योगीराज : 15 दिन से भूख से तड़प रहे थे बच्चे, नहीं देख पाया मजदूर पिता, लगा ली फांसी

Update: 2020-05-15 11:37 GMT

काम नहीं मिलने से कानपुर के काकादेव थाना क्षेत्र के निवासी मजदूर के परिवार में बच्चों को खाने के लिए कुछ भी नहीं था। बच्चे कभी पानी पीकर तो कभी बिना कुछ खाए ही सो जाते। इससे छुटकारा पाने के लिए मजदूर ने आत्महत्या कर ली...

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के काकादेव इलाके में एक मजदूर ने आत्महत्या कर दी। दरअसल, मजदूर लॉकडाउन में आर्थिक तंगी और भूखमरी के दौर से गुजर रहा था। उससे अपने मासूम बच्चे की भूख जब नहीं देखी गई तो उसने ऐसा कदम उठाया। मजदूर के परिवार में चार बच्चे और पत्नी है।

मामला काकादेव थाना क्षेत्र के राजपुरवा का है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजपुरवा निवासी विजय कुमार पेंटिंग का काम करता था। पेंटिंग करके ही वह अपनी पत्नी रंभा, बेटों शिवम, शुभम, रवि और बेटी अनुष्का का पेट भरता था। लेकिन लॉकडाउन के दौरान उसे कहीं काम नहीं मिल रहा था। इस वजह से बच्चों को 15 दिन से भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाया। बच्चे कभी सूखी रोटी खाकर सो जाते तो कभी पानी पीकर।

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च्चों की यह पीड़ा उससे देखी नहीं गई और हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं। विजय कुमार की पत्नी रंभा का कहना है कि डेढ़ महीने से जारी लॉकडाउन की वजह से उसे कहीं काम नहीं मिला। इसके चलते जो पैसा जोड़ा भी था, वह भी खत्म हो गया। आसपड़ोस के लोग थोड़ी बहुत मदद करते थे लेकिन उससे परिवार के सभी लोगों का भला नहीं हो पाता था। इसी से परेशान होकर बुधवार शाम को विजय ने साड़ी के फंदे से फांसी लगा ली। इसी बीच पत्नी घर पहुंच गई और पड़ोसियों की मदद से विजय को उतारकर हैलट में भर्ती कराया। हालांकि देर रात उसकी मौत हो गई।

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जेवर बेचने की भी कोशिश की लेकिन दुकानें बंद

हीं से कुछ व्यवस्था कर थोड़ा बहुत लाता भी तो छह लोगों के परिवार में कम पड़ा जाता। इसके चलते विजय ने रंभा के पास जो थोड़ा बहुत जेवर है, उसे बेचने का भी प्रयास किया। हालांकि दुकानें बंद होने की वजह से यह भी संभव न हो पाया। आर्थिक तंगी के चलते पति-पत्नी में नोकझोंक होने लगी। भूख की वजह से मासूम बेटी की तबीयत भी खराब होने लगी। घटना के समय रंभा बच्चों के साथ रोटी की तलाश में ही घर से निकली थी।

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