चारा घोटाला मामले में लालू यादव दोषी करार

Update: 2017-12-23 15:50 GMT

सजा का फैसला अगली सुनवाई में, कोर्ट में पेश होने से पहले भाजपा को उखाड़ फेंकने का किया था ऐलान, दो दशक पुराने मामले में आया आज आया विशेष सीबीआई कोर्ट का फैसला,  1990 के बाद लालू ने जो भी संपत्ति खरीदी  उसे जब्त करने का आदेश भी कोर्ट ने दिया...

जानवरों के नाम पर गलत तरीके से चारा खरीद मामले में हुई है यह सजा। इस मामले में अक्टूबर 1997 में हुई थी एफआईआर दर्ज

जनज्वार, रांची। चारा घोटाले मामले में लालू यादव दोषी करार दे दिए गए हैं। सजा का फैसला अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगा। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 7 को निर्दोष करार दिया गया है।

लोगों से अपील करते हुए लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि फैसला जो भी आए सभी लोग संयम बरतें, मैं बिहार की जनता का आभारी रहूंगा। उन्होंने कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा है, फैसला जो भी आए हर आदमी लालू यादव बनकर बीजेपी के खिलाफ खड़ा होगा और भाजपा को जड़ से उखाड़ फेंकेगा।

चारा घोटाले मसले पर सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के विशेष जज शिवपाल सिंह ने सुनवाई की।

इस सजा के बाद अब वह 2 जनवरी से पहले कोई अपील नहीं कर पाएंगे, क्योंकि आज से छुट्टियां हो रही हैं।

69 वर्षीय लालू प्रसाद यादव पहली बार दिसंबर 2002 में गरीब रथ पर सवार होकर रांची गए थे और तब उनके लिए बेकन हॉस्टल कैंप जेल बना था। चारा घोटाले मामले में कुल 64 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 53 रांची की अदालतों में लंबित है।

घोटाले की शुरुआत की सनसनी सबसे पहले 1985 में खबरों में आई थी, जब कैग की ओर से की गयी जांच में कैग अधिकारी टीएन चतुर्वेदी ने बिहार राजस्व और अन्य विभागों में आर्थिक हेरफेर का खुलासा किया था। यह घोटाला करीब दस साल बाद 1995 आते—आते 900 करोड़ का हो गया।

गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। यह मामला तभी का है, जिसका खुलासा 1996 में हुआ था। सीबीआई के तत्कालीन निदेशक स्वर्गीय जोगिंदर सिंह ने यह खुलासा किया था।

चारा घोटाला मामला 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपए का फर्जीवाड़ा करके अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी से जुड़ा हुआ है। इस घोटाले में लालू प्रसाद यादव के साथ पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र भी आरोपी थे।

गौरतलब है कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव समेत कुल 38 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज था। इनमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से तीन आरोपी सीबीआई के गवाह बन गए, जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-7 में ही सजा सुना दी गई थी। अब इस मामले में कुल 22 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट को अपना फैसला सुनाना था।

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