सवालों के घेरे में सीबीएसई बोर्ड परिणाम, फेल होने के डर से आत्महत्या करने वाली बच्ची के 82 फीसदी नंबर
शिक्षाविद कहते हैं, 100 फीसदी मार्क्स हैं शिक्षा व्यवस्था के साथ भद्दा मजाक, बच्चों को ओबलाइज करने के लिए जबर्दस्ती किया जा रहा है पास ताकि वो सत्तादल को करें सपोर्ट करें दें वोट, न सिर्फ सीबीएसई, बल्कि प्रादेशिक एजुकेशन बोर्डों का भी है यही हाल
यूपी कॉपी जांचने वाले एक शिक्षक कहते हैं जिन बच्चों ने कुछ भी नहीं लिखा और वो जो पास हो ही नहीं सकते, उनके लिए भी हमें दिया गया निर्देश कि नहीं करना है किसी को फेल
सुशील मानव की रिपोर्ट
जनज्वार। देश की प्रतिष्ठित सीबीएसई बोर्ड के रिजल्ट परीक्षा खत्म होने के महज 38 दिन के भीतर यानी 7 मई को ही आ गए, जबकि पिछली साल ये रिजल्ट 29 मई यानी 55 दिन बाद आया था, जबकि वर्ष 2017 में ये रिजल्ट 3 जून को आया था।
21 फरवरी से 29 मार्च तक दसवी की परीक्षा चली थी। दसवी में 16.38 लाख छात्र सीबीएसई दसवी की परीक्षा में शामिल हुए थे। न शिक्षकों की संख्या बढ़ी न छात्रों की संख्या घटी, मगर सिस्टम में ऐसा क्या चमत्कार हो गया कि इतनी जल्दी रिजल्ट घोषित हो गया।
इसके साथ कई चौंकाने वाले आंकड़े भी सामने आए। उत्तर प्रदेश के नोएडा में फेल हो जाने की डर से परीक्षा परिणाम आने के दो दिन पहले ही शर्मिष्ठा राउत नाम की एक छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, लेकिन जब रिजल्ट आया तो वो 70 प्रतिशत अंकों के साथ पास थी। इतना ही नहीं जिस अंग्रेजी विषय में उसे फेल हो जाने का भय था, उसमें उसके 82 प्रतिशत अंक आए थे।
ये एकलौता केस नहीं है। दरअसल वर्ष 2018 के पासिंग परसेंटेज 86.70 के मुकाबले चुनावी वर्ष 2019 में पासिंग परसेंटेज 91.10 है। इतनी ही नहीं 13 बच्चों ने एक साथ टॉप किया है। इन सभी के 500 में से 499 अंक आए हैं। वहीं 25 छात्रों ने 500 में से 498 अंक हासिल किए हैं। जबकि 59 छात्रों ने 500 में से 497 अंक हासिल किए हैं। वहीं 225143 छात्रों यानि कुस 12.78 फीसदी छात्रों ने 90% से ज्यादा अंक हासिल किए हैं। जबकि 57256 छात्रों यानी 3.25% ने 95 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।
अब मोदी भक्त कहेंगे मोदी है तो मुमकिन है। तो क्या सीबीएसई परीक्षा परिणामों का कोई चुनावी लिंक भी है। क्या चुनावी फायदा लेने के लिए देश की सत्ताधारी पार्टी ने इनकम टैक्स विभाग, आईबी और चुनाव आयोग की तर्ज पर सीबीएसई का भी इस्तेमाल किया है। ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जिनका जवाब खोजने के लिए हमने कई शिक्षाविदों से बात करके उनकी राय प्रतिक्रियाएं ली।
शिक्षाविद प्रेमपाल शर्मा कहते हैं, 'यूपी बोर्ड के भी रिजल्ट पहले से बेहतर हुए हैं और बिहार के भी। निश्चित रूप से ऐसा संकेत दिया गया होगा कि बच्चे फेल न हो, क्योंकि जब बच्चे फेल होते हैं तो जो भी रुलिंग पार्टी होती है उसी पर आंच आती है। यूपी में परीक्षा जांचने वाले एक शिक्षक से मेरी बात हुई तो उन्होंने मुझे बताया कि जिन बच्चों ने कुछ भी नहीं लिखा और वो जो पास हो ही नहीं सकते, उनके लिए भी कहा गया है कि नहीं फेल मत करना।'
