यौन उत्पीड़न के आरोपी शिक्षक की बर्खास्तगी और अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिये जाने पर पहले दिया जा रहा था जोर, मगर कुछ सदस्यों की उदारता से डिमोट कर एसोसिएट प्रोफेसर से बना दिया गया है असिस्टेंट प्रोफेसर...
जनज्वार, प्रयागराज। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने यौन उत्पीड़न के आरोपी हिन्दी विभाग के शिक्षक डॉ. सूर्य नारायण का डिमोशन कर दिया है। आरोपी शिक्षक को एसोसिएट प्रोफेसर से असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया है। 10 अप्रैल को हुई कार्य परिषद की बैठक में उन्हें निलंबित कर डीन आर्ट्स के दफ्तर से संबद्ध कर दिया गया था।
कार्य परिषद के निर्णय के बाद अब उन्हें बहाल कर दिया जाएगा और वह बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी सेवाएं देंगे। बैठक में उन्हें बर्खास्त करने और अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के मसले पर भी चर्चा हुई, लेकिन कुछ सदस्यों के हस्तक्षेप पर उदार रवैया अपनाते हुए न्यूनतम सजा के तौर पर आरोपी शिक्षक को डिमोट करने का फैसला लिया गया।
डॉ. सूर्य नारायण पर हिन्दी विभाग में अतिथि प्रवक्ता के पद पर तैनात रही एक महिला ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया था। महिला की ओर से शपथपत्र पर की गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए कुलपति ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए गृह विज्ञान विभाग की तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित अगेंस्ट सेक्सुअल हरेसमेंट कमेटी को मामले की जांच सौंपी थी। बीते 8 मार्च को हुई कार्य परिषद की बैठक में कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, जिसके बाद यह मामला सार्वजनिक हुआ था।
इस बैठक में कार्य परिषद के सदस्यों ने डॉ सूर्य नारायण पर लगे यौन उत्पीड़न की आरोपों की जांच अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति से करवाने का निर्णय लिया था। सदस्यों ने इस मामले में कोई भी फैसला लेने के लिए कुलपति प्रो. हांगलू को अधिकृत कर दिया था। इसके बाद 10 अप्रैल को हुई कार्य परिषद की बैठक में यह मामला फिर से उठा था, जिसमें उन्हें निलंबित करने का फैसला लिया गया था।
डॉ. सूर्य नारायण को निलंबन के दौरान हिंदी विभाग के डीन कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था। आठ मार्च को जब यह मामला सामने आया था तो डॉ. सूर्य नारायण ने आरोपों को तथ्यहीन, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए अपने खिलाफ साजिश बताया था।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में अतिथि प्रवक्ता रहीं एक महिला ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन 30 अप्रैल 2017 को डॉ. सूर्यनारायण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। वह साल 2017-18 सत्र में भी हिंदी विभाग में अतिथि प्रवक्ता के रूप में काम करती रही, लेकिन 30 अप्रैल 2018 के बाद विश्वविद्यालय छोड़ दिया क्योंकि इसके बाद हिंदी विभाग में स्थायी नियुक्तियां हो गईं और अतिथि प्रवक्ता का पद नहीं बचा।
इस मामले में हुई शिकायत की जांच के लिए गठित कमिटी के सामने डॉ. सूर्यनारायण ने अगस्त 2017 में अपना पक्ष रखा था। दो दिन पहले ही यौन उत्पीड़न के आरोप में घिरे हिंदी विभाग के इस असोसिएट प्रोफेसर ने कुलपति से छुट्टी मांगी थी और इस पूरे मामले की समयबद्ध और उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की थी। हालांकि आरोप दो साल पुराना है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन अब हरकत में आया, इसलिए विवाद भी अचानक बढ़ गया है।