माओवादी संबंधों के आरोप में नामजद मानवाधिकारवादियों का हाउस अरेस्ट 12 सितंबर तक बढ़ा
जनज्वार। वकील, शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, ख्यात कवि और बुद्धिजीवी वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, जिनेस आॅर्गनाइजेशन के वर्णन गोंजालविस और लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा के हाउस अरेस्ट को आज सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर के लिए बढ़ा दिया था। इससे पहले 29 अगस्त को सर्वोच्च कोर्ट ने पुलिस द्वारा रिमांड पर लेने पर रोक लगाते हुए 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट का फैसला दिया था।
साफ है कि देश की सर्वोच्च अदालत अभी पूरे मामले को सही ढंग से देख लेना चाहती है, क्योंकि पुलिस गिरफ्तारी के दिन से ही लगातार कह रही है कि पांचों मानवाधिकारवादियों के नक्सलियों के संबंध है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कल के हलफनामे में तो पुलिस ने यह दावा किया है कि सभी आरोपी माओवादी पार्टी के सदस्य हैं और यह देश में धमाके और विद्रोह कराना चाहते थे। पुलिस ने यह भी कहा है कि पुलिस इनकी गिरफ्तारी इसलिए नहीं चाहती कि ये सत्ता के विचार विरोधी हैं और हम विरोधी विचारों को दबाना चाहते हैं, बल्कि हमारे पास इनके माओवादी पार्टी के सदस्य होने के अहम सबूत हैं।
पर सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से साफ है कि पुलिस जैसा दावा कर रही है उस मुताबिक उसके पास सबूतों का अभाव है। सुप्रीम कोर्ट अभी पुलिस के सबूतों और साक्ष्यों की और गहन पड़ताल कर लेना चाहता है।
आज 6 सितंबर को हुई उसी मसले की सुनवाई में फिर से सुप्रीम कोर्ट ने हाउस अरेस्ट को आगे बढ़ाते हुए 12 तारीख तक इस मामले की स्थिति जस का तस बनाए रखने का आदेश दिया है।