लेकिन क्या ये सिर्फ मोदी सरकार ही कर रही है? पर प्रेमपाल कहते हैं, 'मुलायम सिंह यादव ने तो बच्चों को नकल कराने को अपने घोषणापत्र में शामिल करने के बल पर ही 20 साल सत्ता में रहे हैं। अखिलेश ने पुलिस की भर्ती निकाली थी उसमें भी यही था कि बच्चों को जितना परसेंटेज दे दो कि मैं उनके परसेंटेज के आधार पर ही भर्ती करुंगा। बच्चे भेड़ बकरियों से भी कम जानते हैं। अगर मैं इतना अपनी बकरी को भी सिखाता तो वो भी सीख जाती। बच्चों को पढ़ने के लिए कोई मोटीवेशन नहीं दिया जा रहा। शिक्षा व्यवस्था आज अपने निम्नतम स्तर पर है लेकिन इसके लिए अकेले मोदी जिम्मेदार नहीं हैं, अखिलेश, लालू, मुलायम, मायावती सब इसके लिए अपराधी हैं। यहां तो सोनिया गांधी, राहुल गांधी, स्मृति ईरानी और नरेंद्र मोदी सबकी डिग्री नकली होती है।'
वहीं शिक्षाविद एसएन शर्मा कहते हैं- “बेशक़ बच्चों को ओबलाइज करने के लिए जबर्दस्ती पास किया जा रहा है, ताकि वो सत्तादल को सपोर्ट करें और उन्हें वोट दें। और ये सिर्फ सीबीएसई अकेले में नहीं है लगभग सभी प्रादेशिक एजुकेशन बोर्डों का भी यही हाल है। लेकिन प्रश्न ये उठता है जो बच्चों हाईस्कूल इंटर में 90-95 प्रतिशत अंक ला रहा है उसकी प्रतिभा आगे चलकर कहां गुम हो जाती है। क्यों ग्रेजुएशन में उसके मार्क्स 50 प्रतिशत से कम हो जाते हैं या वो फेल होने लगता है। क्या ये संभव है कि हर विषय शत प्रतिशत नंबर आए, सोशल साइंस जैसे विषय में भी 100 में 100 नंबर दे दिया जाए। ये तो पूरी शिक्षा व्यवस्था के साथ ही बलात्कार किया जा रहा है। स्कूल से लेकर महाविद्यालय तक आज केवल तीन चीजें हो रही हैं एडमिशन, परीक्षा और परीक्षा परिणाम की घोषणा। पढ़ने पढ़ाने का हिस्सा गायब है।
वे आगे कहते हैं, 'सरकार कहती है हम नकलविहान परीक्षा कराएंगे। बिल्कुल कराइए, लेकिन पहले पढ़ाई की बात क्यों नहीं लाते हो, शिक्षक क्यों नहीं लाते हो। आप पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे और नकलविहानी परीक्षा करवाओगे ये दोगला चरित्र नहीं तो और क्या। जब बच्चों को पढ़ाया ही नहीं जाएगा तो वो नकल नहीं करेगा तो और क्या करेगा। टाई, पैंट, जूता चमकाना, नाचना, गाना साल भर यही तो होता है फिर वो कौन सा सिस्टम है, कौन सी मूल्यांकन पद्धति है जिससे बच्चे 90 प्रतिशत के ऊपर नंबर पा जा रहे हैं। आज बच्चों को नंबर इस तरह दिये जा रहे हैं मानो सत्यनारायण भगवान का प्रसाद बाँटा जा रहा हो। 100 में 100 पाने वाले बच्चे को एप्लीकेशन तक लिखनी नहीं आती। अधिकांशतः कॉपी चेक करने वाले पहले से ही तय कर लेते हैं कि 90 लोवेस्ट देना है और 100 हाईएस्ट देना है। जिस रफ्तार से जिस मानसिकता से आज सीबीएसई में मूल्यांकन कार्य हो रहा है अगर उनकी कायदे से जांच हो जाए तो आधे से ज्यादा बच्चे फेल हो जाएंगे।'
एसएन शर्मा बताते हैं, “चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय पद्मापुर बस्ती में चार साल के लगभग 960 बच्चों के 28 विषय की परीक्षा कुलपति ने एक दिन में करा दी गई और 2 बजे ऑनलाइन नंबर भी भेज दिया गया विश्वविद्यालय की साइट पर, जबकि 50-75 प्रतिशत परीक्षक वहां उपलब्ध ही नहीं थे। सपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे माता प्रसाद पांडेय का एक कॉलेज है जिसमें इसी 5 मई को एग्रीकल्चर के सात विषयों के प्रैक्टिकल की परीक्षाएं एक दिन में करवा दी गईं। शिक्षा व्यवस्था समूल नष्ट कर दी गई है। आज बिना विषय वाले लोग कापियां चेक कर रहे हैं। सीबीएससी का नतीजा सीधे सीधे राजनीति से जुड़ा मामला है। रिजल्ट अच्छा आएगा, बच्चे ज्यादा नंबर पाएंगे तो ओबलाइज होकर सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे, इसमें कोई दो राय नहीं है।'