उत्तराखण्ड महिला सम्मेलन 2017
मेधा पाटकर बोली, आज समाज जिस रूप में ढल रहा है उससे उभरने की जरूरत, नहीं तो समाज में महिलाओं की जो हालात है वो उससे और भी हो जाएगी बदतर...
हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट
हल्द्वानी स्थित पलक बारातघर दो नहरिया में उत्तराखण्ड महिला सम्मेलन 2017 का आगाज जनगीतों के साथ किया गया। दो दिवसीय यह महिला सम्मेलन 27—28 दिसंबर को मनाया जाएगा। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की की प्रमुख नेत्री मेधा पाटकर थीं।
कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए उत्तराखण्ड के दूरदराज के क्षेत्रों से भी महिलाएं आईं। मुनस्यारी, पिथौरागढ़, लोहाघाट, गंगोलीहाट, गरुड़, कौसानी, बागेश्वर, नैनीताल, उधमसिंहनगर, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, चंपावत समेत और भी दूरदराज की महिलाओं ने इसमें बढ़—चढ़कर हिस्सेदारी की।
मेधा पाटकर ने कार्यक्रम में अपने ओजस्वी भाषण में महिलाओं को कुछ इस तरह संबोधित किया कि सबमें उर्जा का संचार हो गया। उन्होंने महिलाओं से जुड़े तमाम मसलों और समाज में उनकी हिस्सेदारी पर अपनी बात रखी।
मेधा पाटेकर ने कहा की आज समाज जिस रूप में ढल रहा है उससे उभरने की जरूरत है, नहीं तो समाज में महिलाओं की जो हालात है वो उससे और बदतर हो जाएगी। उन्होंने कहा की चिपको आंदोलन से लेकर राज्य आंदोलन तक महिलाओ का सबसे अग्रणी स्थान रहा है जिनके योगदान को आज भी समझने की जरूरत है।
इस सम्मेलन के जरिये महिला सशक्तीकरण पर विशेष जोर दिया जाएगा, क्योंकि उत्तराखण्ड की महिलाओं ने उत्तराखण्ड गठन के समय राजनीति दमन की जो नीति देखी उसे वह समझ चुकी हैं, इसलिए वह जनांदोलनों में बढ़—चढ़कर हिस्सा लेती हैं और अपनी भागीदारी तय करती हैं।
वहीं समाजसेवी और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली राधा भट्ट ने महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग होने की बात कही। राधा भट्ट ने महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों पर चिंता जताते हुए महिलाओं को मजबूत होकर आगे आने की बात कही। राधा भट्ट ने देहरादून के नारी निकेतन मामले पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे बड़ी शर्मनाक घटना कुछ और नही हो सकती है, जो बड़े देश के लिए झकझोर देने वाली है।
उन्होंने कहा की पहाड़ी राज्य की आज़ाद और मजबूत महिलाओं की कम्युनिटी बनाकर उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जो बेहद शर्मनाक है। उन्होंने केंद्र सरकार के चारधाम में आॅल वेदर रोड बनाने के मामले पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पूरे प्रोजेक्ट से चार धाम तो बच सकते हैं, लेकिन हिमालय नहीं। लिहाज़ा विकास के लिए मानक तय होने चाहिए, लेकिन हमारी सरकारें केवल विनाश करने पर तुली है जिससे विनाश होना तय है।
उत्तराखण्ड की सुप्रसिद्ध लोकगायिका कबूतरी देवी ने शगुन गीत गाकर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। एक ओर परंपरा और दूसरी ओर संघर्ष की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 'गर हो सके तो कोई शमा जलाइए' गीत गाकर उन्होंने महिलाओं से संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में देवकी कुंजवाल, शशिप्रभा रावत, शोभा बहन ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. उमा भट्ट ने उत्तराखण्ड महिला सम्मेलन के बीच विचार को स्पष्ट किया। कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न महिला मुद्दों पर कार्य कर रही उत्तराखण्ड की कार्यकर्ताओं, जन प्रतिनिधियों से हुए संपर्क के दौरान संज्ञान में आए महिला मुद्दों एवं समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षण एवं सशक्त हस्तक्षेप के रूप में सम्मेलन की सार्थकता को समझने का प्रयास किया गया।
कार्यक्रम के आयोजक संगठन उत्तराखण्ड महिला मंच की कमला पंत ने सबका आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की महिलाएं लंबे समय से जल, जंगल, जमीन के मुद्दों पर लड़ रही हैं। संयुक्त उत्तर प्रदेश में भी महिलाओं की वही स्थिति थी जो आज है। श्रम का बोझ अभी भी कम नहीं हुआ है।