देखा तो उसे किनारे कर उसकी जान बचायी। उसके बाद पुलिस के जवान ने उसके फोन के माध्यम से चमरू के बेटे और बाकी संबंधियों से संपर्क करने की कोशिश की, मगर किसी से संपर्क नहीं हो पाया। जब किसी से संपर्क नहीं हो पाया तो पुलिस वाले ने चमरू को हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। होश में आने के बाद चमरू हॉस्पिटल से बाहर निकल रेलवे स्टेशन पर पहुंचा।

रेलवे स्टेशन पर मौजूद लोगों से मदद मांगकर चमरू ने अपने गांव का टिकट लिया। 4 अक्टूबर को चमरू बालंगीर के हरिशंकर रोड स्टेशन पर उतरा, जहां उसे उसकी पहचान का एक आदमी टोफान दलपति मिला और उसकी बुरी हालत देखने के बाद गांव तक ले गया।

कौल चमरू गांव पहुंचने के बाद भी मुझे डर लग रहा था कि जिन दलालों डोलामणि सतनामी और बिदेशी सुनामी ने मेरी अंगुलियां काटी वो मुझे नुकसान पहुंचा सकते हैं। मैंने इसी डर से अपना इलाज भी नहीं कराया।

स घटना की जानकारी मीडियाकर्मियों के जरिये मिलने के बाद 5 अक्टूबर को नुआपाड़ा के विधायक राजेंद्र ढोलकिया ने चमरू से मुलाकात की और उसकी एक हजार रुपये देकर मदद भी की। राजेंद्र ढोलकिया ने गांव वालों से कहा कि वे चमरू की इलाज कराने में मदद करें। साथ ही विधायक राजेंद्र ढोलकिया ने चमरू को आश्वस्त किया कि वे मुख्यमंत्री राहत कोष से उसे कुछ वित्तीय सहायता दिलाने की कोशिश करेंगे।

स मामले में जब जनज्वार ने बीजेडी के विधायक राजेन्द्र ढोलकिया से बात की तो उनका कहना था, 'हमारी सरकार चमरू पहाड़िया की पूरी तरह मदद के लिये तैयार है। हमसे जहां तक हो सकेगा हम मदद करेंगे। ओडिशा सरकार के रिलीफ फंड से उनका इलाज हो रहा है। मैंने खुद 1000 रुपये देकर नुआपाड़ा जिला अस्पताल में उनको एडमिट कराया है। कलेक्टर ओर एसपी केस की तफ्तीश कर रहे हैं। चमरू पहाड़िया अभी कुछ भी बोल नहीं पा रहे, वे डरे हुए हैं। इसलिए ठीक से जानकारी भी नहीं दे पाये।'

ग्रामीणों के मुताबिक 60 वर्षीय चमरू पहले अपने इकलौते बेटे, बहू और पोती के साथ गांव में रहते थे। इस परिवार के पास कोई भी कृषि भूमि नहीं थी और पूरा परिवार चमरू के बेटे की आय पर निर्भर था, जोकि एक दिहाड़ी मजदूर का काम करता था। कुछ समय पहले चमरू का बेटा अपनी पत्नी और बेटी के साथ गोलबंध में शिफ्ट हो गया और चमरू गांव में अकेले रहा गया। यहीं से उसे दलाल कंस्ट्रक्शन साइट पर काम दिलाने और अच्छे पैसे दिलवाने का लालच देकर अपने साथ महाराष्ट्र ले गये, जहां मेहनताना मांगने पर उसकी पैर की अंगुलियां काट दी गयीं।

हालांकि अब यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच चुका है, जहां से चमरू को न्याय मिलने की उम्मीद जताई जा सकती है।

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