बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने अलीगढ़ से मुक्त कराए 32 बाल एवं बंधुआ मजदूर

Update: 2019-01-17 17:05 GMT

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और प्रशासन की गरीब विरोधी नीतियों का नतीजा है। अगर राज्य सरकार ने इन गरीबों और बच्चों की मूलभूत जरूरतों का ख्याल रखा होता तो ये बच्चे और गरीब बंधुआ मजदूर बनने को मजबूर नहीं होते...

जनज्वार। बंधुआ मुक्ति मोर्चा उत्तर प्रदेश द्वारा किये गये एक और बचाव अभियान में 32 बच्चों को आजाद करवाया गया है। उप्र के अलीगढ़ जिले के खैर तहसील से इन 32 बाल एवं बंधुआ मज़दूरों को बंधुआ मुक्ति संगठन के प्रयासों से मुक्त करवाया गया। बचाव दल का नेतृत्व पुलिस प्रशासन के सहयोग से बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दलसिंगार द्वारा किया गया।

32 बाल मजदूरों को मुक्त करवाने की जानकारी प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से साझा करते हुए बंधुआ मुक्ति मोर्चा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने बताया कि हमारा यह रेसक्यू भी ख्यात सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के नेतृत्व में बंधुआ मज़दूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे मुक्ति अभियान का हिस्सा है।

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दलसिंगार ने बताया कि गरीब तबके के लाचार बच्चे बेबसी में बाल मजदूरी करने को अभिशप्त हैं और अपना घर, राज्य और जिला छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिन पहले ही बंधुआ मुक्ति मोर्चा के तमाम प्रयासों से 30 बाल एवं बंधुआ मज़दूरों को भिवानी से मुक्त कराया गया था। संगठन के कार्याधिकारियों ने कहा कि यह सब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और प्रशासन की गरीब विरोधी नीतियों का नतीजा है। अगर राज्य सरकार ने इन गरीबों और बच्चों की मूलभूत जरूरतों का ख्याल रखा होता तो ये बच्चे और गरीब बंधुआ मजदूर बनने को मजबूर नहीं होते।

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के मुताबिक 14 जनवरी को उत्तर प्रदेश बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दलसिंगार को फोन करके ईंट-भट्ठा में कार्यरत मजदूर के परिवार ने बंधुआ मज़दूरों के होने की जानकारी दी। जानकारी मिलने के बाद दलसिंगार ने जिलाधिकारी, अलीगढ़ को 15 जनवरी को बंधुआ मज़दूरी उन्मूलन (प्रथा) अधिनियम 1976 का हवाला देते हुए पत्र लिखा और फोन पर बात की, जिसके बाद जिलाधिकारी ने तत्काल अपनी टीम उनके साथ रवाना की।

इस टीम में तहसीलदार, लेबर अधिकारी व संबंधित थाना पुलिस शामिल थे, जिनको ग्राम रेसरी, थाना- खैर, तहसील- खैर, श्यामबीर ईंट-भट्ठा पर भेजा गया और यहां काम कर रहे बाल एवं बंधुआ मज़दूरों को बिना मुक्ति प्रमाणपत्र जारी किये गए। सभी मज़दूरों को एक ट्रक में बैठाकर चित्रकूट के लिये भेज दिया गया जो कर्वी चित्रकूट पहुंचे। बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने अलीगढ़ प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द सभी बाल बंधुआ मजदूरों को मुक्ति प्रमाण पत्र देने और नियोक्ता के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराके शीघ्र कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है जिससे सभी का पुर्नवास हो सके।

टीम द्वारा मुक्त कराये गए लोगों में अयोध्या प्रसाद, सुनीता देवी, शिवा, पायल, मनू, नेहा, मुन्ना, मिथलेश कुमारी, रश्मि, विकास, मांशु, रितांशू, राजकुमार, रामकली, पूजा, शिवानी, बुद्धविलास, गुडिया देवी, पवन, संजय, धर्मराज, इन्द्रजीत, राजेश, आरती, साहिल, देवीदयाल, ऊषा देवी, नेहा, शिवम, महम, अखिलेश और किरण शामिल हैं। इनमें आधे से ज्यादा बच्चे शामिल हैं।

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