बीएचयू IIT में फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन, कहा कहा हमें नहीं चाहिए निशंक के हाथों डिग्री
IIT BHU ने रिसर्च की फंडिंग रोक दी है और सिर्फ एक्सटर्नल फण्ड जैसे CISR, DST इत्यादि जैसे फण्ड की मदद से ही कुछ चुनिंदा छात्रों के एड्मिशन का नोटिस निकाल दिया है...
जनज्वार, वाराणसी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) द्वारा कुछ दिन पहले सभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के एमटेक कोर्स के फीस में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। साथ ही छात्रों को मिलने वाला स्टाइपेंड बंद कर दिया गया है, जिसके विरोध में आईआईटी BHU स्थित छात्र संगठन स्टूडेंट्स फ़ॉर चेंज (एसएफसी) के नेतृत्व में IIT BHU के छात्र-छात्राओं ने लिमबड़ी चौराहे पर प्रदर्शन किया।
छात्रों की फीस 20,000 से बढ़ कर 2 लाख करने का फैसला कुछ दिनों पहले ही आया है। यह पुरानी फीस के मुकाबले 900% की बढ़ोतरी है। 2016 में IIT के बीटेक कोर्स की फीस को 50000 से बढ़ा कर 3 लाख कर दिया गया था। इसके लिए भी कई IIT में छात्रों द्वारा विरोध किया गया, पर इसे वापस नहीं लिया गया।
आंदोलनरत छात्रों का कहना है कि एमटेक फीस की वृद्धि का कारण "ड्रापआउट" बताया जा रहा है, जो अपने आप मे ही बहुत बचकाना कारण है। अगर छात्र-छात्रायें ड्रॉपआउट कर रहे हैं तो इसके कारणों को सोचा जाना चाहिए और शिक्षण के तरीकों को ठीक किया जाना चाहिए, न कि फीस बढ़ाकर इसे रोका जा सकता है।
जहां एक तरफ IIT में शिक्षा की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है, वहीं शोध की व्यवस्था और इसके लिए आये फण्ड को हर सेशन में कम किया जा रहा है। जिन IIT का कार्यभार सोचने समझने वाला व समाज के मूलभूत जरूरतों की टेक्नोलॉजी बनाना होना चाहिए था, वहां ये बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MnC) को सस्ता मजदूर बेचने में लगे हैं।
छात्र कहते हैं आज आईआईटी की हालत ऐसी हो चुकी है कि हम चार साल जिस कोर्स को पढ़ते हैं, उससे जुड़ी कोई कंपनी या तो आती ही नहीं या फिर उससे बेहतर पैसे के लिए स्टूडेंट्स MnC की तरफ रुख कर जाते हैं। शोध की स्थिति तो और ज्यादा बेकार हो रखी है। डिपार्टमेंट में टेस्ट मशीनों की कमी, लगातार शोध फण्ड कट के कारण हर जगह इंस्टीट्यूट के कारण शोध के लिए छात्रों को हतोत्साहित किया जा रहा है।
हाल ही में IIT BHU ने रिसर्च की फंडिंग रोक दी है और सिर्फ एक्सटर्नल फण्ड जैसे CISR, DST इत्यादि जैसे फण्ड की मदद से ही कुछ चुनिंदा छात्रों के एड्मिशन का नोटिस निकाल दिया है।
स्टाइपेंड और फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शनरत छात्रों का कहना है कि फीस वृद्धि, ऑटोनोमी, शोध फण्ड कट आदि सारे फैसले सरकार की शिक्षा के निजीकरण की मंशा को ही दिखाते हैं। रेल, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, तेल, रिसर्च इंस्टीट्यूशन लगभग हर जगह इनकी नज़र है। ये दलाल सरकार सब कुछ अडानी, अम्बानी और अमेरिका को बेच कर बस अपना जेब गरम रखना चाहती है।
शिक्षा के निजीकरण और एमटेक की फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आईआईटी में IIT BHU, IIT BOMBAY ने 7 नवंबर को विरोध प्रदर्शन किया और IIT Madras ने इसे अपना समर्थन दिया।
स्टूडेंट्स फ़ॉर चेंज (SFC) के नेतृत्व में IIT BHU के छात्र-छात्राओं ने आज 7 नवंबर को IIT BHU स्थित लिमबड़ी चौराहे पर शाम 6 बजे एक बड़ा आंदोलन किया। इस आंदोलन में छात्रों ने शिक्षा के निजीकरण, व्यवसायीकरण का विरोध किया, साथ ही शिक्षा को हर नागरिक का संविधान अधिकार बताते हुए एमटेक फीस की वृद्धि को जल्द से जल्द वापस लेने की मांग की।
गौरतलब है कि 8 नवंबर को खुद मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक IIT BHU संस्थान में हो रहे दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रित किये गए हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने इस बात का विरोध कि जो मंत्रालय शिक्षा के मायने नहीं समझती और लगातार फीस वृद्धि के फैसले को तानाशाहीपूर्ण तरीके से छात्रों पर थोप रही है, उनके हाथ से छात्रों को डिग्री नहीं चाहिए।
आंदोलनरत छात्रों ने HRD मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के खिलाफ भी नारे लगाये और कहा कि हमें निशंक के हाथों कोई डिग्री नहीं चाहिए। इस दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों ने फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग की और IIT BHU में हो रहे लगातार फण्ड कट के मुद्दे पर भी अपना गुस्सा प्रदर्शित किया। प्रदर्शन में 100 से भी ज्यादा छात्रों ने हिस्सेदारी की और अपनी बात रखी।
प्रदर्शन के अंत में छात्रों ने एक मार्च निकाला, जिसमें छात्र लिमबड़ी कार्नर से डायरेक्टर आफिस के सामने से गुज़रते हुए वापस लिमबड़ी कार्नर पहुंचे।